
जयपुर के रोड नंबर 18 पर 31 दिसंबर को एक प्लांट में गैस रिसाव की घटना के बाद दहशत की स्थिति पैदा हो गई. ऑक्सीजन टैंकर का वॉल्व खराब होने से गैस का रिसाव शुरू हुआ था. कुछ ही देर में आसपास का नजारा ऐसा दिखने लगा मानों बर्फबारी हुई हो. लोगों के दिलो-दिमाग में 20 दिसंबर को जयपुर-अजमेर नेशनल हाईवे पर हुई दुर्घटना की यादें ताजा थीं, शायद इसीलिए CO2 गैस लीक के बाद और अधिक डर का माहौल बन गया.
पुलिस, सिविल डिफेंस और फायर ब्रिगेड के जवानों को तुरंत मौके पर भेजा गया. एम्बुलेंस तैनात की गईं. गैस लीक के कारण मुख्य सप्लाई बंद हो रही थी. यह घटना जयपुर के विश्वकर्मा इंडस्ट्रियल एरिया में स्थिति अजमेर गैस प्लांट नाम की कंपनी में हुई जहां CO2 (कार्बन डाईऑक्साइड) गैस स्टोर करने के लिए 29-29 टन के दो बड़े टैंकर लगाए गए थे. सहायक अग्निशमन अधिकारी भंवर सिंह हाड़ा ने बताया कि गैस के प्रेशर से टैंकर का वॉल्व टूट गया. उन्होंने बताया कि इससे पहले कोई बड़ा हादसा होता फायर ब्रिगेड द्वारा स्थिति को पूरी तरह से नियंत्रित कर लिया गया.
अधिकारियों ने बताया कि गैस लीक के कारण 300 मीटर तक के इलाके में घने कोहरे जैसी स्थिति बन गई और विजिबिलिटी जीरो हो गई. सिविल डिफेंस के डिप्टी कंट्रोलर अमित शर्मा ने बताया कि इस घटना की सूचना मिलने पर पुलिस और सिविल डिफेंस की टीमें बिना देर किए मौके पर पहुंचीं. दमकल की गाड़ियों को भी मौके पर बुलाया गया. समय रहते रिसाव पर काबू पाने से बड़ा हादसा टल गया, क्योंकि प्लांट के आसपास 300 मीटर के इलाके में गैस फैल गई थी. गनीमत रही की जानमाल का कोई नुकसान नहीं हुआ. अमित शर्मा ने बताया कि गैस लीक के कारण इलाके में अफरा-तफरी मच गई थी. लोगों को 20 दिसंबर जैसे हादसे का डर सताने लगा था. लेकिन सिविल डिफेंस के जवानों ने गैस टैंकर का वॉल्व समय पर बंद करके किसी भी अनहोनी को टाल दिया.
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कितनी खतरनाक होती है CO2 गैस?
सीओ2 रंगहीन और गंधहीन गैस है. कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) ज्वलनशील नहीं है, इसमें आग नहीं पकड़ती. वास्तव में, आग बुझाने और रेफ्रिजरेंट (एयर कंडीशनिंग सिस्टम और हीट पंपों को ठंडा करने में) के लिए सीओ2 गैस का उपयोग किया जाता है. स्वास्थ्य पर इसके प्रभाव की बात करें तो, सामान्य बाहरी हवा में, कार्बन डाइऑक्साइड एक खतरनाक गैस नहीं है. अगर आप बेसमेंट, बंद जगह में नहीं हैं, तो सीओ2 को लेकर आपको चिंतित होने की जरूरत नहीं है. बंद जगह पर CO2 के संपर्क में आने से स्वास्थ्य पर कई प्रकार के नकारात्मक प्रभाव पड़ सकते हैं. इनमें थकान, सांस लेने में कठिनाई, मितली आना, दम घुटना और कुछ मामलों में मृत्यु भी हो सकती है.
जयपुर LPG टैंकर ब्लास्ट में 20 मौतें
बता दें कि 20 दिसंबर को जयपुर-अजमेर हाईवे पर भांकरोटा के पास एक एलपीजी टैंकर की यूटर्न लेते समय ट्रक से टक्कर हो गई थी. हादसे के बाद एलपीजी टैंकर में ब्लास्ट हो गया था, जिसके कारण हाईवे पर दूर तक आग की लपटें फैल गईं. आसपास के 500 मीटर के एरिया में भीषण तबाही मची. हाईवे पर 35 गाड़ियां आग की चपेट में आकर राख हो गईं और कई लोग झुलस गए. इस हादसे में अब तक 20 की मौत हो चुकी है और कुछ अन्य जयपुर के सवाई मान सिंह हॉस्पिटल में जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे हैं. एसएमएस अस्पताल के प्लास्टिक सर्जन डॉ. राकेश जैन के मुताबिक 15 लोगों का इलाज जारी है.
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पांच मरीजों को इलाज के बाद डिस्चार्ज कर दिया गया है. हादसे में शामिल एलपीजी टैंकर के ड्राइवर जयवीर सिंह जिंदा बच गए. पुलिस ने उनसे हादसे के बारे में पूछताछ की. जयवीर ने बताया कि यह घटना 20 दिसंबर की सुबह 5.44 बजे हुई, जब वह रिंग रोड तक पहुंचने के लिए जयपुर-अजमेर हाईवे पर यू-टर्न ले रहे थे. इसी दौरान एक ट्रक पीछे से उनके टैंकर से टकरा गया, जिसके बाद विस्फोट हो गया. पुलिस ने दिल्ली निवासी ट्रक मालिक अनिल को भी पूछताछ के लिए बुलाया है. जयवीर सिंह ने बताया कि हादसे के वक्त वह टैंकर में अकेले थे. टक्कर के बाद वह टैंकर से बाहर निकल गए थे.
गैस लीक होने के कारणआग लगी. गैस जितनी दूर तक फैला, उतनी दूर तक आग पहुंची. हादसे के बाद सड़क से गुजर रहे कई लोग आग की लपटों में घिर गए. कुछ तो आग में लिपटे हुए सड़क पर मदद की गुहार लगाते रहे. जयवीर सिंह मौके से भागकर रिंग रोड पर पहुंचे और टैंकर मालिक को फोन कर घटना की जानकारी दी. इसके बाद अपना फोन बंद कर लिया. अधिकारी विस्फोट के कारण और इस विनाशकारी घटना से जुड़ी परिस्थितियों की जांच कर रहे हैं.