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वसुंधरा राजे का आज शक्ति प्रदर्शन... जन्मदिन के बहाने चुनावी हुंकार या BJP में बढ़ेगी दरार?

राजस्थान की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे आज चूरू के सालासर बालाजी धाम में पूजा-अर्चना कर जनसभा करेंगी. वहीं, दूसरी तरफ राजस्थान बीजेपी के अध्यक्ष सतीश पूनिया ने सभी विधायकों से जयपुर में ही रहने को कहा है. वसुंधरा राजे की जनसभा, सतीश पूनिया के निर्देश ने राजस्थान में सियासी गर्माहट बढ़ा दी है.

वसुंधरा राजे का 8 मार्च को होता है जन्मदिन (फाइल फोटो) वसुंधरा राजे का 8 मार्च को होता है जन्मदिन (फाइल फोटो)
विशाल शर्मा/मनीष यादव/बिकेश तिवारी
  • जयपुर/ नई दिल्ली,
  • 04 मार्च 2023,
  • अपडेटेड 11:53 AM IST

'धोरों की धरती' राजस्थान में सियासी बिसात बिछने लगी है. इस साल के अंत तक विधानसभा चुनाव होने हैं. विधानसभा चुनाव को लेकर सत्ताधारी कांग्रेस और विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी), दोनों ही जहां अपने कार्यकर्ताओं से चुनावी तैयारी में जुट जाने का आह्वान कर रहे हैं. वहीं, दोनों ही दलों की गुटबाजी चुनावी तैयारियों की राह में रोड़ा बनकर सामने आई हैं. कांग्रेस में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उनके डिप्टी रहे सचिन पायलट की रार राजस्थान की सियासी गर्माहट को बढ़ाए हुए थी, अब बीजेपी के खेमे की गुटबाजी भी खुलकर सामने आ गई है.

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राजस्थान बीजेपी में चल रही खींचतान अब शक्ति प्रदर्शन पर आ गई है. पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया के बीच आज पावर गेम खेला जाएगा. बीजेपी के सर्वे में भी पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सीएम के लिए पार्टी का सबसे लोकप्रिय चेहरा बनकर उभरी हैं. राजस्थान बीजेपी में एक तरफ ये माना जाता है कि वसुंधरा राजे का कोई तोड़ नहीं है तो दूसरी तरफ सतीश पूनिया भी अब दमखम दिखाने के लिए तैयार नजर आ रहे हैं. यही वजह है कि एक तरफ वसुंधरा राजे 4 मार्च को चूरू के सालासर बालाजी धाम में पूजा-अर्चना कर शक्ति प्रदर्शन कर रही हैं, जिसमें एक लाख से अधिक की भीड़ जुटने का दावा किया जा रहा है. वहीं, दूसरी तरफ सतीश पूनिया ने विधानसभा घेराव को लेकर विधायकों से जयपुर में रहने को कहा है.

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सतीश पूनिया और वसुंधरा राजे के बीच इस सियासी पावर गेम को लेकर बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व भी एक्टिव मोड में आ गया है. राजस्थान बीजेपी के प्रभारी अरुण सिंह जयपुर पहुंचकर सतीश पूनिया के विधानसभा घेराव में शामिल होंगे और इसके बाद सालासर पहुंचकर वसुंधरा राजे के आयोजन में भी. इसे बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व की ओर से दोनों ही खेमों के बीच संतुलन स्थापित करने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है. सतीश पूनिया और वसुंधरा राजे, दोनों ही गुटों के नेता इसे शक्ति प्रदर्शन के लिए बड़े अवसर के रूप में देख रहे हैं. पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा पूजा करने के बाद जनसभा को संबोधित करेंगी.

फिर शुरू हुई होर्डिंग पॉलिटिक्स?

वसुंधरा राजे के कार्यक्रम के लिए जो होर्डिंग्स लगाई गई हैं, उन होर्डिंग्स से सतीश पूनिया की फोटो गायब है. इन होर्डिंग्स के साथ ही अखबारों में छपे विज्ञापन में भी सतीश पूनिया की फोटो को जगह नहीं मिल सकी है. इन विज्ञापनों पर वसुंधरा राजे सिंधिया के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा की तस्वीरें छपी हैं. इसे राजस्थान बीजेपी में सतीश पूनिया के अध्यक्ष बनने के बाद से शुरू हुए पोस्टर वार से जोड़कर देखा जा रहा है. सतीश पूनिया के अध्यक्ष बनने के बाद से वसुंधरा राजे की तस्वीर पोस्टर से गायब हो गई थी.

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चुनावी साल में वसुंधरा की राजस्थान बीजेपी के पोस्टर पर वापसी हो चुकी है. वसुंधरा ने पोस्टर से अपनी तस्वीर गायब होने को लेकर कहा था कि हम लोगों के दिल में रहते हैं. हमें पोस्टर पर फोटो की क्या जरूरत. हालांकि, राजस्थान बीजेपी के नेताओं ने ये दलील दी थी कि केंद्रीय नेतृत्व का स्पष्ट निर्देश है कि जहां पार्टी विपक्ष में है, वहां होर्डिंग्स-पोस्टर पर प्रदेश अध्यक्ष और विधानसभा में विपक्ष के नेता की तस्वीर केंद्रीय नेताओं के साथ छपेगी. इसी का पालन किया जा रहा है.

वसुंधरा राजे ने पिछले साल बूंदी में जनसभा को संबोधित करते हुए नाम लिए बिना सतीश पूनिया पर निशाना साधा था. वसुंधरा राजे ने तब कहा था कि मैं राजमाता की बेटी हूं. उनके पद चिह्नों पर चलने की कोशिश कर रही हूं. 42 साल से राजनीति कर रही हूं. राजनीति में तपना पड़ता है. मेहनत करनी पड़ती है. लोग सोचते हैं कि आज आए और नेता बन गए.

वसुंधरा और बीजेपी नेतृत्व में 2014 के बाद बढ़ी खटास

वसुंधरा राजे और बीजेपी नेतृत्व के रिश्ते में साल 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद से ही खटास बढ़ने लगी. वसुंधरा राजे ने केंद्रीय नेतृत्व को ये साफ संदेश दे दिया था कि वह प्रदेश में लोकप्रिय चेहरा हैं और सूबे में कोई हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं करेंगी. 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले भी वसुंधरा और बीजेपी शीर्ष नेतृत्व के बीच मतभेद खुलकर सामने आ गए थे.

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केंद्रीय नेतृत्व ने तब राजस्थान बीजेपी की कमान गजेंद्र सिंह शेखावत को सौंपने का फैसला लगभग कर लिया था लेकिन वसुंधरा के विरोध के आगे ऐसा हो न सका था. बीजेपी ने अंत में वसुंधरा की पसंद मदन लाल सैनी को अध्यक्ष नियुक्त कर दिया. हालांकि, चुनाव में हार के बाद बदले हालात में सैनी की जगह सतीश पूनिया को राजस्थान बीजेपी की कमान सौंप दी गई.

वसुंधरा और पूनिया में कैसे बढ़ती गई तल्खी

सतीश पूनिया को राजस्थान बीजेपी की कमान मिली और वसुंधरा को पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बना दिया गया. सतीश पूनिया के राजस्थान बीजेपी अध्यक्ष बनने के बाद वसुंधरा राजे साइडलाइन होती चली गईं. वसुंधरा ने बैठकों से दूरी बना ली, पूनिया ने संगठन में नियुक्तियों को लेकर भी वसुंधरा से कभी राय-मशविरा नहीं किया. वसुंधरा राजे की तस्वीर राजस्थान बीजेपी के होर्डिंग-पोस्टर-विज्ञापनों से गायब हो गई और सतीश पूनिया खेमे के साथ उनकी दूरी, तल्खी और बढ़ती ही चली गई.

गुटबाजी का चुनावी तैयारियों पर पड़ेगा असर?

वसुंधरा राजे की जनसभा से पहले सतीश पूनिया की ओर से विधायकों और नेताओं को जयपुर न छोड़ने का निर्देश जारी किया गया है. सतीश पूनिया के इस निर्देश को जानकार वसुंधरा के साथ बढ़ती रार से जोड़कर देख रहे हैं. राजस्थान के राजनीतिक गलियारों में चर्चा ये भी है कि सतीश पूनिया ने वसुंधरा गुट के विधायकों को सालासर जाने से रोकने के लिए अचानक घेराव का कार्यक्रम बना दिया. वसुंधरा राजे का कार्यक्रम 20 फरवरी को ही तय हो गया था. चूरू में वसुंधरा खेमा, जयपुर में सतीश पूनिया का गुट शक्ति-प्रदर्शन करेगा, ऐसे में देखना ये होगा कि बीजेपी दोनों गुट के बीच किस तरह संतुलन बनाकर अपनी चुनावी तैयारियों को धार दे पाती है.

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