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बेटे के जन्म से पहले ही शहीद हो गए थे श्योराम गुर्जर, 4 साल बाद प्रतिमा का अनावरण करेंगे सचिन पायलट

राजस्थान के झुंझुनू में पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट सोमवार को पुलवामा हमले में शहीद हुए श्योराम गुर्जर की प्रतिमा का अनावरण करेंगे. चलिए जानते हैं श्योराम गुर्जर की कहानी जिन्होंने पुलवामा हमले के मास्टरमाइंड कामरान को मार गिराया था. बता दें, इस आतंकी हमले में 40 सीआरपीएफ के जवानों की मौत हुई थी.

अपने बेटों के साथ सुनिता देवी. अपने बेटों के साथ सुनिता देवी.
aajtak.in
  • झुंझुनू,
  • 17 अप्रैल 2023,
  • अपडेटेड 1:05 PM IST

4 साल पहले पुलवामा हमले के मास्टरमाइंड को मार गिराने वाले शहीद श्योराम गुर्जर की प्रतिमा का आज झुंझुनू में अनावरण किया जाएगा. पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट इस समारोह में शिरकत करेंगे. आखिर क्या था पुलवामा अटैक? कैसे इस हमले में 40 जवानों की जान चली गई और कैसे शहीद श्योराम गुर्जर ने अपनी जान पर खेलकर हमले के मास्टरमाइंड को मार गिराया. चलिए जानते हैं पूरी कहानी...

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दरअसल, जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर सशस्त्र कर्मियों को ले जा रहे भारतीय सैन्य वाहनों के काफिले पर 14 फरवरी 2019 को एक आत्मघाती आतंकी हमला किया गया. इस त्रासदी में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) (CRPF) के 40 सदस्यों की मौत हो गई थी.

लेकिन मरने से पहले झुंझुनू के रहने वाले श्योराम गुर्जर ने अपनी जान की बाजी लगाते हुए मास्टरमाइंट गाजी कामरान को मार गिराया था. शहीद श्योराम का शव जब गांव लाया गया तो उस समय उनके अंतिम संस्कार में हजारों लोग शामिल हुए थे.

शवयात्रा में आसमां श्योराम अमर रहे​ के जयकारों से गूंज उठा था. बेटे खुशांक ने उनकी चिता को मुखाग्नि दी तो हर कोई आंसू नहीं रोक पाया.

जब शहीद श्योराम गुर्जर का अंतिम संस्कार किया जा रहा था तो उनके 8 वर्षीय बेटे (उस समय 4 साल उम्र) ने कहा कि उसके पिता बंदूक चलाते थे. वह भी उनकी तरह फौजी बनेगा और बंदूक चलाएगा.

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उस समय शहीद श्योराम गुर्जर की वीरांगना सुनिता देवी नौ माह की गर्भवती थीं. घटना से कुछ दिन पहले ही सुनिता से श्योराम की मोबाइल पर बात हुई तब उसने बच्चे के जन्म पर घर आने का वादा किया था. लेकिन जैसे ही श्योराम गुर्जर तिरंगे में लिपटकर घर पहुंचे तो कोहराम मच गया. पति की शहादत पर गर्भवती पत्नी की तबीयत बिगड़ गई. उसे खेतड़ी के टीबा बसई गांव से जयपुर रेफर करना पड़ा था.

इसके कुछ दिन बाद ही सुनिता ने एक और बेटे को जन्म दिया. लेकिन बस एक ही चीज की कमी थी और वो थी श्योराम की कमी. बेटे को देखने से पहले ही श्योराम इस दुनिया से चल बसे थे.

लेकिन अब भी सुनिता की मुश्किलें कुछ कम नहीं हुई हैं. क्योंकि श्योराम की शहादत के बाद राज्य सरकार ने सुनिता को सरकारी नौकरी देने का वादा किया था. जिसे अब तक पूरा नहीं किया गया है.

चार साल से शहीद की पत्नी सुनिता देवी सरकारी नौकरी मिलने की उम्मीद में है. लेकिन शिक्षा विभाग रीट परीक्षा (REET) पास करने का हवाला देकर नौकरी देने में आनाकानी कर रहा है. चार दिन पहले वीरांगना द्वारा सरकारी नौकरी के लिए दिए गए कागजों को भी लौटा दिया गया है.

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सुनिता देवी ने बताया कि सरकार ने उनसे कहा कि यदि उन्हें शिक्षिका की नौकरी चाहिए, तो रीट एग्जाम क्लियर करना होगा. वहीं, सुनिता का कहना है कि यदि वे रीट एग्जाम क्लियर करेंगी तो फिर उन्हें अनुकंपा नियुक्ति की जरूरत ही कहां है. वे तो वैसे ही नौकरी पाने की हकदार हो जाएंगी.

दफ्तरों के चक्कर काट रही विरांगना
सुनिता देवी ने बताया नौकरी के लिए पिछले 4 साल में सरकारी दफ्तर व सैनिक कल्याण बोर्ड में बार-बार चक्कर लगा कर थक चुकी हैं. इसके लिए वह बीकानेर, जयपुर, अजमेर, झुंझुनूं, चिड़ावा में कई बार गईं. लेकिन आश्वासन के सिवा कुछ भी नहीं मिला. अब शहीद श्योराम गुर्जर की प्रतिमा अनावरण की तैयारियां चल रही है.

इसी दरमियान 4 दिन पहले सरकारी नौकरी के लिए जो दस्तावेज जमा करवाए थे, वे बैरंग लौटा दिए गए हैं. साथ ही नोट लगाकर भी भेजा गया कि थर्ड ग्रेड अध्यापक की नौकरी में आपको रीट क्वालीफाई करना पड़ेगा.

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