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सरोगेसी से बच्चा लेने वाली मां भी मातृत्व अवकाश की हकदार, हाईकोर्ट ने रद्द किया राजस्थान सरकार का आदेश

Rajasthan News: अदालत में अपने आदेश में कहा कि मातृत्व अवकाश प्रदान करते समय न केवल स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर विचार किया जाता है, बल्कि मां और बच्चे के बीच स्नेह का बंधन बनाने के लिए भी यह अवकाश दिया जाता है. वहीं, अब विज्ञान के विकास के साथ ही सरोगेसी भी मां बनने का एक विकल्प है.

(प्रतीकात्मक तस्वीर) (प्रतीकात्मक तस्वीर)
अशोक शर्मा
  • जोधपुर,
  • 09 नवंबर 2023,
  • अपडेटेड 11:31 AM IST

राजस्थान हाईकोर्ट की जयपुर बेंच ने कहा कि सरकार जैविक मां और सरोगेसी से बनी मां के बीच अंतर नहीं कर सकती. इनके बीच अंतर करना मां के मातृत्व का अपमान करना है. किसी मां के साथ सिर्फ इसलिए भेदभाव नहीं किया जा सकता कि उसका बच्चा सरोगेसी के जरिए हुआ है और न ही ऐसे बच्चों को दूसरे की दया पर छोड़ा जा सकता है. इसके साथ ही अदालत ने राज्य सरकार के 29 जून 2020 कि उसे आदेश को रद्द कर दिया है जिसके तहत सरोगेसी से बच्चा लेने वाली याचिकाकर्ता को मातृत्व अवकाश देने से इनकार कर दिया गया था. 

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अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता को मातृत्व अवकाश के तहत 180 दिन का अवकाश दिया जाए. सरोगेसी से बनी मां के लिए अवकाश को लेकर कानून बनाने का यह उचित समय है. ऐसे में आदेश की कॉपी कानून मंत्रालय और प्रमुख विधि सचिव को उचित कार्रवाई के लिए भेजी जाए. 

सिर्फ हेल्थ नहीं, स्नेह बंधन बनाने के लिए छुट्टी जरूरी: हाईकोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट के जस्टिस अनूप कुमार ढांड ने यह आदेश व्याख्याता चंदा केसवानी की याचिका को स्वीकार करते हुए दिए हैं. अदालत में अपने आदेश में कहा कि मातृत्व अवकाश प्रदान करते समय न केवल स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर विचार किया जाता है, बल्कि मां और बच्चे के बीच स्नेह का बंधन बनाने के लिए भी यह अवकाश दिया जाता है. वहीं, अब विज्ञान के विकास के साथ ही सरोगेसी भी मां बनने का एक विकल्प है.

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सरकार ने कहा था मां बनने पर अवकाश का प्रावधान नहीं

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता राजेश कपूर के जरिए दायर याचिका में कहा कि साल 2007 में विवाह हुआ था. इसके बाद सरोगेसी से 31 जनवरी 2020 को बच्चा. फिर उसने 6 मार्च 2020 को मातृत्व अवकाश के लिए आवेदन किया. लेकिन राज्य सरकार ने यह कहते हुए आवेदन को खारिज कर दिया कि राजस्थान सेवा नियम के तहत सरोगेसी से मां बनने पर अवकाश का प्रावधान नहीं है. 

इसे हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए कहा, कई साल पहले नियम बनाते समय पति-पत्नी ऐसी प्रक्रिया नहीं अपनाते थे. लेकिन अब सरोगेसी भी वैकल्पिक तरीका है. ऐसे में सरोगेसी से बनी मां भी मातृत्व अवकाश की हकदार है. इसके विरोध में राज्य सरकार का कहना था कि इसके नियम नहीं होने के कारण प्रार्थना को मातृत्व अवकाश नहीं दे सकते. अदालत में दोनों पक्षों को सुनकर प्रार्थी के पक्ष में फैसला दिया है.

क्या होती है सरोगेसी?

सरोगेसी का विकल्प उन महिलाओं के लिए काफी फायदेमंद साबित होता है जो प्रजनन संबंधी मुद्दों, गर्भपात या जोखिम भरे गर्भावस्था के कारण गर्भ धारण नहीं कर सकतीं. सरोगेसी को आम भाषा में किराए की कोख भी कहा जाता है,  यानी बच्चा पैदा करने के लिए जब कोई कपल किसी दूसरी महिला की कोख किराए पर लेता है, तो इस प्रक्रिया को सरोगेसी कहा जाता है,यानी सरोगेसी में कोई महिला अपने या फिर डोनर के एग्स के जरिए किसी दूसरे कपल के लिए प्रेग्नेंट होती है. अपने पेट में दूसरे का बच्चा पालने वाली महिला को सरोगेट मदर कहा जाता है.   Surrogacy: सरोगेसी में जैविक मां-बाप कौन होते हैं? सेक्स के बिना कैसे पैदा होता है बच्चा, जानिए जरूरी बातें

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