
राजस्थान के अजमेर में इस साल विश्व प्रसिद्ध सूफी संत ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती के 811वें सालाना उर्स के मौके पर पाकिस्तान से 240 जायरीनों ने शिरकत की है. पाकिस्तान सरकार की ओर से जायरीनों ने ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की मजार पर मखमली चादर चढ़ाई. पाक जायरीनों का ये जत्था 9 दिन यहां रहकर गरीब नवाज के उर्स में हिस्सा लेगा. नई दिल्ली में पाकिस्तानी हाई कमीशन के प्रभारी सलमान शरीफ भी पाक सरकार का प्रतिनिधित्व करते हुए समारोह में शामिल हुए. इससे पहले पाक जायरीनों का जत्था आने पर अजमेर प्रशासन ने सभी के नाम सूचीबद्ध किए हैं. शहर में सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट हैं.
यहां दरगाह में सैयद बिलाल चिश्ती और अंजुमन मोइनिया फखरिया चिश्तिया खुद्दाम साहिब के अन्य प्रमुख सदस्यों ने प्रतिनिधिमंडल का स्वागत किया. जायरीनों के चादर चढ़ाने के बाद विशेष पूजा-अर्चना की गई. बता दें कि हजरत मोइनुद्दीन चिश्ती सबसे सम्मानित सूफी संतों में से एक हैं. शांति, एकता, सहिष्णुता और सद्भाव के उनके मूल्य, शिक्षाएं और प्रैक्ट्रिस एक संदेश देते हैं और आज दुनिया के लिए आशा की किरण के रूप में काम करते हैं.
जायरीन ने पाक सरकार का जताया आभार
बाद में जायरीन ने चार्ज डी अफेयर्स के साथ एक अलग बैठक की और उनकी यात्रा को सुविधाजनक बनाने के लिए पाकिस्तान सरकार और उच्चायोग का आभार व्यक्त किया. बताते चलें कि 1974 के भारत-पाकिस्तान प्रोटोकॉल के तहत पाकिस्तानी जायरीन सालाना उर्स मुबारक में हिस्सा लेते हैं. इस साल कुल 240 जायरीन आए हैं. ये सभी लोग 25 जनवरी से 1 फरवरी 2023 तक अजमेर शरीफ में रहकर उर्स में शिरकत करेंगे.
पीएम मोदी ने भी भेजी चादर
इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से भी सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह पर चादर पेश की गई थी. खादिम अफसान चिश्ती ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ये चादर भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी को सौंपी है. देश में अमन-चैन का संदेश भी दिया गया है. जमाल सिद्दीकी ने इस संदेश को बुलंद दरवाजे से पढ़कर जायरीन को सुनाया. गौरतलब है कि प्रधानमंत्री बनने के बाद से पीएम नरेंद्र मोदी की ओर से हर वर्ष दरगाह पर चादर पेश की जाती है.
19 जनवरी को झंडा किया गया था
पेश सूफी संत ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती के 811वें सालाना उर्स की अनौपचारिक शुरुआत के बाद दरगाह के एतिहासिक बुलंद दरवाजे पर झंडा पेश करने की रस्म की गई थी. भीलवाड़ा के लाल मोहम्मद गौरी के पोते फखरुद्दीन ने दरगाह शरीफ के 85 फीट ऊंचे बुलंद दरवाजे पर झंडे की रस्म अदा कर इसकी घोषणा की थी.
अफगानिस्तान के बादशाह ने शुरू की थी झंडा चढ़ाने की परंपरा
उर्स में झंडा चढ़ाने की परंपरा अफगानिस्तान के बादशाह ने शुरू की थी. इसके बाद गौरी परिवार नियमित रूप से अपने परिवार के साथ झंडा की रस्म निभाते चले आ रहे हैं. बुधवार को झंडे का जुलूस गरीब नवाज गेस्ट हाउस से कव्वालियों और बैंड बाजों की सूफियाना धुन पर लंगरखाना गली होते हुए निजाम गेट पहुंचा.
छह दिन के लिए खुलता है जन्नती दरवाजा
811वें सालाना उर्स पर छह दिनों के लिए जन्नती दरवाजा खोला जाना है. सालभर में जन्नती दरवाजा तीन बार ही खोला जाता है. पहली बार दिन ईद-उल-फितर के मौके पर. दूसरी बार बकरा ईद के मौके पर और तीसरी बार ख्वाजा साहब के गुरु हजरत उस्मान हारूनी के सालाना उर्स के मौके पर यह दरवाजा खुलता है. परंपरा के अनुसार, जन्नती दरवाजा उर्स में आने वाले जायरीन के लिए खोला जाता है. इसी परंपरा के अनुसार, यह दरवाजा कुल की रस्म के बाद 6 रजब को बंद कर दिया जाता है.