
राजस्थान में विधानसभा चुनाव हैं. कांग्रेस और बीजेपी दोनों अपनी चुनावी रणनीतियों को जमीन पर उतारने में लगी हैं. इस बीच, राज्य में पेपर लीक के मामलों ने सियासत को गरमा दिया है. पिछले साढ़े चार साल में पेपर लीक के 10 से ज्यादा मामले सामने आए हैं. आगामी चुनाव में यह मामले बड़े मुद्दा बन सकते हैं. यही वजह है कि बीजेपी लगातार कांग्रेस सरकार को घेर रही है. हालांकि, गहलोत सरकार भी कानून लाकर युवाओं को साधने की कोशिश में है.
माना जाता है कि राजस्थान में गहलोत सरकार के मौजूदा कार्यकाल के दौरान बार-बार पेपर लीक के मामले आए, जिसकी वजह से राज्य के 20 लाख से ज्यादा युवा प्रभावित हुए हैं. सत्तारूढ़ सरकार और विपक्ष दोनों को एहसास है कि यह एक ऐसा मुद्दा है जो चुनाव परिणाम को प्रभावित कर सकता है. ऐसे में दोनों दल युवा वर्ग को अपने पाले में करने की कोशिशों में लग गए हैं.
'इस बार चुनाव में युवाओं की बड़ी भूमिका होगी?'
राजस्थान में पेपर लीक मामलों के खिलाफ कई विरोध प्रदर्शनों की अगुवाई करने वाले उपेन यादव कहते हैं कि मैं शुरू से ही कहता रहा हूं कि इस बार चुनाव में युवाओं की बड़ी भूमिका होगी. हमने पेपर लीक को लेकर लगातार आवाज उठाई है. चुनावी साल है, चुनावी माहौल है. हर राजनेता इसमें हिस्सा ले रहा है, बयान दे रहा है. हर कोई कुछ ना कुछ कर रहा है. लेकिन मैं आपको बताना चाहूंगा कि जब 24 दिसंबर को पेपर लीक हुआ तो हम शहीद स्मारक पर मोर्चा खोलने वाले पहले व्यक्ति थे. हमने पेपर लीक के संबंध में, कानून के संबंध में लगातार 10 से 11 विरोध प्रदर्शन किए. यादव ने कहा, जब पेपर लीक होता है तो हर अभ्यर्थी प्रभावित होता है. वह सोचता है कि मैं तैयारी कर रहा हूं लेकिन पेपर लीक होने से क्या होगा.
सचिन पायलट भी उठा चुके हैं सवाल
बता दें कि इससे पहले कई मौकों पर राज्य सरकार ने पेपर लीक के मामलों को रोकने के लिए पूरी तरह से इंटरनेट बंद कर दिया था. लेकिन इसके बावजूद यह एक ऐसा मामला रहा है, जिस पर गहलोत सरकार को ना सिर्फ प्रमुख विपक्ष बीजेपी, बल्कि कांग्रेस के भीतर भी सबसे ज्यादा आलोचना झेलनी पड़ी है. पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने कई मौकों पर मांग की है कि बड़ी मछलियों को पकड़ा जाए.
'पेपर लीक से युवाओं के हाथ लगी निराशा'
पहले कई भर्ती परीक्षाओं के दौरान अनियमितताओं और गड़बड़ी के आरोप सामने आए हैं, जिसके कारण बड़े स्तर पर युवाओं को निराशा हाथ लगी है और फिर से परीक्षा आयोजित करने की मांग की गई. जबकि गहलोत सरकार का दावा है कि पेपर लीक के मामलों में जांच एजेंसी की तरफ से कार्रवाई की गई है. वहीं, बीजेपी के साथ-साथ पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने कहा है कि पेपर लीक के मामलों में मास्टरमाइंड के खिलाफ पर्याप्त कार्रवाई नहीं की गई है.
'मानसूत्र सत्र में कानून ला रही सरकार'
हालांकि, चर्चा है कि अशोक गहलोत सरकार अब बड़ा कदम उठाने जा रही है. राजस्थान सरकार वर्तमान मानसून सत्र के दौरान 21 जुलाई को पेपर लीक के मामलों में आजीवन कारावास सुनिश्चित करने वाला कानून लाने की योजना बना रही है. यह कानून लाकर सरकार यह संदेश देने की कोशिश करेगी कि वो पेपर लीक के दोषियों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर गंभीर है.
'बीजेपी ने अजमेर में किया विरोध-प्रदर्शन'
दूसरी ओर बीजेपी पेपर लीक के मामलों को लेकर गहलोत सरकार को घेरने की कोशिश कर रही है. पार्टी के युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष तेजस्वी सूर्या ने मंगलवार को राजस्थान बीजेपी प्रमुख सीपी जोशी के साथ अजमेर जिले में विरोध प्रदर्शन किया. अजमेर में राजस्थान लोक सेवा आयोग (आरपीएससी) का कार्यालय स्थित है. तेजस्वी सूर्या ने आजतक से बातचीत में कहा, राजस्थान में जिस तरह से पेपर लीक के मामलों को संभाला गया, उससे गहलोत सरकार उखड़ जाएगी.
'कार्रवाई के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी'
उपेन यादव बेरोजगारों के विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे हैं. उन्होंने किसी भी अन्य राजनीतिक नेता की तुलना में युवाओं के विरोध प्रदर्शनों में सबसे ज्यादा हिस्सा लिया है. यादव का दावा है कि पेपर लीक के मामले तीन कारणों से होते हैं, जिनमें राजनीतिक नियुक्तियां शामिल हैं. जैसे- बाबूलाल कटारा को उनके राजनीतिक संबंधों के कारण आरपीएससी का सदस्य बनाया गया था और उन पर गलत संलिप्तता का आरोप लगाया गया था. उन्होंने कहा, तत्काल कार्रवाई करने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी रही है. छवि में सेंध लगने का डर रहा है.
'स्थानीय गिरोह ही पेपर लीक के लिए जिम्मेदार'
हालांकि, यादव का कहना है कि राजस्थान में पेपर लीक के मामलों में बाहरी गिरोह शामिल नहीं है. राजस्थान में स्थानीय गिरोह ही पेपर लीक के मामलों के लिए जिम्मेदार है. उन्होंने उम्मीद जताई कि पेपर लीक के मामलों में आजीवन कारावास सुनिश्चित करने के लिए कानून लाने की अपनी इच्छाशक्ति को गहलोत सरकार जमीन पर लागू करेगी.
'बीजेपी में भी मुद्दा ना उठाने से खड़े हुए सवाल'
यहां तक कि भाजपा के भीतर भी पेपर लीक के मामलों में गहलोत सरकार को घेरने में पार्टी के कथित ढुलमुल रवैये के कारण सवाल उठे हैं. राजस्थान बीजेपी के एक वरिष्ठ सांसद ने अपनी ही पार्टी के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष पर हमला बोला था और कहा- उन्होंने पेपर लीक मुद्दे पर इतना कुछ नहीं किया कि गहलोत सरकार को कठघरे में खड़ा किया जा सके.
'सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं मीणा'
राजस्थान में पेपर लीक के मामलों की सीबीआई जांच की मांग की जा रही है. इसे लेकर 10 दिन से ज्यादा समय तक बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पार्टी के राज्यसभा सांसद डॉ. किरोड़ी लाल मीणा धरने पर बैठे. उन्होंने आजतक से बातचीत में कहा, हम धरने पर बैठे हैं. मैं यहां राजस्थान में पेपर लीक मामले की सीबीआई जांच की मांग कर रहा हूं. मुझे दुख है कि मेरी अपनी पार्टी, बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने पेपर लीक का मुद्दा उस तरह से नहीं उठाया, जिस तरह से उठाया जाना चाहिए था.
डॉ. मीना ने राज्य पार्टी नेतृत्व पर निशाना साधा और कहा- पार्टी इस चुनावी साल में पेपर लीक के मुद्दे पर गहलोत सरकार को घुटनों पर ला सकती थी. किरोड़ी की नाराजगी के बाद डॉ. पूनिया की जगह सीपी जोशी को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था.