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गैंगस्टर आनंदपाल एनकाउंटर में पुलिस की वो थ्योरी, जो नहीं उतरी किसी के गले... कोर्ट ने भी कहानी को बता दिया संदिग्ध

घटना 24 जून 2017 की है. पुलिस ने दावा किया था कि चूरू के मालासर गांव में एनकाउंटर के दौरान आनंदपाल सिंह को मार गिराया है. बाद में राजपूत समाज सड़कों पर आ गया और 18 दिन तक शव को सड़क पर रखकर विरोध-प्रदर्शन किया था. उसके बाद दिसंबर 2017 में राजस्थान सरकार ने इस मामले को सीबीआई को सौंप दिया था.

गैंगस्टर आनंदपाल सिंह एनकाउंटर मामले में कोर्ट ने फैसला सुनाया है. गैंगस्टर आनंदपाल सिंह एनकाउंटर मामले में कोर्ट ने फैसला सुनाया है.
शरत कुमार
  • जयपुर,
  • 25 जुलाई 2024,
  • अपडेटेड 3:14 PM IST

गैंगस्टर आनंदपाल सिंह एनकाउंटर मामले में बुधवार को स्पेशल कोर्ट ने सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट को खारिज कर दिया और एनकाउंटर में शामिल तत्कालीन चूरू एसपी समेत 7 पुलिसकर्मियों पर हत्या का केस चलाने और जांच करने के आदेश दिए हैं. कोर्ट के आदेश के बाद पुलिस के साथ-साथ जांच एजेंसी भी सवालों के घेरे में आ गई है और एनकाउंटर की कहानी पर भी चर्चा छिड़ गई है.

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घटना 24 जून 2017 की है. पुलिस ने दावा किया था कि चूरू के मालासर गांव में एनकाउंटर के दौरान आनंदपाल सिंह को मार गिराया है. बाद में राजपूत समाज सड़कों पर आ गया और 18 दिन तक शव को सड़क पर रखकर विरोध-प्रदर्शन किया था. उसके बाद दिसंबर 2017 में राजस्थान सरकार ने इस मामले को सीबीआई को सौंप दिया था. पुलिस का कहना था कि जिस घर में आनंदपाल छिपा हुआ था, उसकी घेराबंदी करने के बाद उसे सरेंडर करने के लिए कहा गया, लेकिन आनंदपाल ने पुलिस पर गोलीबारी शुरू कर दी और जवाबी कार्रवाई में आनंदपाल मारा गया.

सीबीआई ने जांच के बाद दावा किया था कि ये एक एनकाउंटर था. उसके बाद जांच एजेंसी ने अगस्त 2019 में अदालत में क्लोजर रिपोर्ट पेश की. पत्नी राज कंवर और आनंदपाल के भाई रूपेंद्र पाल सिंह ने मई 2023 में इस रिपोर्ट को अदालत में चुनौती दी और खुद को एक प्रत्यक्षदर्शी के तौर पर बताया. बुधवार को जोधपुर की ACJM CBI कोर्ट ने इस याचिका पर फैसला सुनाया और एनकाउंटर को सही बताने वाली सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट को खारिज कर दिया. 

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क्या है जांच रिपोर्ट में वो झोल, जिससे कोर्ट ने संदिग्ध एनकाउंटर माना...

- पुलिस ने दावा किया था कि आनंद पाल को हमने सीढ़ियों पर रखे आइने में देखकर गोली मारी. रात में आइने को हॉकी स्टिक से खिसका-खिसका कर गोली चलाने की थ्योरी किसी के गले नहीं उतरी. अपनी थ्योरी को पुलिस ने हंगामा मचने के बाद वापस लेने का प्रयास किया.
- उस समय नागौर के कुचामन थाने में तैनात पुलिसकर्मी विद्या प्रकाश चौधरी की पिस्टल से चलाई गई गोली के खोखे घटनास्थल यानी छत पर मिले थे. जबकि विद्याप्रकाश ने बताया कि वो छत पर गया ही नहीं था. ऐसे में सवाल उठा कि फिर विद्याप्रकाश की पिस्टल की ये गोलियां वहां कैसे पहुंचीं?
- कांस्टेबल सोहन सिंह का बयान भी विरोधाभासी था. सोहन सिंह ने बताया कि आनंदपाल के बर्स्ट फायर के जवाब में उसने सामने से बर्स्ट फायर किया. सीबीआई को दिए बयान में कहा कि आनंदपाल के बर्स्ट फायर की गोली पीठ से टकराकर उसको जा लगी.
- आनंदपाल के पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर भी सवाल उठे. पहले पोर्स्टमाटम में शरीर से 11 गोलियां निकलीं. मगर दूसरे पोस्टमार्टम में दो और गोलियां निकलीं.
- दूसरी पोस्टमार्टम में कहा गया कि आनंदपाल के गोली लगने की जगह टैटू जैसे निशान बने हैं. कोर्ट ने माना कि शरीर के नजदीक से लेकर 6 फीट की दूरी तक मारने पर ही गोलियों की जगह टैटू जैसे निशान बनते हैं.
- पत्नी राजकंवर ने कहा कि आनंदपाल का उसके भाई रूपेंद्र से कहकर पुलिस ने सरेंडर करवाया था. सरेंडर करने के बाद उसे पीटा गया, जिसकी वजह से शरीर में 22 चोटें आई थीं. उसके बाद विद्या प्रकाश, सूर्यवीर और कैलाशन ने 12-13 गोलियां मारीं.
- डॉक्टर ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि गोली 2 से 5 फीट की दूरी से चलाई गई थी.
- तत्कालीन गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया का कहना था कि मुझे तो इसके बारे में कुछ पता नहीं है. मैं तो सो गया था. सुबह लोगों से पता चला. सीबीआई की एसीजीएम कोर्ट ने इसके बाद चुरू के तत्कालीन एसपी राहुल बारहट, तत्कालीन सीईओ विद्याप्रकाश, तत्कालीन सीआई सूर्यवीर सिंह, कांस्टेबल सोहन सिंह, धर्मराज और धर्मवीर के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 147, 148, 302, 326, 325, 324 और धारा 149 के तहत मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए हैं.

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आनंदपाल के घर में छिपे होने की सूचना पर पहुंची थी पुलिस

याचिकाकर्ताओं के वकील भंवर सिंह के मुताबिक, मामला 2017 का है. पुलिस ने रूपेंद्र पाल और देवेंद्र पाल को पकड़ लिया था. पूछताछ में उन्होंने पुलिस को सूचना दी कि आनंदपाल मालासर में एक मकान में छिपा हुआ है. 24 जून को जब पुलिस उस घर पहुंची तो आनंदपाल छत पर मौजूद था. पुलिस ने तब रूपेंद्र को आनंदपाल को सरेंडर के लिए मनाने को कहा और आश्वासन दिया कि वे उसे नुकसान नहीं पहुंचाएंगे.

पुलिस छत पर पहुंची, सरेंडर करवाया, फिर गोली मारी!

वकील का कहना था कि रूपेंद्र ही एसपी बरहट समेत पुलिस टीम को सीढ़ियों से होते हुए छत पर ले गया. आनंदपाल आश्वस्त हो गया और उसने सरेंडर कर दिया, लेकिन पुलिस ने उसकी पिटाई की और करीब से गोली मार दी. उन्होंने कोर्ट में दलील दी कि छत पर कारतूस मिले थे. जबकि पुलिस का दावा था कि उन्होंने नीचे जमीन से गोली मारी थी. पुलिस की टीम छत पर नहीं गई थी. सीबीआई की रिपोर्ट में मौके पर विद्या प्रकाश की मौजूदगी का भी जिक्र नहीं किया गया है. जबकि उनकी पिस्तौल से इस्तेमाल किया गया कारतूस छत पर मिला था.

जानिए आनंदपाल के बारे में...

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आनंदपाल सिंह नागौर जिले के लाडनूं तहसील स्थित सांवरद गांव का रहने वाला था. 2006 से लेकर 2017 तक राजस्थान का कुख्यात गैंगस्टर रहा. आनंदपाल सिंह के खिलाफ दर्जनों हत्या के मामले दर्ज थे. इनमें सीकर का गोपाल फोगाट हत्याकांड, डीडवाना का जीवन गोदारा हत्याकांड, खेराज हत्याकांड, श्रुति लूट हत्या जैसे कई संगीत मामले थे. बीकानेर जेल में गैंगवार और हत्या का मामला भी शामिल था. 3 सितंबर 2015 को डीडवाना कोर्ट में पेशी के बाद आनंदपाल सिंह पुलिस वैन से अजमेर हाई सिक्योरिटी जेल जा रहा था. इसी दौरान वो परबतसर के पास पुलिस को चकमा देकर फरार हो गया था. फरारी के दौरान भी आनंदपाल पुलिस के लिए सिर दर्द बना रहा. कई बार पुलिस के साथ आनंदपाल सिंह की मुठभेड़ हुई. खींवसर के पास एक पुलिसकर्मी खुमाराम की जान चली गई. कई बार मुठभेड़ में लोग जख्मी हुए. आखिरकार पुलिस ने 24 जून 2017 को चूरू के मालासर गांव में श्रवण सिंह के घर पर पुलिस ने आनंदपाल सिंह को कथित तौर पर एनकाउंटर में ढेर कर दिया.

हालांकि, आनंदपाल सिंह का परिवार और उनके समर्थकों से इसे हत्याकांड बताया और लगातार सीबीआई से जांच की मांग उठाई. घटना के बाद 18 दिन तक आनंदपाल सिंह का अंतिम संस्कार नहीं किया गया और कई बार आनंदपाल सिंह के गांव में उपद्रव देखने को मिला. पुलिस के साथ लोगों की मुठभेड़ भी हुई. दो लोगों की जान भी गई. कई पुलिसकर्मी भी घायल हुए. बाद में 13 जुलाई 2017 को पुलिस ने जबरन आनंदपाल सिंह का अंतिम संस्कार करवाया. इस दौरान आनंदपाल सिंह के परिवार का कोई सदस्य नहीं था. ना ही कोई ग्रामीण था. 

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पुलिस ने दो दर्जन राजपूत समाज के लोगों को उपद्रव में शामिल होने का आरोपी बनाया, जिसमें कई बड़े नेता भी शामिल थे. हालांकि, आनंदपाल सिंह के परिवार ने हिम्मत नहीं हारी और लगातार एनकाउंटर की सीबीआई से जांच करने की मांग करते रहे. सीबीआई ने जब क्लोजर रिपोर्ट में एनकाउंटर में शामिल पुलिसकर्मियों को क्लीन चिट दी तो आनंदपाल सिंह की पत्नी ने कोर्ट में चुनौती दी.

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