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राजस्थान किसे सौंपेंगे राजनाथ? दिल्ली से हिल नहीं रहीं वसुंधरा... बालकनाथ की दावेदारी भी तगड़ी, ये नाम भी रेस में

राजस्थान में नए मुख्यमंत्री के चुनाव को लेकर बीेजपी के केंद्रीय नेतृत्व ने तीन पर्यवेक्षकों की नियुक्ति कर दी है. राजनाथ सिंह के नेतृत्व में ये पर्यवेक्षक विधायक दल की बैठक के बाद नए नेता के नाम पर मुहर लगाएंगे. वहीं पूर्व सीएम वसुंधरा राजे अभी भी दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं.

राजस्थान में नए सीएम को लेकर जल्द फैसला होने की उम्मीद राजस्थान में नए सीएम को लेकर जल्द फैसला होने की उम्मीद
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 09 दिसंबर 2023,
  • अपडेटेड 10:07 AM IST

राजस्थान के नए सीएम के नाम को लेकर जयपुर से दिल्ली तक राजनीति गर्म है. बुधवार रात को दिल्ली पहुंची वसुंधरा राजे अभी तक राजधानी में ही डेरा डाले हुई हैं. पहले वसुंधरा ने बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की और उसके बाद खबर ये भी है वो अमित शाह से भी मिलीं.

अब जब पर्यवेक्षकों के नाम तय हो चुके हैं, ऐसे में हाईकमान किसके नाम पर मुहर लगाता है, इसका इंतजार सभी को है. सीएम की रेस में सबसे आगे बाबा बालकनाथ योगी चल रहे हैं, तो अब किरोड़ी लाल मीणा का नाम भी इस लिस्ट में जुड़ा है. लेकिन क्या सबको किनारे करते हुए वसुंधरा अपने राजनीतिक दांव पेंच से मुख्यमंत्री का पद हासिल कर पाएंगी यह देखना दिलचस्प होगा.

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शीर्ष सूत्रों के मुताबिक, विधानसभा चुनाव जीतने वाले सभी बीजेपी उम्मीदवार आज तक जयपुर पहुंच जाएंगे. करीब 40 विधायक जयपुर पहुंच गए हैं. शाम तक बाकी अन्य प्रत्याशी भी पहुंच जाएंगे. खबर है कि दो निर्दलीय विधायक भी बीजेपी को समर्थन दे सकते हैं.

पर्यवेक्षक करेंगे नवनिर्वाचित विधायकों संग बैठक

आपको बता दें कि भाजपा ने शुक्रवार को क्रमश: राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में अपने विधायक दल के नेताओं के चुनाव के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और जनजातीय मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा को केंद्रीय पर्यवेक्षक नियुक्त किया है. विधायक दल के नेता का चुनाव करने के लिए बैठकें सप्ताहांत में हो सकती हैं. पार्टी के भीतर यह विचार है कि केंद्रीय नेतृत्व इन राज्यों में नये चेहरों को मौका दे सकता है.

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राजे दौड़ से बाहर?

राजनाथ सिंह के साथ पार्टी की उपाध्यक्ष सरोज पांडे और महासचिव विनोद तावड़े राजस्थान के केंद्रीय पर्यवेक्षक के रूप में शामिल होंगे. भाजपा के भीतर इस बात की चर्चा जोरों पर है कि केंद्रीय नेतृत्व दो बार की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के दावे को नजरअंदाज करते हुए एक नए नेता का चुनाव करेगा.

भाजपा के सबसे वरिष्ठ नेताओं में से एक राजनाथ सिंह के नेतृत्व में विधायकों के बीच बैठक के बाद मुख्यमंत्री पद की पसंद के बारे में आम सहमति बनने की संभावना है. हालांकि कई विधायकों को राजे का समर्थन करते हुए देखा गया है.

दरकिनार करना भी आसान नहीं

दो बार राज्य की सीएम रही वसुंधरा राजे भले ही आलकमान की पंसद ना हो लेकिन उनकी राजनीतिक ताकत देखते हुए उन्हें एकदम से दरकिनार भी नहीं किया जा सकता है. वसुंधरा के पक्ष में ये बात कि उन्हें पूर्व में सरकार चलाने का अच्छा-खासा अनुभव है और ब्यूरोक्रेसी पर भी उनकी पकड़ी अच्छी रही है. राजस्थान को लेकर कहा जा रहा है कि वसुंधरा की सीएम दावेदारी प्रेशर पॉलिटिक्स से कमजोर हुई है. लेकिन वसुंधरा ऐसे कद की नेता नहीं हैं जिसे पार्टी उसके हाल पर छोड़कर आगे बढ़ जाए.

राजस्थान की करीब दर्जनभर लोकसभा सीटों पर वसुंधरा की नाराजगी का बीजेपी को नुकसान उठाना पड़ सकता है. इसीलिए पार्टी के बड़े नेता दिल्ली में लगातार वसुंधरा के साथ मैराथन बैठकें कर रहे हैं जिससे उनको किसी तरह मनाया जा सके.

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ये नाम भी दौड़ में शामिल

वहीं नए चेहरों की बात की जाए तो बाबा बालकनाथ यादव, दिया कुमारी,किरोड़ी लाल मीणा,अश्विनी वैष्णव जैसे नाम भी दौड़ में शामिल हैं. बालकनाथ का जन्म यादव परिवार में हुआ जो मूल ओबीसी की जाति है और जाट-बिश्नोई बहुल राज्य में ओबीसी के की तरह वंचित ओबीसी का प्रतिनिधित्व करती है.उन्हें सीएम बनाने से ना केवल राजस्थान बल्कि हरियाणा में भी पार्टी को लाभ मिल सकता है. यादव वोटर की बिहार और यूपी में क्या अहमियत है ये किससे छिपा नहीं है.

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