
राजस्थान के खाद्य मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने प्रदेश में ब्यूरोक्रेसी के हावी होने को लेकर नाराजगी जाहिर की है. उन्होंने बाकायदा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर आईएएस अधिकारियों की एसीआर (वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट ) मंत्रियों द्वारा भरने की मांग कर डाली है, ताकि सरकारी योजनाओं को ठीक से लागू किया जा सके. दरअसल, खाचरियावास अपने विभाग के अधिकारियों के कामकाज से नाराज चल रहे हैं. इस बाबत वह सीएम से बात कर चुके हैं. वहीं उनके कांग्रेस विधायक दिव्या मदेरणा ने भी उनका समर्थन किया है.
बुधवार को इस पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को सही समय पर यूटिलिटी सर्टिफिकेट नहीं भेजने के कारण राज्य का 46 हजार मेट्रिक टन गेहूं लेप्स हो गया. यह महीने भर पहले की बात है. तब मैंने बैठक बुलाकर अफसरों को डांटा और सख्त आदेश दिए. जिस तरह आईएएस अफसर काम कर रहे हैं वह सही नहीं है. जिन अफसरों ने जनता का गेहूं लैप्स करवा दिया, ऐसे अफसर के खिलाफ जांच कर कार्रवाई के लिए मैंने सीएम को लिखा है.
सीएम के चीफ सेक्रेटरी को भी किया था फोन
उन्होंने कहा, "मैंने सीएम के चीफ सेक्रेटरी कुलदीप रांका को भी फोन कर पूरी बात बताई और उनके नाराजगी भी व्यक्त की कि ऐसे धीरे-धीरे काम नहीं चलता है. यदि गेंहू लेप्स हुआ है तो ये आपकी भी जिम्मेदारी है. यदि कोई अधिकारी सरकार के आदेश की अवमानन कर रहा है तो उसके खिलाफ कार्रवाई होगी, तब लोकतांत्रिक व्यवस्था लागू होगी.
'आप सबके लिए एसीआर मत लिखिए'
खाचरियावास ने कहा कि यहां सवाल बीजेपी-कांग्रेस का नहीं है. मैंने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है. जिसमें कहा है कि आप सबके (आईएएस) लिए एसीआर मत लिखिए. यह हमको (मंत्रियों) लिखने दीजिए. क्योंकि अलग-अलग विभाग में अलग-अलग मंत्री हैं. ये अधिकार सब राज्यों में मंत्री के पास है. जब ये अधिकार आप भी मंत्रियों को देंगे तो ये आईएएस सुधरेगा. जब वो (अधिकारी) बात ही नहीं मानेंगे तो हम काम कैसे कराएंगे?"
कांग्रेस विधायक दिव्या मदेरणा ने दिया समर्थन
कांग्रेस विधायक दिव्या मदेरणा ने खाचरियावास का समर्थन करते हुए ट्विटर पर लिखा, "प्रताप खाचरियावास राजस्थान सरकार के वह कैबिनेट मंत्री हैं, जो हमेशा गरीब की आवाज उठाते हैं. आज उन्होंने गरीब के साथ होते शोषण और राजस्थान के अंदर नौकरशाही किस कदर हावी है, इसका पटाक्षेप किया. लेकिन उससे भी ज्यादा उन्होंने पावर के विकेंद्रीकरण की जो बात कही, वह काबिले तारीफ हैं."