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Rajasthan: कोबरा के डसने से 'स्नैकमैन' की मौत, आखिरी शब्द- आज डस लिया लगता है...

राजस्थान के चुरू जिले के सरदार शहर कस्बे में स्नेकमैन नाम से मशहूर विनोद तिवाड़ी (45) की कोबरा के डसने से मौत हो गई. इस घटना का सीसीटीवी फुटेज भी सामने आया है. विनोद को सांप पकड़ने में महारत हासिल थी. एक साथ पांच-पांच ब्लैक कोबरा जैसे जहरिलें सांपों को इन्होंने काबू किया था, लेकिन उनकी जिंदगी एक कोबरा ने ले ली.

स्नैकमैन विनोद तिवाड़ी की मौत स्नैकमैन विनोद तिवाड़ी की मौत
aajtak.in
  • चुरू,
  • 13 सितंबर 2022,
  • अपडेटेड 4:00 PM IST

करीब 20 सालों से सांप पकड़ रहे सर्प मित्र विनोद तिवाड़ी को एक कोबरा ने डस लिया. मौके पर ही विनोद तिवाड़ी की मौत हो गई है. यह पूरा घटनाक्रम सीसीटीवी कैमरे में कैद हुआ. विनोद को सांप पकड़ने में महारत हासिल थी. एक साथ पांच-पांच ब्लैक कोबरा जैसे जहरिलें सांपों को इन्होंने काबू किया था, लेकिन उनकी जिंदगी एक कोबरा ने ले ली.

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राजस्थान के चुरू जिले के सरदार शहर कस्बे में स्नेकमैन नाम से मशहूर विनोद तिवाड़ी (45) की कोबरा के डसने से मौत हो गई. इस घटना का सीसीटीवी फुटेज भी सामने आया है. तिवाड़ी शहर के वार्ड 21 के गोगामेड़ी के पास में शनिवार को सुबह 7 बजे एक कोबरा का रेस्क्यू कर रहे थे. विनोद ने कोबरा को पकड़ कर बैग में डाल लिया था, तभी सांप ने उनकी उंगली पर डस लिया.

डंक लगने का एहसास हुए तो विनोद खड़े हुए और कुछ कदम चले तभी बेहोश हो कर गिर पड़े. कुछ ही सेकेंड में उनकी मौत हो गई. मौके पर मौजूद शंकर लाल चौधरी ने बताया कि विनोद तिवाड़ी ने उंगली को चूसकर जहर निकालने की कोशिश की, उसके बाद वह पास ही लोक देवता महाराज की गोगामेड़ी पर माथा टेकते हैं.

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इस दौरान विनोद तिवाड़ी का जी घबराने लगता है, लोग उन्हें संभालते हैं तो उन्होंने आखिरी बोला कि आज जच (बुरी तरह से डस लिया) गया लगता है, इसी के साथ जमीन पर गिर गए और सांसें थम गईं. घटना के बारे में पता चलते ही तिवाड़ी के घर से उनका बेटा हर्ष (22) और पत्नी मौके पर पहुंचते हैं. उन्हें अस्पताल भी ले जाया जाता, लेकिन तब तक मौत हो चुकी थी.

विनोद तिवाड़ी के दोस्त नंदराम सहारन ने बताया कि सांपों को पकड़ कर सुरक्षित स्थान पर छोड़ने का काम वह करीब बीस सालों से कर रहे थे, उन्हें सांप पकड़ने में महारत हासिल थी,  एक साथ पांच-पांच ब्लैक कोबरा जैसे जहरीले सांपों को इन्होंने काबू किया था, सांप, गोह, गोहिरे को मारने नहीं देते थे, बल्कि इन्हें बचाने के लिए खुद पहुंच जाते थे.

 

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