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राजस्थान: CM पद की जंग... जयपुर में गहलोत भारी, पायलट के पीछे दिल्ली का दम!

राजस्थान कांग्रेस में सीएम पद लेकर गहरया सियासी संकट खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. अशोक गहलोत सीएम की कुर्सी सचिन पायलट के लिए छोड़ने के लिए तैयार नहीं है, जिसके लिए विधायकों को भी अपने साथ मिला रखा है. विधायकों के नंबर गेम में भले ही गहलोत मजबूत दिख रहे हों, लेकिन इस घमासान में पायलट ने गांधी परिवार का विश्वास जीतते दिख रहे हैं?

कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली ,
  • 26 सितंबर 2022,
  • अपडेटेड 1:35 PM IST

राजस्थान में मुख्यमंत्री पद की कुर्सी पर अशोक गहलोत काबिज रहेंगे या फिर सचिन पायलट विराजमान होंगे? इसे लेकर अब दोनों ही खेमे एक-दूसरे के खिलाफ आ गए हैं. कांग्रेस विधायकों का समर्थन जिस तरह से अशोक गहलोत के साथ है, उससे वो जयपुर में मजबूत दिख रहे हैं. वहीं, सचिन पायलट का खेमा भले ही इस बार खामोशी अख्तियार करके रखा हो, लेकिन उसे पार्टी हाईकमान का समर्थन हासिल है. इस तरह से राजस्थान में कांग्रेस के अंदर सीएम पद को लिए गहलोत और पायलट खेमे के बीच छिड़ी जंग में देखना होगा कि कौन बाजी मारता है? 

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माना जा रहा है कि कांग्रेस हाईकमान ने सचिन पायलट को  मुख्यमंत्री पद की कुर्सी सौंपने का फैसला कर लिया है, लेकिन यह फैसला गहलोत खेमे के विधायकों को मंजूर नहीं है. अशोक गहलोत के समर्थक 82 विधायकों ने अपना इस्तीफा स्पीकर सीपी जोशी को सौंप दिया है. इन विधायकों का कहना है कि नए मुख्यमंत्री को लेकर फैसला गहलोत की मर्जी के मुताबिक होना चाहिए. गहलोत गुट ने पायलट को सत्ता से दूर रखने समेत 3 शर्तें पार्टी नेतृत्व के सामने रखी हैं, लेकिन हाईकमान भी झुकने को तैयार नहीं है. 

गहलोत खेमा भले ही जयपुर में 80 से ज्यादा विधायकों के साथ मजबूत खड़ा दिख रहा हो, लेकिन इस बार पायलट के पीछे जिस तरह कांग्रेस नेतृत्व मजबूती के साथ खड़ा है, उसके चलते सीएम पद को लेकर टकराव बढ़ गया है. गहलोत गुट किसी भी सूरत में पायलट को सीएम के रूप में स्वीकार नहीं कर रहा है. यही वजह है कि गहलोत खेमे ने साफ तौर पर कहा है कि 2020 में पायलट के बगावत करने पर जिन 102 विधायकों ने सरकार बचाने का काम किया है, उनमें से किसी को भी बना दें उन्हें वो स्वीकार है, लेकिन पायलट नहीं. 

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वहीं, कांग्रेस हाईकमान भी गहलोत खेमे के विधायकों की शर्तें मानने को तैयार नहीं है. कांग्रेस पर्यवेक्षक मल्लिकार्जुन खड़गे और अजय माकन को राहुल गांधी ने विधायकों के बजाय सीएम अशोक गहलोत से मुलाकात कर मामले का हल निकालने का स्पष्ट संदेश दिया है और साथ ही विधायकों की शर्तों को मानने से साफ इंकार दिया. इस बात का संकेत है कि पायलट के पीछे कांग्रेस आलाकमान पूरी तरह से मजबूती से खड़ा है.

राजस्थान के नंबर गेम में गहलोत भारी
बता दें कि राजस्थान विधानसभा में 200 विधायक हैं. मौजूदा समय में कांग्रेस के पास 108 विधायक तो बीजेपी के पास 71 विधायक हैं. निर्दलीय 13 आरएलपी के 3 माकपा के 2 बीटीपी के 2 और आरएलडी का 1 विधायक हैं. गहलोत खेमे के 82 विधायकों ने स्पीकर को अपना इस्तीफा सौंपा है तो करीब 16 कांग्रेस विधायकों का समर्थन सचिन पायलट को है जबकि 10 विधायक तटस्थ हैं. इस तरह से विधायकों का समर्थन अशोक गहलोत के साथ दिख रहा है, जिसके दम पर सचिन पायलट के लिए चुनौती खड़ी हो गई है. 

गहलोत समर्थक विधायकों के बागी तेवर अपनाने के बाद अब राजस्थान में नए सीएम के चयन का संकट गहरा गया. ऐसे में गहलोत खेमे के प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि अभी तो अशोक गहलोत ही मुख्‍यमंत्री हैं. लोकतंत्र में चुनाव में फैसला वोट की ग‍िनती से होता है. लोकतंत्र संख्‍या बल से चलता है. विधायक जिसके साथ होंगे वही नेता होगा. कांग्रेस आलाकमान को पुरानी बातें भी ध्यान रखनी चाहिए कि राजस्थान में किस तरह सरकार को अस्थिर करने का काम किया था. इस तरह से गहलोत खेमे ने पायलट के सीएम बनने की राह में रोड़ा बन गए. 

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दिल्ली दरबार में पायलट मजबूत 
राजस्थान में मुख्यमंत्री पद की कुर्सी के लिए एक बार फिर से छिड़ी जंग में भले ही गहलोत ने विधायकों को साथ जोड़कर पायलट की राह में रोड़ा बने हो, लेकिन कांग्रेस नेतृत्व गहलोत के बजाय पायलट के साथ मजबूती से खड़ा है. यही वजह है कि कांग्रेस नेतृत्व ने विधायकों की शर्तें मानने से एक तरफ इंकार किया तो दूसरी तरफ अजय माकन ने कांग्रेस विधायक दल की बैठक के समानांतर में मंत्री धारीवाल के घर पर गहलोत खेमे की हुई मीटिंग प्रथम दृष्टि में अनुशासनहीनता का ही काम है. 

अजय माकन ने कहा कि सीएम आवास पर उनसे पूछ कर बैठक बुलाई गई थी. हमने कहा था कि हम सभी विधायकों से एक एक कर बात करेंगे, लेकिन वो अड़े रहे कि हम समूह में आएंगे. कांग्रेस की प्रथा रही है कि ऐसी स्थिति में सबसे अलग अलग बात की जाए. वहीं, विधायकों की मांग थी कि गहलोत के समर्थन में जो 102 विधायक हैं, उन्हीं में से सीएम बनाया जाए और सचिन पायलट को सीएम न बनाया जाए. 

माकन ने कहा कि हमने विधायकों से कहा कि उनकी चिंताओं को सुनेंगे, लेकिन विधायक अपनी शर्तों पर अड़े रहे. कांग्रेस में इस तरह से शर्तों पर बात नहीं होती. हमने साफ किया था कि विधायकों की बात सोनिया गांधी तक पहुंचाएंगे. इसके बाद गहलोत से बात करेंगी और फिर फैसला लिया जाएगा. खाचरियावास, महेश जोशी और शांति धारीवाल ने प्रस्ताव में सीएम को फैसला को 19 अक्टूबर के बाद रखने शर्त रखे थे. इस पर माकन ने उनसे कहा कि अशोक गहलोत खुद कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव लड़ रहे हैं. ऐसे में अध्यक्ष पर सब चीजें छोड़ी जा रही हैं तो 19 अक्टूबर को तो जब गहलोत खुद अध्यक्ष बन जाएंगे तो खुद को ही मजबूत करेंगे, तो यह हितों का टकराव होगा. 

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कांग्रेस पर्यवेक्षक के तौर पर पर्यवेक्षक मल्लिकार्जुन खड़गे और अजय माकन की बातों से साफ है कि कांग्रेस हाईकमान का विश्वास गहलोत के बजाय पायलट के साथ है. इसीलिए धारीवाल के घर पर हुई बैठक को माकन अनुशासनहीनता बता रहे हैं तो दूसरी तरफ गहलोत खेमे के विधायकों की शर्तें मानने से इनकार कर दिया है. इस तरह राजस्थान में सीएम पद को लेकर छिड़ी जंग में संख्या बल के मामले में सचिन पायलट गुट भले ही कमजोर दिख रहा है, पर पार्टी नेतृत्व का भरोसा हासिल करने में कामयाब होते दिख रहे हैं. 

किसके के पास क्या विकल्प
राजस्थान में गहराए सियासी संकट में अशोक गहलोत और सचिन पायलट के पास क्या सियासी विकल्प बचे हैं. गहलोत के पास विकल्प है कि वे खुद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनें और पायलट के सीएम बनने का समर्थन करें. हालांकि. गहलोत इसके पक्ष में नहीं दिख रहे. ऐसे में वो गांधी परिवार के साथ बातचीत करें और सीपी जोशी को सीएम और सचिन पायलट को प्रदेश अध्यक्ष बनाने के लिए राजी करें. 

वहीं, पायलट के पास विकल्प है कि कांग्रेस विधायकों की नाराजगी को देखते हुए राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष बन जाएं और समय का इंतजार करें. इसके अलावा दूसरा विकल्प है कि इंतजार करें, उम्मीद करें कि पार्टी आलाकमान गहलोत को उनके सीएम बनाने पर राजी कर लेगी. ऐसे में राजस्थान के राजनीतिक संकट को खत्म करने और गहलोत और पायलट के बीच सुलह-समझौते के लिए गांधी परिवार को खुद आगे आकर पहल करनी होगी और सीएम अशोक गहलोत से कहें कि नाराज विधायकों को मनाएं है और सचिन पायलट को मनाएं कि वक्त की नजाकत को समझते हुए किसी अन्य नेता को सीएम के रूप में स्वीकार करने के लिए रजामंद करें? 

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