
राजस्थान में जब कांग्रेस की सरकार थी, उस समय अशोक गहलोत और सचिन पायलट में कुर्सी की जबरदस्त खींचतान देखने को मिली थी. पार्टी आलाकमान ने दोनों नेताओं को दिल्ली बुलाकर खूब समझाया कि मीडिया के सामने किसी तरह के सार्वजनिक बयान देने से बचें, लेकिन दोनों ही नेता आलाकमान की खींची हुई लकीर पर नहीं चल पाए और खींचतान इस तरह बढ़ी कि पार्टी राजस्थान में विधानसभा का चुनाव हार गई.
अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों से पहले कांग्रेस ने अपने संगठन में बड़ा फेरबदल किया है. पार्टी ने शनिवार को प्रियंका गांधी की जगह अविनाश पांडे को यूपी का प्रभारी बनाया है, जबकि सचिन पायलट को छत्तीसगढ़ की जिम्मेदारी सौंपी गई है. छत्तीसगढ़ की प्रभारी रहीं कुमारी शैलजा को उत्तराखंड की जिम्मेदारी दी गई है. इसके अलावा केरल कांग्रेस के बड़े नेता रमेश चेन्निथला को महाराष्ट्र, रणदीप सिंह सुरजेवाला को कर्नाटक, मोहन प्रकाश को बिहार, देवेंद्र यादव को पंजाब की जिम्मेदारी दी गई है. इस लिस्ट में सबसे अधिक चौंकाने वाला नाम सुखजिंदर सिंह रंधावा का रहा है. दरअसल राजस्थान में रंधावा के प्रभारी रहते हुए पार्टी की हार हुई है. उसके बावजूद उन पर किसी भी तरह का एक्शन नहीं लिया गया है.
नेशनल अलायंस कमेटी में गहलोत भी शामिल
इससे पहले कांग्रेस ने राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को नेशनल अलायंस कमेटी में शामिल किया था. कांग्रेस ने नेशनल अलायंस कमेटी में जिन पांच नेताओं को शामिल किया है, उनमें अशोक गहलोत का नाम भी शामिल है. उनके अलावा इसमें मुकुल वासनिक, सलमान खुर्शीद, भूपेश बघेल और मोहन प्रकाश शामिल हैं. यह कमेटी लोकसभा चुनावों से पहले विपक्षी दलों के गठबंधन में सीटों के बंटवारे पर सहमति बनाने पर काम करेगी.
आलाकमान ने दे दिया मैसेज?
राजस्थान के दोनों बड़े नेताओं को राज्य से बाहर भेजकर पार्टी आलाकमान ने एक बड़ा संदेश भी दिया है. ऐसा माना जा रहा है कि पार्टी राज्य में कोई नया चेहरा तलाश रही है. दरअसल गहलोत गुट के नेता सचिन पायलट को सीएम बनते नहीं देखना चाहते और ये बीते दिनों देखने को भी मिल चुका है, जब आलाकमान ने अशोक गहलोत से सीएम की कुर्सी छोड़कर पार्टी अध्यक्ष का चुनाव लड़ने को कहा, लेकिन उनके साथी विधायकों ने ऐसा करने से इनकार कर दिया. यहां तक कि वो दिल्ली से भेजे गए पर्यवेक्षकों की मीटिंग में भी नहीं गए. उनका कहना था कि राज्य की बागडोर गहलोत ही संभालें. वहीं दूसरी ओर सचिन पायलट गुट है, जिसने पूरे पांच साल इसी इंतजार में बिता दिए कि उन्हें राज्य में कब सीएम बनाया जाएगा, लेकिन न गहलोत दिल्ली आए और न ही सचिन पायलट राजस्थान की ड्राइविंग सीट पर बैठ पाए. हालांकि अब तो ये बीते दिनों की बात हो गई. अब पार्टी ने दोनों नेताओं को राष्ट्रीय स्तर पर जिम्मेदारी दे दी है.
राज्य में नया चेहरा ढूंढ रही कांग्रेस!
इस समय राजस्थान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की लड़ाई भी चल रही है. दोनों नेताओं को दिल्ली बुला लिया गया है. इससे एक बात तो स्पष्ट हो गई है कि इन दोनों में से किसी को नेता प्रतिपक्ष नहीं बनाया जाएगा. अब नेतृत्व ऐसे चेहरे को तलाश रहा है, जिसको लेकर दोनों पक्षों की सहमति बने ताकि प्रदेश स्तर पर पहले की तरह खींचतान न दिखाई दे, जिसका फायदा हाल ही में हुए चुनावों में बीजेपी ने उठाया है. अब देखना होगा कि दिल्ली नहीं आने पर अड़े दोनों नेताओं की राष्ट्रीय राजनीति में एंट्री होने के बाद पार्टी राज्य में किस नए चेहरे को सामने करती है.