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राजस्थान: 'रेगिस्तानी जहाज' की जगह अब हवाई उड़ान का क्रेज, 55 दुल्हनों की हेलीकॉप्टर से विदाई

राजस्थान के गांव-ढाणी में खुशी के मौकों पर ऊंट की बजाय हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल किया जा रहा है. दुल्हन को हेलीकॉप्टर में बैठाकर ससुराल लाया जा रहा है. यहां तक कि बच्चे भी अपने माता-पिता की रिटारमेंट पर उन्हें हेलीकॉप्टर से ही घर ला रहे हैं. इस सीजन प्रदेश के कई जिलों में 55 शादियों में हेलीकॉप्टर से दुल्हन की विदाई की गई है.

इस सीजन राजस्थान में 55 शादियों में हेलीकॉप्टर से दुल्हन की विदाई हुई. इस सीजन राजस्थान में 55 शादियों में हेलीकॉप्टर से दुल्हन की विदाई हुई.
विशाल शर्मा
  • जयपुर,
  • 25 जून 2023,
  • अपडेटेड 11:26 AM IST

रेतीले धोरे की मरुधरा का प्रदेश राजस्थान, जहां के रेगिस्तानी जहाज यानि ऊंट को कौन नहीं जानता है. यहां के गांव-ढाणी में कई सालों से शादी में दूल्हे को रेगिस्तानी जहाज पर बैठाकर बारात निकाली जाती रही है. लेकिन अब ग्रामीण अंचल में भी खुशी के मौके पर उड़न खटोले यानि हेलीकॉप्टर को शामिल करने का क्रेज दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है.

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शादी के अलावा ग्रामीण इलाकों में नौकरीपेशा लोगों के बच्चे अपने माता-पिता की रिटायरमेंट पर भी उन्हें खुशी देने के लिए भी इसे बुक करवा रहे हैं. यही वजह है कि कठूमर में पिछले दिनों सितंबर महीने में हुई शादी बड़ी चर्चा का विषय रही. इसमें एक गरीब परिवार में बेटे की शादी में पिता ने खुशी को जाहिर करने के लिए हेलीकॉप्टर बुक करवा लिया.

पहले तो ग्रामीणों को यह कोई मजाक लगा, मगर जब हेलीकाप्टर में दूल्हा अपनी दुल्हन को लेकर घर पहुंचा तो सब चौंक गए. इसके बाद कई नजदीकी गांवों में भी हेलीकॉप्टर से बारात गईं और दुल्हन को हवाई सफर से ब्याह कर लाए.

शादियों में हेलीकॉप्टर का बढ़ रहा ट्रेंड
यही नहीं, अलवर जिले में भी एक गरीब परिवार की ओर से हेलीकॉप्टर से दुल्हन को ससुराल लाना चर्चा का विषय बना रहा. जिसमें दूल्हे के माता-पिता ने अपने बेटे की खुशी के लिए हेलीकॉप्टर की बुकिंग करवाई. वहीं, दुल्हन के अलावा बारातियों को भी हेलीकॉप्टर से ले जाने का नया ट्रेंड इन दिनों सामने आया है, जिसमें दूल्हे का परिवार बारात में खास लोगों को भी हेलीकॉप्टर से लेकर लेकर जा रहे हैं.

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शहर में लैंडिंग स्पेस की दिक्कत
शहरी लोग शादियों में हेलीकॉप्टर की लैंडिंग के स्पेस के ना होने के चलते इसको इस्तेमाल से बच रहे हैं. वहीं, ग्रामीण इलाकों में इसकी कोई समस्या नहीं है. क्योंकि इसकी परमिशन से जुड़ी स्वीकृति के बाद ही बुकिंगकर्ता को प्राइवेट जगह पर हेलीपैड बनाने के लिए जगह उपलब्ध करवाई जाती है.

बता दें, इस सीजन प्रदेश के कई जिलों में 55 शादियों में हेलीकॉप्टर से दुल्हन की विदाई हुई. इतना ही नहीं कई शादियों में हेलीकॉप्टर उपलब्ध नहीं होने की वजह से हेलीकॉप्टर की बजाय मजबूरन लग्जरी गाड़ियों में दुल्हन को लाया गया, जिससे अंदाजा लगाना आसान है कि राजस्थान में हेलीकॉप्टर का कितना क्रेज हो चुका है.

एक हेलीकाप्टर की बुकिंग करीब ढाई लाख तक
एवन हेलीकॉप्टर डायरेक्टर के सोहन सिंह के अनुसार, प्रदेश में एवन कंपनी के पास तीन हेलीकॉप्टर हैं, जिसके एक हेलीकाप्टर की बुकिंग करीब ढाई लाख तक की जाती है. इसके बाद अगर हेलीकॉप्टर की डिमांड होती है तो वह नजदीकी राज्यों से मंगाया जाता है, जिनकी कीमत दोगुनी होती है.


लेकिन फिर भी यहां हेलीकॉप्टर की डिमांड कम होने के बजाय बढ़ती ही जा रही है. जिसके चलते पिछले दिनों शादियों के सीजन में कई लोगों को हेलीकॉप्टर की उपलब्ध भी नहीं हो सके.

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आंकड़ों की बात करें तो पिछले दिनों शादियों के सीजन में प्रदेश के गांवो में करीब 55 ऐसी शादियां हुईं जिनमें दुल्हन को ससुराल तक लाने के लिए दूल्हे ने हेलीकॉप्टर से उड़ान भरी. इतना ही नहीं आगामी सीजन के सावों की भी एडवांस बुकिंग लगभग पूरी हो चुकी है. इन सभी में अधिकतर मिडिल क्लास परिवार की शादियां शामिल हैं.

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