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Rajasthan Exit Poll Result 2024: राजस्थान में 10 साल बाद कांग्रेस की वापसी की ये हैं 10 वजह, BJP को इस बार लग रहा झटका 

Rajasthan Lok Sabha Election Exit Poll Results 2024: राजस्थान में इस बार एग्जिट पोल में बीजेपी को 51 फीसदी वोट मिलते हुए दिखाई दे रहे हैं, वहीं इंडिया ब्लॉक को 41 फीसदी वोट मिलने के अनुमान है. अगर सीटों की बात करें तो एनडीए को 16 से 19 सीटें मिल सकती हैं और इंडिया ब्लॉक को पांच से सात सीटें मिलती दिख रही हैं.

राजस्थान में NDA को इस बार लगा झटका राजस्थान में NDA को इस बार लगा झटका
शरत कुमार
  • जयपुर,
  • 01 जून 2024,
  • अपडेटेड 3:31 PM IST

Rajasthan Exit Poll Result 2024राजस्थान में एग्जिट पोल में भारतीय जनता पार्टी को झटका मिलता हुआ दिखाई दे रहा है. जहां बीजेपी को 51 फीसदी वोट मिलते हुए दिखाई दे रहे हैं, वहीं इंडिया ब्लॉक को 41 फीसदी वोट मिलने के अनुमान है. अगर सीटों की बात करें तो एनडीए को 16 से 19 सीटें मिल सकती हैं और इंडिया ब्लॉक को पांच से सात सीटें मिलती दिख रही हैं. आखिर ऐसा क्या हुआ कि 2019 में एनडीए ने राज्य में क्लीन स्वीप किया था, वहां इस बार 5-7 सीटों का नुकसान होने की संभावना है. 10 प्वाइंट में समझिए-   

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1- जाटों की नाराजगी- इस बार लोकसभा चुनाव में जाट वोट बैंक बीजेपी से खिसका नजर आया, जिसका असर शेखावटी समेत बाड़मेर और नागौर में भी देखने को मिला. राहुल कस्वां का टिकट चुरू से कटने की वजह बीजेपी के राजपूत नेता राजेंद्र राठौड़ को माना. किसान आंदोलन और अग्निवीर योजना भी इसकी वजह रही. 

2- सचिन पायलट फैक्टर- विधानसभा चुनाव में पायलट समर्थकों ने गहलोत के खिलाफ वोट दिए थे मगर इस बार ये कांग्रेस के साथ खड़े रहे. सचिन पायलट का जमकर प्रचार करना भी बड़ा फैक्टर रहा. विधानसभा चुनाव में साथ देने के बावजूद गुर्जरों को भजनलाल सरकार में हिस्सेदारी नहीं मिली. 

 

3- मीणा वोटरों में असंतोष- राजस्थान में इस चुनाव में पहली बार कांग्रेस के मजबूत वोट बैंक रहे मीणा डॉक्टर किरोड़ी लाल मीणा की वजह से बीजेपी के साथ आए थे. मगर मीणा को मंत्रिमंडल में विभाग अच्छे नहीं मिले और सरकार में पूछ भी नहीं रही. 

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4- वसुंधरा गुट का विरोध- राजस्थान के एक दर्जन सीटों पर वसुंधरा गुट ने पार्टी के उम्मीदवारों के खिलाफ काम किया या फिर पार्टी के लिए कोई काम नहीं किया. खुद वसुंधरा राजे ने उम्मीदवार के लिए प्रचार नहीं किया.  

5- भजनलाल सरकार के अनुभव की कमी- पहली बार मुख्यमंत्री बने भजनलाल शर्मा के लिए मुख्यमंत्री बनते ही चुनाव में उतरना भारी पड़ गया. सभी बड़े नेता चुनाव लड़ रहे थे. वसुंधरा ने अपने बेटे दुष्यंत के लोकसभा चुनाव तक सीमित कर लिया था. प्रचार बिखरा हुआ था.

6- अशोक गहलोत का नहीं होना- राजस्थान के चुनाव प्रचार में अशोक गहलोत का एक्टिव नहीं होने या किसी पद पर नहीं होने से जनता में पांच साल के गहलोत सरकार के शासन की नाराजगी नहीं दिखी. गहलोत अपने बेटे वैभव गहलोत के लोकसभा क्षेत्र जालौर सिरोही तक खुद को क़ैद कर लिए थे.  

7- राजपूतों की नाराजगी- केंद्रीय मंत्री पुरषोत्तम रूपाला के बयान पर विवाद का असर राजस्थान में भी दिखा. इसके अलावा बाड़मेर से रविन्द्र सिंह भाटी के टिकट कटने से भी बीजेपी से राजपूत नाराज हुए. 

8- आरक्षण खत्म की अफवाह- सोशल मीडिया पर मोदी के सत्ता में आने पर आरक्षण ख़त्म करने के अफ़वाह से भी एससी एसटी में कुछ नुक़सान हुआ. 

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9- विधायकों की नाराजगी- पार्टी में कमाई करने की ताक में बैठे विधायक भ्रष्टाचार और अवैध खनन पर लगाम लगने से नाराज थे. भजनलाल ने ट्रांसफर-पोस्टिंग में पैसे की कमाई भी बंद कर दी है.  

10- जीत के प्रति अति आत्मविश्वास- राजस्थान में सबसे पहले चुनाव था तब समझ रहे थे मोदी तो आ ही रहे हैं. वोटिंग कम हुई. बीजेपी भी उतना एक्टिव नहीं थी. पहले फेज के बाद ही एक्टिव हुई थी. 

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