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रात 8 बजे से 10 बजे तक ही पटाखे जलाने के निर्देश... राजस्थान सरकार ने तय की आतिशबाजी के लिए गाइड लाइंस

पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन विभाग के अनुसार, साइलेंस जोन, जैसे अस्पताल, नर्सिंग होम, स्कूल, कॉलेज, कोर्ट और धार्मिक स्थलों के आसपास 100 मीटर की दूरी पर पटाखे जलाने पर पूरी तरह से रोक लगाई गई है. इससे मरीजों, छात्रों और धार्मिक स्थलों पर शांतिपूर्ण वातावरण बनाए रखने में मदद मिलेगी.

पटाखों को लेकर राजस्थान सरकार ने जारी किए सख्त दिशा-निर्देश पटाखों को लेकर राजस्थान सरकार ने जारी किए सख्त दिशा-निर्देश
शरत कुमार
  • जयपुर,
  • 27 अक्टूबर 2024,
  • अपडेटेड 10:24 AM IST

राजस्थान सरकार ने इस बार दीपावली, क्रिसमस और नए साल जैसे प्रमुख त्योहारों पर आतिशबाजी के लिए सख्त नियम लागू किए हैं. सरकार की ओर से जारी इस निर्देश के अनुसार त्योहारों पर आतिशबाजी के समय को सीमित किया गया है. राज्य सरकार ने एनसीआर क्षेत्र के जिलों, जैसे अलवर और भरतपुर में दीपावली पर पटाखे फोड़ने के लिए समय सीमा तय की है. इन जिलों में लोग रात 8 बजे से 10 बजे तक ही पटाखे जला सकेंगे. इसके अलावा, क्रिसमस और नए साल की रात को केवल आधे घंटे (रात 11:55 बजे से 12:30 बजे तक) पटाखों का उपयोग करने की अनुमति दी गई है.

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पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन विभाग के अनुसार, साइलेंस जोन, जैसे अस्पताल, नर्सिंग होम, स्कूल, कॉलेज, कोर्ट और धार्मिक स्थलों के आसपास 100 मीटर की दूरी पर पटाखे जलाने पर पूरी तरह से रोक लगाई गई है. इससे मरीजों, छात्रों और धार्मिक स्थलों पर शांतिपूर्ण वातावरण बनाए रखने में मदद मिलेगी. पर्यावरण को प्रदूषण से बचाने के उद्देश्य से राजस्थान सरकार ने दिवाली और अन्य मौकों पर ग्रीन पटाखों के उपयोग पर जोर दिया है. शादी-ब्याह और अन्य समारोहों में भी सिर्फ ग्रीन पटाखों का ही उपयोग करने की अनुमति होगी. ग्रीन पटाखों से होने वाला प्रदूषण अपेक्षाकृत कम होता है, जिससे वायु गुणवत्ता को बनाए रखने में सहायता मिलती है.

राज्य सरकार ने सभी जिला प्रशासन को निर्देश दिया है कि वे प्रतिबंधित पटाखों की बिक्री पर पूरी तरह से निगरानी रखें. किसी भी बाजार में प्रतिबंधित पटाखे बेचने की अनुमति नहीं होगी.
राज्य के सभी थानों के इंचार्ज को निर्देश दिया गया है कि वे स्कूल और कॉलेजों में जाकर बच्चों को पटाखों के नुकसान और सुरक्षित उपयोग के प्रति जागरूक करें. बच्चों में सुरक्षित आतिशबाजी और पर्यावरण के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, ताकि दीवाली का उत्सव सुरक्षित तरीके से मनाया जा सके.

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