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पोस्टमार्टम के बाद भी जिंदा हो सकता है कोई शख्स? पढ़ें- राजस्थान की घटना पर क्या बोले एक्सपर्ट्स

जयपुर के एसएमएस अस्पताल में इमरजेंसी मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. राजेश शर्मा ने बताया कि ये असंभव है कि कोई शख्स पोस्टमार्टम के बाद जिंदा हो जाए, लेकिन हां, डीप फ्रीजर में रखने के बाद ऐसा होने के चांस हो सकते हैं.

डॉ. राजेश शर्मा औऱ डॉ. बीपी मीना (बाएं से दाएं) डॉ. राजेश शर्मा औऱ डॉ. बीपी मीना (बाएं से दाएं)
शरत कुमार
  • जयपुर,
  • 23 नवंबर 2024,
  • अपडेटेड 3:06 AM IST

राजस्थान के झुंझुनू की एक घटना ने सभी को हैरानी में डाल दिया है. दरअसल,यहां एक व्यक्ति को पोस्टमार्टम के बाद मृत घोषित कर दिया गया. उसकी बॉडी को 4 घंटे तक डीप फ्रीज में रखा गया, लेकिन जब अंतिम संस्कार के लिए शव दिया, तो मृत व्यक्ति की सांसें चलती हुई दिखाई दीं. इस घटना के बाद हड़कंप मच गया. हालांकि आजतक ने इसे लेकर एक्सपर्ट्स से बात की औऱ ये जानने की कोशिश की कि ऐसा कैसे संभव हो सकता है.

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जयपुर के एसएमएस अस्पताल में इमरजेंसी मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. राजेश शर्मा ने बताया कि ये असंभव है कि कोई शख्स पोस्टमार्टम के बाद जिंदा हो जाए, लेकिन हां, डीप फ्रीजर में रखने के बाद ऐसा होने के चांस हो सकते हैं. दरअसल, हाइपोथर्मिया से पेशेंट के सेल्युलर मेटाबॉलिज्म बहुत कम हो जाते हैं, हालांकि कई घंटों तक उसके सारे अंग एक्टिव रह सकते हैं, जब मरीज हाइपोथर्मिया से बाहर निकलता है, तो सेल्युलर मेटाबॉलिज्म नॉर्मल हो जाता है.

उन्होंने कहा कि डीप फ्रीजर में रखने से हर अंग की सेल्युलर मेटाबॉलिज्म कम हो जाती है, लंबे समय बाद जब वह नॉर्मल टेंप्रेचर में आता है तो उसके शरीर में क्रियाएं हो सकती हैं, लेकिन पोस्टमार्टम के बाद ऐसा होना पॉसिबल नहीं है.

'पोस्टमार्टम के बाद जिंदा होना असंभव'

वहीं, एसएमएस अस्पताल के डॉ. बी.पी. मीना ने कहा कि पोस्टमार्टम के बाद जिंदा हो जाना असंभव है. उन्होंने कहा कि जब शख्स को अस्पताल में लागा गया तो उसकी पल्स औऱ बीपी देखा गया, पूरा क्लीनिकल एग्जामिन किया गया, उसमें सामने आया कि शख्स में मृत हो चुका था. उन्होंने कहा कि अगर मरीज को डीप फ्रीजर में रख दिया गया, उसके बाद भी वह जिंदा हो जाता है तो ये असंभव सी घटना लगती है. 

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4 घंटे तक डीप फ्रीज में रखा गया शव

बता दें कि झुंझुनू के बग्गड़ में रोहिताश नाम का एक दिव्यांग और मानसिक रूप से विक्षिप्त व्यक्ति मां सेवा संस्थान में रह रहा था. गुरुवार की सुबह बेहोशी की हालत में उसे इलाज के लिए सरकारी बीडीके अस्पताल की इमरजेंसी में लाया गया था, जहां डॉक्टर ने रोहिताश को मृत घोषित कर दिया. उसके बाद शव को बीडीके अस्पताल की मोर्चरी में शिफ्ट करवा दिया गया.

अंतिम संस्कार से पहले जिंदा हुआ शख्स

करीब दो घंटे बाद शव का पोस्टमार्टम कर अंतिम संस्कार के लिए संस्थान को सुपुर्द किया गया था, लेकिन अंतिम संस्कार के लिए ले जाने के दौरान मृत रोहिताश जिंदा हो गया. आनन-फानन में रोहिताश को जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उसकी मौत हो गई. इस मामले में लापरवाही बरतने वाले तीन डॉक्टरों को सस्पेंड कर दिया गया है.

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