
राजस्थान में इस साल विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं. चुनावी मौसम में एक बार फिर बीजेपी बनाम कांग्रेस की सियासी लड़ाई शुरू हो गई है. सियासी पारा इतना हाई है कि कल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी पार्टी के लिए एक मेगा रैली को संबोधित करने जा रहे हैं. वे राजस्थान के भीलवाड़ा आ रहे हैं. अब भीलवाड़ा आने का एक बड़ा कारण ये है कि वहां पर गुर्जर समाज अच्छी उपस्थिति में रहता है. उस क्षेत्र में उसका निर्णायक वोट है. पिछले विधानसभा चुनाव में इस इलाके में बीजेपी का प्रदर्शन लचर रहा था, ऐसे में पीएम वहां पर सियासी पिच को मजबूत करना चाहते हैं.
गुर्जर वोटर और पार्टियों की राजनीति
अब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक बड़ा सियासी दांव खेल दिया है. पीएम मोदी के दौरे से ठीक पहले उनकी तरफ से बड़ा ऐलान हुआ है. भगवान श्री देवनारायण जयंती पर राज्य में राजकीय अवकाश घोषित कर दिया गया है. अब ये सिर्फ एक जंयती की बात नहीं है, असल में आसींद समाज के लोग भगवान श्री देवनारायण को अपना इष्टदेव मानते हैं. उनके प्रति समाज की आस्था प्रबल है और लंबे समय से मांग भी की जा रही थी. ऐसे में सीएम अशोक गहलोत ने कल राजकीय अवकाश की घोषणा कर दी. इस एक फैसले की टाइमिंग पर ही सारे सवाल उठ रहे हैं. अब क्योंकि प्रधानमंत्री भी उसी समाज को साधने के लिए मेगा रैली करने जा रहे हैं, तो कांग्रेस ने ये बड़ा दांव चला है.
पीएम का क्या कार्यक्रम?
जानने वाली बात ये भी है कि ये पूरा इलाका सचिन पायलट का गढ़ माना जाता है. यहां गुर्जर समाज दिल खोलकर कांग्रेस को वोट करता है. पिछले विधानसभा में कांग्रेस की जीत में इस समाज ने अहम भूमिका निभाई थी. अब बीजेपी भी उस गलती को सुधारना चाहती है. जिस गुर्जर समाज का कम वोट उसे पिछली बार मिला था, इस बार भरपाई करने की तैयारी है. इसलिए पार्टी ने अपने सबसे बड़े स्टार प्रचारक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आगे कर दिया है. कल की पूरी रैली इसी समाज के इर्द-गिर्द रहने वाली है. पीएम के दौरे की बात करें तो वे भगवान श्री देवनारायणजी के 1111वें अवतरण मोहत्सव के लिए राज्य आ रहे हैं. वहां पर पूर्जा-अर्चना करने के बाद उनकी तरफ से एक विशाल जनसभा को संबोधित किया जाएगा. बीजेपी दावा कर रही है कि उस रैली में 3 से 4 लाख लोग आ सकते हैं.
सियासत में कितना असरदार गुर्जर वोट?
वैसे इस गुर्जर समाज पर खास फोकस रखने की अहम वजह भी है. राजस्थान के 33 में से 15 ऐसे जिले हैं जहां पर ये गुर्जर समाज ही हार-जीत का अंतर तय कर जाता है. जयपुर, अजमेर, टोंक, भीलवाड़ा, बूंदी, कोटा जैसे ये वोल इलाके हैं जहां पर गुर्जर समाज ही निर्णायक रहता है. बीजेपी के लिए चिंता की बात ये है कि पिछले विधानसभा में उसके 9 गुर्जर प्रत्याशियों ने हार दर्ज की थी. वहीं कांग्रेस के 12 में से 8 नेताओं ने जीत दर्ज की.