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राजस्थान: सुभाष महरिया की 'घर वापसी', शेखावाटी में बीजेपी को मिलेगी संजीवनी?

जाट समुदाय से आने वाले सुभाष महरिया अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में मंत्री थे. इसके अलावा उन्होंने भाजपा के किसान मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया था. उनका ग्राफ 2009 में लोकसभा चुनाव हारने के बाद गिरना शुरू हो गया था. 2014 में बीजेपी ने उनका टिकट काट दिया था, जिसकी वजह से उन्होंने पार्टी छोड़ दी थी.

बीजेपी में शामिल हुए सुभाष महरिया बीजेपी में शामिल हुए सुभाष महरिया
जयकिशन शर्मा
  • जयपुर,
  • 21 मई 2023,
  • अपडेटेड 5:59 AM IST

राजस्थान विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के सीनियर नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुभाष महरिया ने शुक्रवार को 'घर वापसी' कर ली. सीकर से तीन बार के सांसद रहे महरिया साल 2016 में बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए थे. सुभाष महरिया की घर वापसी के बाद अब बीजेपी शेखावाटी के जाट वोटरों को अपने साथ लाने की कोशिश में जुट गई है. 

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महरिया का जन्म 1957 में सीकर जिले में हुआ था. वह राजस्थान के शेखावाटी क्षेत्र के सबसे दिग्गज नेताओं में से एक हैं. वह पहली बार 1998 में लोकसभा सांसद चुने गए थे, उसके बाद 1999 और 2004 में सीकर संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया. 

जाट समुदाय से आने वाले महरिया अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में मंत्री थे. इसके अलावा उन्होंने भाजपा के किसान मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया था. उनका ग्राफ 2009 में लोकसभा चुनाव हारने के बाद गिरना शुरू हो गया था. बाद में बीजेपी ने साल 2014 में उनका टिकट काट दिया, जिसकी वजह से उन्होंने पार्टी छोड़ दी और कांग्रेस में शामिल हो गए. कांग्रेस ने उन्हें 2019 में लोकसभा का टिकट दिया, लेकिन वह बुरी तरह चुनाव हार गए. 

महरिया से बीजेपी को क्या मिल सकता है? 

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विधानसभा चुनाव 2018 में कांग्रेस की ऐसी आंधी चली थी, जिसमें बीजेपी और माकपा का सूपड़ा साफ हो गया. सीकर की आठ में से सात सीटों पर कांग्रेस ने जीत हासिल की और एक सीट निर्दलीय के खाते में गई. झुंझुनू की सात सीटों में से छह पर कांग्रेस और एक पर भाजपा ने जीत दर्ज की थी. चूरू की छह में से चार सीटों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की, जबकि भाजपा दो सीटों पर जीत दर्ज करने में सफल रही यानी शेखावाटी की कुल 21 सीटों में से बीजेपी तीन ही सीट जीत सकी. शेखावाटी में हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय जनतांत्रिक पार्टी एक भी सीट नहीं जीत पाई थी. 

महरिया के शामिल होने से बीजेपी की उम्मीदें बढ़ीं  

महरिया के पार्टी में शामिल होने से बीजेपी को शेखावाटी क्षेत्र में सीटें बढ़ने की उम्मीद है. पिछले साल शेखावाटी के जाटों को लुभाने के लिए भाजपा ने पिछले साल उपराष्ट्रपति पद के लिए क्षेत्र के एक अन्य जाट नेता जगदीप धनखड़ को नामित किया था.  

डोटासरा के खिलाफ चुनाव लड़ सकते हैं महरिया 

महरिया की एंट्री कम से कम सीकर जिले में बीजेपी के लिए उत्प्रेरक हो सकती है. वे लक्ष्मणगढ़ से कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के खिलाफ चुनाव लड़ सकते हैं. हालांकि सीकर के मौजूदा सांसद महरिया की एंट्री से नाखुश नजर आ रहे हैं. बीजेपी नेता सुमेधानंद सरस्वती ने महरिया पर तंज कसते हुए कहा कि एक मुट्ठी अनाज से ट्रक क्विंटल में कुछ नहीं होता है. 

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