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क्या अपने विधायकों पर आरोप लगाना अनुशासनहीनता नहीं? पायलट ने गहलोत पर साधा निशाना

सचिन पायलट ने आजतक से बातचीत में कहा, 2023 का चुनाव किसके नेतृत्व में लड़ा जाएगा, ये फैसला पार्टी आलाकमान करेगी. उन्होंने अशोक गहलोत के बयान का जिक्र करते हुए कहा, कर्नाटक में चुनाव से तीन दिन पहले अपनी पार्टी के नेताओं पर आरोप लगाना, क्या अनुशासनहीनता में नहीं आता? अनुशासन सबके लिए बराबर है.

सचिन पायलट (फाइल फोटो) सचिन पायलट (फाइल फोटो)
प्रीति चौधरी
  • जयपुर,
  • 15 मई 2023,
  • अपडेटेड 1:44 PM IST

कांग्रेस नेता सचिन पायलट राजस्थान में 5 दिन की पदयात्रा पर हैं. इस दौरान राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर निशाना साधते हुए पूछा कि क्या अपने ही विधायकों पर खुलकर आरोप लगाना अनुशासनहीनता नहीं है. उन्होंने कहा, वे भ्रष्टाचार के खिलाफ यात्रा निकाल रहे हैं. यह अनुशासनहीनता नहीं है. 

सचिन पायलट ने आजतक से बातचीत में कहा, 2023 का चुनाव किसके नेतृत्व में लड़ा जाएगा, ये फैसला पार्टी आलाकमान करेगी. उन्होंने अशोक गहलोत के बयान का जिक्र करते हुए कहा, कर्नाटक में चुनाव से तीन दिन पहले अपनी पार्टी के नेताओं पर आरोप लगाना, क्या अनुशासनहीनता में नहीं आता? अनुशासन सबके लिए बराबर है. 25 दिसंबर को जो हुआ, वो अनुशासनहीनता थी. पार्टी ने नोटिस जारी किया, उस पर अभी तक कार्रवाई नहीं हुई.

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पायलट ने कहा, कर्नाटक में पार्टी ने भ्रष्टाचार के मुद्दे पर चुनाव लड़ा. यही हमने राजस्थान में किया था. अब भ्रष्टाचार के मामले में कार्रवाई होनी चाहिए. हम इसी मांग को लेकर यात्रा निकाल रहे हैं. 

मेरे प्रदेश अध्यक्ष रहते 2018 में हमने 100 सीटें जीतीं- पायलट

पूर्व डिप्टी सीएम ने कहा, मैंने पूरी यात्रा के दौरान किसी के खिलाफ कुछ नहीं कहा. 2018 में मैं अध्यक्ष था. मैंने सभी नेताओं के हाथ पैर जोड़कर इकट्ठा किया. 2018 में हम चुनाव जीते. 2013 में जब हमारी सरकार गई, वे (गहलोत) सीएम थे. हम 20 सीटों पर सिमट गए थे. 2018 में हम 100 सीटें जीतें. 

उनसे जब पूछा गया कि अगर डीके शिवकुमार उप मुख्यमंत्री बनते हैं और हाईकमान की बात मानते हैं, तो आपको नहीं लगता कि आपको भी बात माननी चाहिए? इस पर पायलट ने कहा, मैं भी 2018 में डिप्टी सीएम बना था. मैंने तब हाईकमान की बात मानी थी. 

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भ्रष्टाचार के मामले में कार्रवाई करे सरकार-पायलट

सचिन पायलट ने कहा, भ्रष्टाचार के आरोपों पर कार्रवाई सरकार को करनी है, न कि पार्टी हाईकमान को. मुझे उम्मीद है कि सरकार लोगों की बात सुनकर कार्रवाई करेगी. उन्होंने कहा, ये मुद्दे जनता के हैं. ये किसी जाति धर्म से नहीं जुड़े. 

क्या कहा था गहलोत ने?

दरअसल, कांग्रेस नेता सचिन पायलट के नेतृत्व में जुलाई 2020 में कांग्रेस के 18 विधायकों ने बगावत कर दी थी. पार्टी हाईकमान के दखल के बाद एक महीने तक चला ये सियासी ड्रामा खत्म हुआ था. इसके बाद पायलट को डिप्टी सीएम पद और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा दिया गया था.

अब अशोक गहलोत ने हाल ही में इस घटना का जिक्र करते हुए दावा किया था, दावा किया था कि 2020 में जब सचिन पायलट के नेतृत्व में कुछ कांग्रेसी विधायकों ने बगावत की थी, तब वसुंधरा राजे और कैलाश मेघवाल ने उनकी सरकार बचाई थी. इतना ही नहीं अशोक गहलोत ने कहा था, ''तीन साल पहले कांग्रेस विधायकों को जो पैसे बांटे गए थे, अब उस पैसे को बीजेपी वापस नहीं ले रही है. मुझे चिंता है कि पैसे क्यों वापस नहीं ले रहे जबकि मैं कह रहा हूं कि जो पैसे विधायकों से खर्च हो गए है, उस पार्ट को मैं दे दूंगा, कांग्रेस पार्टी से दिला दूंगा. उनका पैसा मत रखो, पैसा अपने पास रखोगे तो हमेशा अमित शाह आप पर दबाव बनाएंगे, वो गृहमंत्री भी हैं. वो धमकाएंगे, डराएंगे, जैसे उन्होंने गुजरात और महाराष्ट्र में धमकाया है. शिवसेना के दो टुकड़े उन्होंने कर दिए.''

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पायलट ने किया था पलटवार

गहलोत के इस बयान पर पायलट ने पलटवार किया था. उन्होंने कहा था, अशोक गहलोत का पिछला भाषण हमने सुना, इसे भाषण को सुनने के बाद मुझे लगता है कि उनकी (अशोक गहलोत) नेता सोनिया गांधी नहीं बल्कि उनकी नेता वसुंधरा राजे सिंधिया हैं.

सचिन पायलट ने अशोक गहलोत के बयान जिक्र कर कहा था, एक तरफ ये कहा जा रहा है कि हमारी सरकार को गिराने का काम बीजेपी कर रही थी. दूसरी तरफ कह रहे हैं कि हमारी सरकार वसुंधरा राजे ने बचाई थी. इस बयान में काफी विरोधाभास है. मुझे लगता है कि इसे स्पष्ट करना चाहिए.

 

 

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