
ग्लोबल वार्मिंग से लोगों को बचाने के लिए राजस्थान जन्मे संदीप चौधरी ने 'इन्फ्लेक्टर कांच विंडो' को भारत के कोने-कोने में पहुंचाने की मुहिम शुरू की है. इसके लिए संदीप चौधरी ने इंफ्लेक्टर इंडिया नाम से स्टार्ट अप शुरू किया है.
राजस्थान के झुंझुनू जिले में जन्मे संदीप चौधरी की जिंदगी उतार-चढ़ाव भरी रही. संदीप ने आईटी क्षेत्र में अपना करिअर बनाने की कोशिश की, फिर कुछ समय बाद एक इलेक्ट्रिक शोरूम खोला. कुछ दिन बाद 50 मिलियन डॉलर का फिन-टेक स्टार्टअप बैंक साथी शुरू किया, लेकिन उसे छोड़कर 'इन्फ्लेक्टर' प्रोजेक्ट पर काम करने लगे.
क्या है इन्फ्लेक्टर?
इन्फ्लेक्टर एक सोलर हीट बैरियर है, जिसको नासा ने बनाया है. 1960 में नासा ने अपोलो मिशन के दौरान एस्ट्रोनॉट्स के स्पेसशूट में सबसे पहले इन्फ्लेक्टर का उपयोग किया गया था. इसकी कामयाबी के बाद 90 के दशक में इसका कॉर्मशियल इस्तेमाल शुरू हुआ. इसका पेटेंट अभी भी नासा के पास है और दुनिया के 60 से अधिक देश अलग-अलग तरीके से इन्फ्लेक्टर का इस्तेमाल करते हैं.
संदीप चौधरी और इन्फ्लेक्टर का कनेक्शन?
संदीप चौधरी की माने तो एक रिसर्च में यह बात निकल आई थी कि 70 से 80 फीसदी सोलर हीट विंडो के जरिए आता है, फिर हमने इस पर काम किया और इन्फ्लेक्टर के विंडो शीट को लॉन्च किया. संदीप चौधरी के पास भारत, नेपाल, श्रीलंका, भूटान और दुबई के राइट्स हैं. आने वाले समय में संदीप इन्फ्लेक्टर विंडो को दो कांच के अंदर इसे फिक्स करने का काम कर रहे हैं, जिससे कांच की बड़ी-बड़ी इमारतों में इसको लगाया जा सके.
कैसे काम करता है इन्फ्लेक्टर?
संदीप चौधरी ने बताया कि इन्फ्लेक्टर एक चौकोर आकार का होता है, इसे आप अपनी खिड़की पर चार तरीके से लगा सकते हैं, इन्फ्लेक्टर, विंडो के जरिए अंदर आने वाली गर्मी को 70 से 80 फीसदी तक कम कर देता है और सर्दी के समय अगर से इसे रिवर्स कर देते हैं तो सनलाइट को ऑब्जर्व करके रूम को गर्म रखता है.
कैसे ग्लोबल वार्मिंग को कम करता है इन्फ्लेक्टर?
संदीप चौधरी ने कहा कि सर्दी के वक्त हीटर की जरूरत पड़ती है, लेकिन इन्फ्लेक्टर के इस्तेमाल से आपका रूम गर्म रहेगा और कार्बन उत्सर्जन नहीं होगा, इसके साथ ही बिजली की बचत करेगा. संदीप की माने तो कनाडा जैसे देशों में इन्फ्लेक्टर काफी सक्सेस है. साथ ही अधिक गर्मी वाले देशों में यह काफी सफल साबित हुआ है.
भारत में इन्फ्लेक्टर की कीमत क्या है?
संदीप चौधरी ने कहा कि एक इन्फ्लेक्टर का इस्तेमाल आप 25 साल तक कर सकते हैं, इन्फ्लेक्टर का प्रोडक्शन सिर्फ अमेरिका में हो रहा है और उसे इम्पोर्ट करके मंगाया जा रहा है. कीमत क्या होगी? इस सवाल पर संदीप चौधरी ने कहा कि दुबई में इसकी कीमत करीब 2000 रुपये प्रति स्क्वॉयर फीट है, लेकिन हम इसे भारत में सिर्फ 800 रुपये प्रति स्क्वॉयर फीट में बेच रहे हैं.
इंफोसिस जैसी बड़ी कंपनियों से मिला ऑर्डर
संदीप चौधरी का कहना है कि हम जानबूझकर भारत में दाम को सस्ता रख रहे हैं ताकि हम इसे बिजनेस नहीं, एक मिशन के तौर पर आगे बढ़ा सके. उनका कहना है कि अभी तक हमें इंफोसिस, महाराष्ट्र PWD समेत कई बड़ी नामी कंपनियों का ऑर्डर मिल चुका है, आने वाले समय में हमें उम्मीद है कि इसका ऑर्डर और बढ़ेगा.
आगे का क्या प्लान है?
संदीप चौधरी ने बताया कि इन्फ्लेक्टर को लेकर हम कई नए इनोवेशन पर काम कर रहे हैं. संदीप ने बताया कि एसी से हर साल 45 हजार करोड़ टन कार्बन उत्सर्जन हो रहा है, जो हर साल 4.91 फीसदी की दर से बढ़ रहा है, हमारा मकसद है कि इंफ्लेक्टर के जरिए कार्बन उत्सर्जन को कम करे.