
राजस्थान में कांग्रेस नेता सचिन पायलट के राजनीतिक भविष्य को लेकर कयासबाजी का दौर थमा नहीं है. रविवार को उन्होंने अपने पिता राजेश पायलट की पुण्यतिथि पर दौसा के भंडाना में श्रद्धांजलि सभा को संबोधित किया है. कार्यक्रम की शुरुआत से पायलट के तेवर तीखे रहे. उन्होंने मुख्यमंत्री के नाम लिए बिना कई हमले बोले. सचिन पायलट ने कहा, अगर हम गरीबों की मदद करें तो केंद्र के नेता कहते हैं कि खजाने का दिवाला निकल जाएगा और यहां लोग कहते हैं कि नौजवानों की मदद की तो मानसिक दिवालियापन हो जाएगा. अगर हमने कोई मांग उठाई है तो वो लोगों के लिए है.
बता दें कि कुछ दिन पहले ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा था कि विपक्ष कहता है कि पेपर पीड़ितों को मुआवजा दो. बताओ यह कैसा मानसिक दिवालियापन है. सचिन पायलट ने वसुंधरा राजे पर भी हमला बोला और कहा, वो मुझसे बड़ी हैं, लेकिन मैंने कभी अपनी भाषा की मर्यादा का उल्लंघन नहीं किया. मैं तो 365 दिन उनका विरोध करता हूं. खान आवंटित हुई और निरस्त हुई लेकिन खान आवंटित तो हुई थी ना और किसने की?
'हर गलती की कीमत सजा मांगती है'
यहां भी सचिन पायलट के टारगेट पर गहलोत थे. क्योंकि एक इंटरव्यू में मुख्यमंत्री ने कहा थी कि जो खान दी गई थी, उसका लाइसेंस निरस्त कर दिया गया है. पायलट ने अपने भाषण के आखिर में भी मुख्यमंत्री गहलोत पर निशाना साधा. गहलोत के बयान को दोहराते हुए कहा कि हर गलती की कीमत सजा मांगती है. मैं आपको वादा करना चाहता हूं कि आज नहीं तो कल सबको न्याय मिलेगा.
'मेरे अंदर की आत्मा बोलती है'
उन्होंने कहा, मेरी जो अंदर आत्मा की आवाज बोलती है, वो लोगों की आवाज है. यहां भी उनके निशाने पर गहलोत ही थे.
बता दें कि राजस्थान शिक्षक पात्रता परीक्षा (REET) में कथित तौर पर धांधली के मामले में अशोक गहलोत ने एक बयान में कहा था- 'हर गलती सजा मांगती है.' उन्होंने कहा था, रीट का मुद्दा बड़ा है. हम उसकी तह तक जाना चाहते हैं. हर गलती कीमत मांगती है. जिन्होंने गलती की है उनको कीमत देनी पड़ेगी.
उन्होंने कहा, राजेश पायलट की मौत से इस क्षेत्र को जो नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई कभी नहीं की जा सकती है. जनता ने हमें कभी उनकी कमी महसूस नहीं होने दी. उनके निधन को 23 साल हो चुके हैं.
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'राजेश पायलट ने किसानों और वंचितों की बात की'
पायलट ने कहा, मेरे पापा देश के लिए लड़े. एयरफोर्स के लिए जेट उड़ाए. मेरे पिता ने दिल से कहा था कि वह किसी पद पर रहें या नहीं. राजेश पायलट ने किसानों के लिए, वंचितों के लिए बात की. आज हमें ऐसे नेताओं की जरूरत है जो अपने दिल की बात कहें. आज पुण्यतिथि है. मैं गूजर छात्रावास में उनकी प्रतिमा स्थापित करने के लिए सभी को बधाई देता हूं. मैंने हमेशा युवाओं के हित में बात की है. मैं अपने वादों से पीछे नहीं हटूंगा.
सचिन ने कहा, राजेश पायलट का फोकस किसानों, छात्रों, युवाओं की मदद करना था. जिन लोगों ने मेरे साथ काम किया है, वे जानते हैं कि मैं सबको साथ लेकर चलता हूं. जब मैं प्रदेश का मुखिया था तो मैंने (तत्कालीन) मुख्यमंत्री का 365 दिन विरोध किया.
'गहलोत कैबिनेट के मंत्री भी पहुंचे दौसा'
दौसा में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में बड़ी संख्या में भीड़ पहुंची है. जानकार इसे पायलट के शक्ति प्रदर्शन से भी जोड़कर देख रहे हैं. यह भी उतनी ही तेज चर्चा है कि हाईकमान के फॉर्मूले पर सहमति नहीं बनी तो पायलट राजस्थान विधानसभा चुनाव से पहले नई पार्टी का ऐलान कर सकते हैं. दौसा में आज कार्यक्रम में पायलट समर्थक विधायक और मंत्रियों का भी जमावड़ा देखने को मिला है. इस कार्यक्रम में कैबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास, ममता भूपेश, मंत्री मुरारी लाल मीणा, हेमाराम चौधरी, शीश राम ओला, राजेंद्र गुढ़ा पहुंचे हैं.
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'दौसा में प्रतिमा का अनावरण'
राजेश पायलट की आज 23वीं पुण्यतिथि है. आज दौसा (Dausa) के गुर्जर छात्रावास में राजेश पायलट की प्रतिमा अनावरण का कार्यक्रम रखा गया था. 11 जून 2000 को राजेश का सड़क हादसे में निधन हो गया था. उस दिन वो अपने लोकसभा क्षेत्र दौसा के दौरे पर थे. दौसा से जयपुर जाते वक्त भंडाना में उनकी गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी. तब से हर साल लगातार दौसा में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया जाता है.
'गहलोत-पायलट के बीच छिड़ी है रार'
हाल के घटनाक्रमों की वजह से इस साल सचिन पायलट को लेकर सियासत गरम है. उनकी राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से रार किसी से छिपी नहीं है. पार्टी में इस समय वो साइडलाइन चल रहे हैं. 2020 की बगावत के बाद पायलट से डिप्टी सीएम और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी छीन ली गई थी. अब एक बार फिर पायलट और गहलोत के बीच विवाद को सुलझाने के लिए हाईकमान ने पहल की है. संगठन ने दोनों नेताओं को बुलाकर मैराथन बैठकें की. बाद में गेंद हाईकमान के पाले में छोड़ दी.
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क्या हैं सचिन की मांगें
- भ्रष्टाचार और पेपर लीक के मुद्दे पर कदम उठाए जाएं.
- पिछली भाजपा शासन के दौरान कथित भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई की जाए.
- राजस्थान लोक सेवा आयोग (आरपीएससी) का पुनर्गठन किया जाए.
- नई नियुक्तियां की जाएं. पेपर लीक के बाद सरकारी भर्ती परीक्षा रद्द होने से प्रभावित लोगों को मुआवजा दिया जाए.