
उदयपुर-अहमदाबाद रेल मार्ग पर केवड़ा की नाल स्थित ओढ़ा रेलवे पुल ब्लास्ट मामले की जांच चल रही है. महानिदेशक पुलिस उमेश मिश्रा ने घटना को गंभीरता से लेते हुए पुलिस अधिकारियों से सख्त एक्शन लेने के आदेश दिए थे. मामले में रेलवे अधिकारियों से भी पुलिस की बातचीत जारी है. साथ ही इस केस में केंद्रीय एजेंसियों की भी मदद ली जा रही है.
मामले में डीजीपी उमेश मिश्रा से आजतक ने खास बातचीत की है. इस बातचीत में उन्होंने बताया, ''उदयपुर की घटना के बाद पुलिस ने अवैध हथियार और गोला-बारुद की जांच शुरू कर दी है. डूंगरपुर जिले के आसपुर कस्बे में जिलेटिन के सात पैकेट मिले हैं. ऐसा प्रतीत होता है कि उदयपुर की घटना के बाद अवैध खनन में शामिल कुछ लोगों ने डर से गोला-बारूद को सोम नदी में फेंक दिया हो. क्योंकि, धौलपुर में हथियार और गोला-बारूद की फैक्ट्री से गोला-बारूद की आपूर्ति की जाती थी. फिर भी हम सभी एंगल से जांच कर रहे हैं.''
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साथ ही डीजीपी ने कहा कि उदयपुर और धौलपुर दोनों ही घटनाएं अवैध खनन के लिए उपयोग में लाए जाने वाले गोला-बारूद की अवैध तस्करी को दर्शाती हैं. यदि गोला-बारूद किसी कट्टरपंथी मानसिकता वाले व्यक्ति के हाथ लग जाए तो ऐसा होना बहुत ही खतरनाक साबित हो सकता है.
186 किलोग्राम गोला-बारूद बरामद
मामले में आजतक के पूछने पर पुलिस विभाग के बड़े अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया, ''अभी तक 186 किलोग्राम अवैध गोला-बारूद बरामद किया जा चुका है. जो लावारिश मिला.''
दूसरा ऐंगल यह भी निकल कर आ रहा सामने
रेलवे ट्रैक ब्लास्ट मामले में एक और एंगल निकल कर सामने आ रहा है. कहा जा रहा है कि विस्फोट में स्थानीय लोगों का भी हाथ हो सकता है. हालांकि, मामले में पुलिस ने स्लीपर सेल, आदिवासी कट्टरपंथ जैसे अन्य एंगल से इंकार नहीं किया है.
नाम नहीं छापने के शर्त पर शीर्ष अधिकारी ने कहा, ''रेलवे कर्मचारियों के बीच भुगतान का मुद्दा चल रहा है. कर्मचारी ज्यादातर स्थानीय लोग ही हैं. उनके द्वारा भुगतान की मांग पर उनसे मारपीट की गई थी. स्थानीय लोगों ने पुलिस से शिकायत की थी. शिकायत में कहा ता कि ओढ़ा पुल के पांच किलोमीटर के दायरे में आने वाली सुरंग के बदले अधिग्रहित की गई जमीन का मुआवजा आदिवासियों को नहीं दिया गया.''
अधिकारी के अनुसार ओढ़ा रेलवे ब्रिज विस्फोट मामले में यह भी एक वजह हो सकती है.
अधिकारी आगे कहते हैं कि हालात को देखकर यही समझ आता है कि पूरे पुल को विस्फोट से उड़ाकर सिस्टम (रेलवे विभाग) से बदला लेने का लेने का प्लान तैयार किया गया था. क्योंकि घटना स्थल से तीन जिंदा डेटोनेटर भी बरामद किए गए थे. जो इसी ओर इशारा करते हैं.
हालांकि, आतंकवाद, स्लीपर सेल, कट्टरपंथ जैसे अन्य एंगल भी हो सकते हैं. अलग-अलग एंगल से जांच के लिए अलग-अलग टीमें बनाई गई हैं. इन मामलों में 200 से अधिक लोगों से पूछताछ की गई है और दिए गए उत्तरों के आधार पर तथ्यों की पुष्टि की जा रही है.
एटीएस को सौंपी गई जांच की कमान
ओढ़ा पुल ब्लास्ट मामले में अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक, आतंकवाद निरोधी दस्ते के अशोक राठौर और अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक इंटेलीजेंस एस. सेंगाथिर भी स्थिति का जायजा लेने सोमवार रात उदयपुर पहुंचे थे. फिर हाई लेवल मीटिंग के बाद विस्फोट केस की जांच एटीएस को सौंप दी गई.