
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ शनिवार को जयपुर पहुंचे. यहां उन्होंने राष्ट्रीय इलेक्ट्रो होम्योपैथी सेमिनार के उद्घाटन सत्र को संबोधित किया और कहा कि राम राज्य की भावना संविधान में निहित है. इसके निर्माताओं ने सोच-समझकर मौलिक अधिकारों से संबंधित अध्याय के शीर्ष पर भगवान राम, लक्ष्मण और देवी सीता की तस्वीर रखी थी.
उन्होंने कहा, "मुझे दुख होता है जब कोई अज्ञानी, जो इतिहास नहीं जानता, यह हलफनामा देता है कि भगवान राम एक काल्पनिक व्यक्ति हैं."
एक आधिकारिक बयान में धनखड़ के हवाले से कहा गया कि हमारे संविधान में 20 से अधिक तस्वीरें हैं और मौलिक अधिकारों वाले भाग के शीर्ष पर भगवान राम, लक्ष्मण और देवी सीता की फोटो है. भगवान राम और राम राज्य की भावना भारत के संविधान में निहित है और संविधान निर्माताओं ने इसे सबसे ऊपर रखा है.
उपराष्ट्रपति ने दावा किया कि जो लोग भगवान राम का अनादर कर रहे हैं वे वास्तव में हमारे संविधान के निर्माताओं का अनादर कर रहे हैं जिन्होंने बहुत सोच-समझकर और विवेकपूर्ण तरीके से भगवान राम की तस्वीरें वहां लगाईं.
उन्होंने कहा कि समाज तभी स्वस्थ रहेगा जब उसके सभी वर्ग एकजुट रहेंगे. जो लोग समाज को विभाजित करना चाहते हैं, तात्कालिक राजनीतिक लाभ के लिए जहर फैलाना चाहते हैं, वे न केवल समाज के दुश्मन हैं, बल्कि उनके अपने भी हैं. ऐसे तत्वों को सबक सिखाने की जरूरत नहीं है क्योंकि वे हमारे अपने हैं. उन्हें जागरूक करने की जरूरत है. उन्हें सही रास्ते पर लाने की जरूरत है. इसे संस्थागत रूप से नहीं बल्कि हमारे समाज में करने की जरूरत है."
उपराष्ट्रपति ने कहा कि राष्ट्रीय हित हमेशा सर्वोपरि होना चाहिए और उन्होंने लोगों को उन लोगों के खिलाफ आगाह किया जो समाज में विभाजन और वैमनस्य के बीज बोते हैं, देश की उपलब्धियों को कमजोर करते हैं और तत्काल राजनीतिक लाभ के लिए इसकी प्रगति के बारे में गलतफहमियां फैलाते हैं.