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लोकसभा चुनाव से पहले राजस्थान में हो सकता है बड़ा उलटफेर, मानवेंद्र सिंह करेंगे बीजेपी में घर वापसी!

राजस्थान में हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव के बाद वसुंधरा को साइड लाइन करने के बाद अब मानवेंद्र सिंह की भाजपा में घर वापसी हो सकती है. खुद मानवेंद्र ने बड़े संकेत दिए हैं. उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स से कांग्रेस के हाथ का निशान हटाकर पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी और स्व. जसवंत सिंह की तस्वीर लगा दी है. 

मानवेंद्र सिंह जसोल ने वसुंधरा राजे से मतभेद के चलते छोड़ी थी भाजपा. मानवेंद्र सिंह जसोल ने वसुंधरा राजे से मतभेद के चलते छोड़ी थी भाजपा.
दिनेश बोहरा
  • बाड़मेर,
  • 04 जनवरी 2024,
  • अपडेटेड 6:05 PM IST

लोकसभा चुनाव से पहले मारवाड़ की राजनीति में बड़ा उलटफेर होने जा रहा है. पूर्व सांसद कर्नल मानवेंद्र सिंह ने अपने पिता स्व. जसवंतसिंह जसोल की जयंती पर अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स से कांग्रेस के हाथ का निशान हटाकर पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी और स्व. जसवंत सिंह की तस्वीर लगा दी है. 

बीजेपी में घर वापसी के सवाल पर मीडिया से बातचीत में मानवेंद्र सिंह जसोल ने संकेत दिए हैं कि समर्थकों से बातचीत के बाद कुछ फैसला लिया जाएगा. मानवेंद्र सिंह का यह बयान इसलिए भी चर्चा में हैं कि पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से राजनीतिक अनबन के कारण ही मानवेंद्र सिंह ने 2018 के विधानसभा से पहले बीजेपी को अलविदा कह दिया था. 

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कांग्रेस का थाम लिया था दामन 

इसके बाद राहुल गांधी ने दिल्ली में मानवेंद्र सिंह को कांग्रेस ज्वॉइन करवाई थी. मानवेंद्र ने 2018 का विधानसभा चुनाव वसुंधरा राजे के सामने झालरापाटन से लड़ा, लेकिन वह चुनाव हार गए. उसके बाद 2019 में लोकसभा का चुनाव बाड़मेर-जैसलमेर से लड़ा. यहां भी उन्हें हार का सामना करना पड़ा. 2023 में फिर से बाड़मेर की सिवाना विधानसभा से चुनाव लड़ा, लेकिन हार ही मिली. 

अब इसलिए लग रहे वापसी के कयास 

अब जब राजस्थान में बीजेपी की सरकार बन चुकी है. भजनलाल शर्मा को जब से मुख्यमंत्री बनाया गया है, तभी से लगातार कयास लगाए जा रहे थे कि मानवेंद्रसिंह बीजेपी में वापस घर वापसी कर सकते हैं. दरअसल, उनकी राजनीतिक अनबन वसुंधरा राजे से थी. पार्टी ने राजे को पूरी तरीके से साइड लाइन कर दिया है. 

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समर्थकों से बातचीत के बाद लूंगा फैसला- मानवेंद्र

ऐसे में अब कहा जा रहा है कि बीजेपी के बड़े नेताओं के साथ मानवेंद्र सिंह की बातचीत लगातार जारी है. मलमास यानी 14 तारीख के बाद मानवेंद्रसिंह किसी भी वक्त बीजेपी का दामन थाम सकते हैं. इस मौके पर मानवेंद्र सिंह ने कहा कि भजनलाल को मुख्यमंत्री बनने के बाद बेहद खुशी है. स्वाभिमान की जीत हुई है. मैं अपने समर्थकों के साथ बातचीत करने के बाद ही कोई फैसला लूंगा.

जसवंत सिंह की जयंती पर लगे रक्तदान शिविर  

दरसअल, देश के रक्षा, विदेश और वित्त मंत्री रहे स्व. जसवंत सिंह जसोल की जयंती के अवसर पर आज जोधपुर और बाड़मेर जिले के अलग-अलग इलाकों में विभिन्न कार्यक्रम किए गए थे. बाड़मेर जिला मुख्यालय पर स्व. जसवंत सिंह जसोल की स्मृति के विशाल रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया. इसमें 200 से अधिक युवाओं ने रक्तदान कर स्वर्गीय जसवंतसिंह को श्रद्धांजलि दी.

रक्तदान शिविर के मौके पर तत्कालीन गहलोत सरकार के कैबिनेट मंत्री रहे हेमाराम चौधरी, बाड़मेर विधायक डॉ. प्रियंका चौधरी, शिव विधायक रविंद्रसिंह भाटी, पूर्व चौहटन विधायक तरुणराय कागा समेत बीजेपी-कांग्रेस के कई नेताओं ने रक्तदाताओं की हौसला अफजाई की.

महान शख्सियत थे जसवंत सिंह- पूर्व मंत्री हेमाराम 

गहलोत सरकार के पूर्व कैबिनेट मंत्री हेमाराम चौधरी ने स्व. जसवंत सिंह जसोल की जमकर तारीफ की. कहा कि वह महान शख्सियत थे. आज के दौर में किसी राज्य का वित्त मंत्री रहना भी बहुत बड़ी बात होती है. लेकिन, स्व. जसवंतसिंह ने देश के रक्षा, विदेश और वित्त मंत्रालय को संभाला. 

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यही नहीं, मारवाड़ के लिए उन्होंने बहुत से काम किए. जोधपुर का एम्स अस्पताल भी मारवाड़ को उनकी बदौलत ही मिला है. इसी वजह से पूरे मारवाड़ को स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ मिल रहा है. इसलिए मैं ऐसे जननायक की जयंती पर उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित करता हूं.

मालानी से जसवंतसिंह को अटूट प्रेम- भाटी

वहीं, शिव विधानसभा से निर्दलीय विधायक रविंद्रसिंह भाटी ने कहा कि मालानी की इस धरा से स्व. जसवंत सिंह को अटूट प्रेम रहा। उन्होंने मालानी की धरा के लिए बहुत कुछ किया है। भाटी ने कहा कि जब जोधपुर में एम्स अस्पताल की बात आई और कहा गया कि एम्स जोधपुर में क्यों जरूरी है? तब जसवंत सिंह ने कहा था कि मारवाड़ में सीमांत के जिले पड़ते हैं और कभी परिस्थितियां ऐसी बन जाए, तो जल्द स्वास्थ्य सेवा के लिए एम्स जरूरी है.

भाटी ने कहा कि मायड़ और राजस्थानी भाषा से भी उनको लगाव था. इसलिए ही हम उनके सपने को साकार करने के लिए राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलाने के लिए प्रयास कर रहे हैं. इसके साथ ही थार एक्सप्रेस के माध्यम से उन्होंने भारत-पाकिस्तान को जोड़ने का काम किया. दरअसल, बाड़मेर-जैसलमेर में सैकड़ों परिवार ऐसे हैं, जिनका पाकिस्तान के सिंध से रोटी-बेटी का नाता है. थार एक्सप्रेस के बंद होने से सैकड़ों परिवारों के मन में एक ठीस है. हम चाहते हैं कि सरकार थार एक्सप्रेस को शुरू करने के लिए भी प्रयास करे.

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