
राजस्थान के उदयपुर (Udaipur) से करीब 50 किलोमीटर दूर मेनार गांव में होली के दूसरे दिन अनूठे अंदाज में त्योहार मनाया जाता है. लोगों का कहना है कि बीते 400 साल की परंपरा के अनुसार आज भी गांव में बारूद की होली खेली जाती है. गांव के लोग होली के दूसरे दिन पारंपरिक वेशभूषा में आधी रात को गांव की चौपाल पर इकट्ठा होते हैं और घंटों बारूद की होली खेलते हैं.
इस बारूद की होली को देखने से तो लगता है कि होली की जगह दिवाली मनाई जा रही है. इस दिन सभी ग्रामीण न सिर्फ पटाखे फोड़ते हैं, बल्कि बंदूकों से भी हवाई फायर करते हैं. एक-एक कर सैकड़ों बंदूकों से फायर किए जाते हैं. इस दौरान देश के विभिन्न प्रांतों से ही नहीं, बल्कि विश्व के किसी भी इलाके में मेनार के निवासी रहते हों, वहां से इस गांव जरूर आते हैं.
यहां देखें Video
बारूद की इस होली को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग जमा होते हैं. गांव का हर व्यक्ति इस दिन के लिए विशेष तैयारी करता है. ग्रामीण आमने-सामने खडे़ होकर हवाई फायर करते हुए जश्न मनाते हैं.
इस परंपरा को लेकर क्या बोले ग्रामीण
ग्रामीणों का मानना है कि मुगल काल में महाराणा प्रताप के पिता उदयसिंह के समय मेनारिया ब्रह्माण ने मेवाड़ राज्य पर हो रहे अथितियों का कुशल रणनीति के साथ युद्ध कर मेवाड़ राज्य की रक्षा की थी. इसी दिन की याद में इस त्योहार को मनाते हुए ग्रामवासी बंदूकों से फायर और आग उगलती आतिशबाजी कर जश्न मनाते हैं.
दर्शक गौरव जैन ने कहा कि होली के दिन अलग अंदाज से तलवारों के साथ नृत्य का प्रदर्शन किया जाता है. इस अनोखी होली का गवाह बनने के लिए ग्रामीणों के अलावा आस-पास के गांव के लोग और दूरदराज से दर्शक भी पहुंचते हैं. बंदूकों के धमाकों के साथ साथ तोप भी छोड़ी जाती है. लाखों रुपये के पटाखे भी जलाए जाते हैं. ग्रामीणों का कहना है कि मां अंबे की कृपा से आज तक इस परंपरा के निर्वहन के दौरान को अनहोनी नहीं हुई.