
उदयपुर में कन्हैयालाल की हत्याकांड में एक नया मोड तब सामने आया, जब राजस्थान एटीएस की ओर से एनआईए जांच को लेकर प्रेस नोट जारी किया गया. राजस्थान एटीएस ने कहा है कि कन्हैयालाल हत्याकांड में कोई आतंकी कनेक्शन नहीं है, यह कहना अभी जल्दबाजी होगा. अभी एटीएस और एसओजी इस हत्याकांड की जांच कर रही है. एटीएस का बयान सामने आने के बाद ऐसा लग रहा है कि प्रदेश और केंद्रीय एजेंसियां आमने-सामने हैं.
केंद्रीय जांच एजेंसी एनआईए ने घटना की जांच के लिए 10 अधिकारियों की टीम बनाई थी. एनआईए ने कहा था कि वारदात को अंजाम देकर आरोपी अपनी कम्युनिटी में हीरो बनना चाह रहे थे. इसमें किसी भी तरह का आतंकी कनेक्शन नहीं है. इसलिए इस तरह से घटना को अंजाम दिया गया, फिर वीडियो शूट किया गया. ऐसा लग रहा है कि कन्हैया लाल पर पहले से नजर रखी जा रही थी. उसकी हर एक एक्टिविटी पर आरोपियों की पैनी निगाह थी. जांच एजेंसी ने ये भी कहा था कि वारदात में और लोगों के शामिल होने की पूरी संभावना है.
एनआईए को ट्रांसफर किया गया केस
कन्हैयालाल मर्डर के दोनों आरोपियों को अजमेर हाई सिक्योरिटी जेल में रखा गया है. शुक्रवार को दोनों आरोपियों को उदयपुर कोर्ट में पेश किया गया था, जिसके बाद कोर्ट ने दोनों आरोपियों को एक दिन के ट्रांजिट रिमांड पर भेज दिया था. इसके साथ ही उदयपुर की डीजे कोर्ट ने शुक्रवार को कन्हैयालाल केस को एनआईए को ट्रांसफर कर दिया है.
सुप्रीम कोर्ट ने की नूपुर पर टिप्पणी
वहीं शुक्रवार को कोर्ट ने नूपुर शर्मा की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि उन्होंने और उनकी हल्की जबान ने पूरे देश में आग लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट ने नूपुर को ही उदयपुर में हुई दुर्भाग्यपूर्ण घटना के लिए जिम्मेदार ठहराया है. वहीं कोर्ट की इस टिप्पणी के एक बाद एक सामाजिक कार्यकर्ता ने सीजेआई को पत्र लिखकर टिप्पणी वापस लेने की मांग की है.
दुकान में घुसकर की थी कन्हैयालाल की हत्या
28 जून को उदयपुर में टेलर कन्हैयालाल की गला रेतकर हत्या कर दी गई थी. वारदात के बाद राजस्थान में जगह-जगह बवाल शुरू हो गए थे. शाम तक दोनों आरोपियों को पुलिस ने पकड़ लिया. बताया जा रहा है कि कन्हैयालाल के मोबाइल से नूपुर शर्मा के समर्थन में पोस्ट हुई थी. इसके चलते ही रियाज और गौस मोहम्मद ने उनकी हत्या कर दी थी. राजस्थान सरकार की ओर से घटना की जांच के लिए SIT का गठन किया गया था. इसमें एसओजी एडीजी अशोक राठौड़, एटीएस आईजी प्रफुल्ल कुमार एवं एक एसपी और एडिशनल एसपी शामिल थे.