
2023 विधानसभा चुनाव से पहले एक बार फिर मारवाड़ में हनुमान बेनीवाल और हरीश चौधरी अपने बयानों के चलते सुर्खियां बटोर रहे हैं. चौधरी ने कुछ दिन पूर्व आरोप लगाया था कि हनुमान बेनीवाल की पार्टी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की प्रायोजित पार्टी है. इसके जवाब में बेनीवाल ने कहा था कि बायतु में राजनीतिक जमीन खिसक रही है तो हरीश चौधरी बौखलाहट में हैं. सीबीआई, ED उनके पीछे पड़ी हुई है, उसी के दबाव और बीजेपी पार्टी में जाने की तैयारी है. इसीलिए इस तरीके के बयान दे रहे हैं अब हरीश चौधरी ने यहां तक कह दिया है कि मैं मरते दम तक कांग्रेस पार्टी नहीं छोडूंगा.
दरअसल, हनुमान बेनीवाल और हरीश चौधरी की राजनीतिक लड़ाई 2018 विधानसभा चुनाव के साथ ही शुरू हो गई थी. जब हनुमान बेनीवाल ने तीसरी पार्टी बनाकर बायतु से मजबूत उम्मीदवार उम्मेदाराम बेनीवाल को मैदान में उतारा और उसके बाद लगातार बायतु में सक्रिय रहने लगे. 2018 विधानसभा चुनाव में हरीश चौधरी के सामने हनुमान बेनीवाल की पार्टी ने इतना मजबूती से चुनाव लड़ा कि हरीश चौधरी हारते हारते बच गए.
उसके बाद से ही दोनो में लगातार विवादों का दौर जारी है. एक बार कैलाश चौधरी के साथ हनुमान बेनीवाल बायतु में सामाजिक कार्यक्रम में भाग लेने जा रहे थे. उस समय भी हरीश चौधरी के समर्थकों नेपत्थरबाजी कर हनुमान बेनीवाल पर हमला करने की कोशिश की थी. इस मामले को लेकर हाल ही में लोकसभा की विशेषाधिकार कमेटी के आदेश पर मुकदमा दर्ज हुआ है लेकिन चौधरी को कोर्ट से राहत मिल गई है.
हनुमान बेनीवाल कई बार आम सभाओं से लेकर सार्वजनिक मंच तक हरीश चौधरी के खिलाफ बयानबाजी करते रहे हैं तो दूसरी तरफ इस बार हरीश चौधरी ने एक सामाजिक कार्यक्रम के दौरान ऐसा बयान दिया कि राजस्थान की जाटों की राजनीति में बवाल मच गया. नाम तो अशोक गहलोत का लिया, लेकिन निशाने पर हनुमान बेनीवाल थे. चौधरी ने कहा कि बेनीवाल की पार्टी को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पूरी तरीके से सपोर्ट कर रहे हैं. चौधरी ने गहलोत को नसीहत दे डाली और कहा कि सीएम साहब आप कांग्रेसी है तो कांग्रेस को सपोर्ट करें, हमारा सपोर्ट करें.
विवाद की मुख्य जड़ 2023 विधानसभा चुनाव है. इस बयान के बाद हनुमान बेनीवाल और उनके समर्थकों का कहना है कि हरीश चौधरी की बायतु विधानसभा में पकड़ कमजोर हो रही है. उसी की बौखलाहट के चलते इस तरह के बयान दे रहे हैं. अब इस बयान पर हरीश चौधरी ने पलटवार करते हुए कहा कि 2018 में 4 उम्मीदवारों में मैंने 13000 से ज्यादा वोटों से जीत हासिल की थी, लेकिन उसके बावजूद भी मुझे कमजोर कहा जा रहा है तो अब 2023 की बारी है, यह तो बायतु की जनता ही तय करेगी.