कार्तिक शुक्ल द्वितिया को भाई दूज (Bhai Dooj 2020) का त्योहार मनाया जाता है. इस दिन बहनें अपने भाई का तिलक करती हैं और उसकी लंबी उम्र की दुआ करती हैं. इस बार भइया दूज का पर्व सोमवार, 16 नवंबर को मनाया जा रहा है. ज्योतिषविदों के मुताबिक, भाई दूज का त्योहार शुभ मुहूर्त (Shubh muhurt) में मनाने से लाभ होता. जबकि राहु काल (Rahu kaal) में भाई को तिलक करने से बचना चाहिए.
ज्योतिषियों के मुताबिक, भाई दूज के दिन टीका करने का शुभ मूहूर्त सोमवार, 16 नवंबर को दोपहर 12 बजकर 56 मिनट से 03 बजकर 06 मिनट तक रहेगा. यानी भाई दूज का त्योहार मनाने के लिए 2 घंटे 9 मिनट का शुभ मुहूर्त है.
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यदि आप किसी कारणवश शुभ मुहूर्त में भाई को तिलक नहीं कर पा रही हैं तो अभिजीत मुहूर्त में त्योहार मना सकती हैं. आज 11 बजकर 44 मिनट से 12 बजकर 27 मिनट तक अभिजीत मुहूर्त में तिलक किया जा सकता है.
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ज्योतिषविद अरुणेश कुमार शर्मा के मुताबिक, भाई दूज पर सुबह 7:30 बजे से राहु काल लग रहा है जो सुबह 9:00 बजे तक रहेगा. इस बीच भाई को तिलक करने से बचें. इस अवधि के पहले या बाद में ही त्योहार मनाएं.
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बहनें सुबह स्नान करने के बाद अपने ईष्ट देव, भगवान विष्णु या गणेश की पूजा करें. इस दिन भाई के हाथों में सिंदूर और चावल का लेप लगाने के बाद उस पर पान के पांच पत्ते, सुपारी और चांदी का सिक्का रखती हैं. फिर उसके हाथ पर कलावा बांधकर जल उडेलते हुए भाई की दीर्घायु के लिए मंत्र पढ़ती हैं.
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कहीं-कहीं बहनें अपने भाइयों के माथे पर तिलक लगाकर उनकी आरती उतारती हैं और फिर कलाई पर कलावा बांधती हैं. फिर वह भाई का माखन-मिश्री या मिठाई से मुंह मीठा करवाती हैं और अंत में उसकी आरती उतारती हैं. इस दिन बहुत से भाई अपनी बहनों के घर जाकर भोजन भी करते हैं और उन्हें कुछ उपहार भी देते हैं.
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भाई दूज पर भाई की आरती उतारते वक्त बहन की थाली में सिंदूर, फूल, चावल के दाने, सुपारी, पान का पत्ता, चांदी का सिक्का, नारियल, फूल माला, मिठाई, कलावा, दूब घास और केला जरूर होना चाहिए. इन सभी चीजों के बिना भाई दूज का त्योहार अधूरा माना जाता है.