Advertisement

पर्व-त्यौहार

Holi 2021: होली पर 499 साल बाद बना अद्भुत संयोग, जानें कितना खास होगा त्योहार

aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 17 मार्च 2021,
  • अपडेटेड 9:54 AM IST
  • 1/8

होली का त्योहार फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को हर साल पूरे उत्साह के साथ मनाया जाता है. पूर्णिमा की रात को होलिका दहन किया जाता है और अगले दिन रंग वाली होली खेली जाती है. इस साल 28 मार्च को होलिका दहन किया जाएगा, जबकि 29 मार्च को सुबह रंग वाली होली खेली जाएगी. हालांकि, इस होली का त्योहार इस बार अन्य कारणों से भी खास रहने वाला है.

Photo: Getty Images

  • 2/8

ज्योतिषियों की मानें तो इस बार होली पर 499 साल बाद ग्रहों का अद्भुत संयोग बन रहा है. आइए आपको होली पर बन रहे इस विशेष संयोग, तिथि, होलाष्टक और शुभ मुहूर्त के बारे में विस्तार से बताते हैं.

  • 3/8

क्या है संयोग- ज्योतिर्विदों का कहना है कि होली पर चंद्रमा कन्या राशि में रहेगा, जबकि बृहस्पति और न्याय देव शनि अपनी-अपनी राशियों में विराजमान रहेंगे. ज्योतिषियों के मुताबिक, ग्रहों का ऐसा महासंयोग 1521 में भी बना था. 499 साल बाद एक बार फिर होली पर ऐसा महासंयोग बनेगा.

Photo: Getty Images

Advertisement
  • 4/8

होली पर ये संयोग भी बनेंगे- रंग और खुशियों का त्योहार होली इस बार दो खास संयोग भी लेकर आ रही है. ज्योतिष के जानकारों का कहना है कि होली पर इस बार सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग भी बनेंगे. ये दोनों ही योग बेहद शुभ माने जाते हैं.

Photo: Getty Images

  • 5/8

होली का शुभ मुहूर्त- होली होलिका दहन रविवार, 28 मार्च को किया जाएगा. इस दिन शाम 06 बजकर 36 मिनट से लेकर 8 बजकर 56 मिनट तक होलिका दहन का मुहूर्त बताया जा रहा है. यानी इसकी कुल अवधि 02 घंटे 19 मिनट की रहेगी. पूर्णिमा तिथि 28 मार्च को सुबह करीब साढ़े तीन बजे से 29 मार्च की रात करीब सवा बारह बजे तक रहेगी.

Photo: Getty Images

  • 6/8

कब से हैं होलाष्टक- हिंदू धर्म में होली से आठ दिन पहले सभी शुभ कार्यों पर रोक लग जाती है. इस समयावधि को होलाष्टक कहा जाता है. फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से होलिका दहन तक होलाष्टक रहते हैं. इस बार होलिका दहन 29 मार्च को होगा, इसलिए होलाष्टक 22 मार्च से 28 मार्च तक रहने वाले हैं. होलाष्टक में शुभ कार्य वर्जित होते हैं, लेकिन जन्म और मृत्यु से जुड़े काज किए जा सकते हैं.

Advertisement
  • 7/8

क्यों होते हैं होलाष्टक- हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, हिराण्यकश्यप ने आठ दिन तक अपने पुत्र प्रह्लाद को बहुत प्रताड़ित किया था. भगवान विष्णु की भक्त प्रह्लाद पर बहुत कृपा थी, इसलिए वह हर बार उनसे बच जाते थे. तभी से होली से 8 दिन पहले होलाष्टक मनाने की परंपरा चली आ रही है.

  • 8/8

कैसे बचे प्रह्लाद के प्राण- हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को अग्नि में न जलने का वरदान प्राप्त था. अपने अहंकारी भाई के कहने पर होलिका अपने भतीजे प्रह्लाद को लेकर अग्नि में बैठ गई, लेकिन श्री हरि की कृपा से प्रह्लाद के प्राण बच गए और होलिका जलकर भस्म हो गई.

Photo: Getty Images

Advertisement
Advertisement