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पर्व-त्यौहार

Holi 2022: दुनिया भर में फेमस है यहां की होली, गोपियों ने हुरियारों पर यूं बरसाए लट्ठ

aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 12 मार्च 2022,
  • अपडेटेड 5:12 PM IST
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रंगों का त्योहार होली पूरे भारत में हर जगह बड़े धूम-धाम से मनाया जाता है. लेकिन सारे देश में सबसे अधिक फेमस होली की बात करें, तो वो है 'कृष्ण नगरी' की होली. कृष्ण नगरी कही जाने वाली मथुरा और उसके आसपास के क्षेत्रों में होली का उत्सव होली के काफी दिन पहले से शुरू हो जाता है, जो कि रंगपंचमी तक चलता है.

(Image credit: Getty Images)

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मथुरा, वृंदावन और बरसाना की होली के अनेकों रंग हैं. यहां की होली में लोग अपना सब कुछ छोड़ कर राधा-कृष्ण की भक्ति में लीन हो जाते हैं. यहां होली मनाने के लिए देश-विदेश से कई सैलानी आते हैं. लेकिन इस बार कोविड प्रोटोकॉल के तहत इंटरनेशनल फ्लाइट बंद होने के कारण विदेशी सैलानियों की कम काफी भीड़ देखने मिलेगी.

(Image credit: Getty Images)

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दुनिया भर के लोग हर साल मथुरा, वृंदावन और बरसाना में होली मनाने आते हैं. होली पर ये शहर पूरी तरह रंग में रंग जाते हैं. सभी लोग भेदभाव को मिटाकर एक-दूसरे को रंग गुलाल लगाते हैं और होली का त्योहार मनाते हैं. इन दिनों मंदिरों में काफी भीड़ रहती है. सभी लोग मंदिर में जाकर भगवान के भजनों का आनंद लेते हैं और उनकी भक्ति में खो जाते हैं. साथ ही भगवान का भी विशेष श्रृंगार किया जाता है और उनके साथ फूल एवं रंगों से होली खेली जाती है.

(Image credit: Getty Images)

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ब्रजवासियों का होली मनाने का अपना अलग ही अंदाज है. यहां पर कहीं फूल की होली, कहीं रंग-गुलाल की, कहीं लड्डू. तो कहीं लट्ठमार होली मनाने की परंपरा है. होलिका दहन से पांच दिन पहले बरसाना में विश्व-प्रसिद्ध लट्ठमार होली मनाई जाती है. इस लट्ठमार होली में महिलाएं, जिन्हें हुरियारिन कहते हैं, लट्ठ लेकर हुरियारों को यानी पुरुषों को पीटती हैं.  

(Image credit: PTI)
 

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इस लट्ठमार होली में कई लोग बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं. पुरुष इस लट्ठमार होली में पुरुष सिर पर ढाल रखकर हुरियारिनों के लट्ठ से खुद का बचाव करते हैं.

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कहते हैं कि इस परंपरा की शुरुआत पांच हजार साल से भी पहले हुई थी. ग्रंथों में उल्लेख है कि जब भगवान कृष्ण ब्रज छोड़कर द्वारिका चले गए और उसके बाद फिर से जब बरसाना लौटे तो उस समय ब्रज में होली का समय था. कृष्ण के बिछड़ने से दुखी राधा और उनकी सखियों ने उनके वापस आने पर अपने गुस्से का इजहार किया.

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राधा और उनकी सब सखि‍यां चाहती थीं कि कृष्ण कभी उनसे दूर ना हों, इसीलिए जब कृष्ण ने उन्हें मनाने की कोशिश की तो राधा और उनकी सखियों ने अपने प्यार भरे गुस्से का इजहार करते हुए कृष्ण के साथ लट्ठमार होली खेली थी.

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बरसाना राधारानी का गांव है और नंदगांव में नंदबाबा का घर होने की वजह से इसे कृष्ण के गांव के रूप में भी जाना जाता है. बरसाना में होने वाली लट्ठमार होली में यहां की हुरियारिनें राधा की सखी के रूप में होती हैं और नंदगांव से होली खेलने बरसाना आने वाले हुरियारे कृष्ण के ग्वाल के भाव में यहां आते हैं.  

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बरसाना राधारानी का गांव है और नंदगांव में नंदबाबा का घर होने की वजह से इसे कृष्ण के गांव के रूप में भी जाना जाता है. बरसाना में होने वाली लट्ठमार होली में यहां की हुरियारिनें राधा की सखी के रूप में होती हैं और नंदगांव से होली खेलने बरसाना आने वाले हुरियारे कृष्ण के ग्वाल के भाव में यहां आते हैं.  

(Image credit: PTI)

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इसमें परंपरागत लहंगा-ओढ़नी की पोशाक पहने हुए हरियारिने अपने हाथों में लट्ठ लिए होती हैं और हुरियारे बगलबंदी-धोती पहनकर हाथ में ढाल लेकर हुरियारिनों से होली खेलने आते हैं. पहले नंदगांव के हुरियारे होली खेलने बरसाना आते हैं और उसके अगले दिन यही परंपरा नंदगांव में दोहराई जाती है. लेकिन नंदगाव में बरसाना के पुरुष नहीं, बल्कि महिलाएं ही जाती हैं. 

(Image credit: PTI)
 

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