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Akshay Tritiya 2024 Date: अक्षय तृतीया का दिन क्यों माना जाता है इतना शुभ? पुराणों में छिपा है रहस्य

Akshaya Tritiya 2024: अक्षय तृतीया पर मूल्यवान वस्तुओं की खरीदारी और दान-पुण्य के कार्य भी शुभ माने गए हैं. विशेषकर सोना खरीदना इस दिन सबसे ज्यादा शुभ होता है. इससे धन की प्राप्ति और दान का पुण्य अक्षय बना रहता है. इस साल अक्षय तृतीया का त्योहार शुक्रवार, 10 मई को मनाया जाएगा.

 अक्षय तृतीया पर मूल्यवान वस्तुओं की खरीदारी और दान-पुण्य के कार्य शुभ माने गए हैं. अक्षय तृतीया पर मूल्यवान वस्तुओं की खरीदारी और दान-पुण्य के कार्य शुभ माने गए हैं.
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 08 मई 2024,
  • अपडेटेड 7:58 PM IST

Akshaya Tritiya 2024 Date: वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया कहा जाता है. इस दिन सूर्य और चंद्रमा दोनों ही अपनी उच्च राशि में स्थित होते हैं और शुभ परिणाम देते हैं. इन दोनों की सम्मिलित कृपा का फल अक्षय होता है. अक्षय तृतीया पर मूल्यवान वस्तुओं की खरीदारी और दान-पुण्य के कार्य भी शुभ माने गए हैं. विशेषकर सोना खरीदना इस दिन सबसे ज्यादा शुभ होता है. इससे धन की प्राप्ति और दान का पुण्य अक्षय बना रहता है. इस साल अक्षय तृतीया का त्योहार शुक्रवार, 10 मई को मनाया जाएगा. आइए जानते हैं कि आखिर अक्षय तृतीया की तिथि को इतना शुभ क्यों माना जाता है.

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अक्षय तृतीया का महत्व
ऐसी मान्यताएं हैं कि अक्षय तृतीया पर सोने-चांदी की चीजें खरीदने से जातक का भाग्योदय होता है. इसके अलावा, पवित्र नदियों में स्नान, दान, ब्राह्मण भोज, श्राद्ध कर्म, यज्ञ और ईश्वर की उपासना जैसे उत्तम कार्य इस तिथि पर अक्षय फलदायी माने गए हैं. धार्मिक मान्यता अनुसार, इस दिन शुरू किया गया कोई भी कार्य आसानी से संपन्न हो जाता है. इस दिन आप शुभ मुहूर्त देखे बिना कोई भी कार्य संपन्न कर सकते हैं.

अक्षय तृतीया तिथि
इस साल अक्षय तृतीया का त्योहार शुक्रवार, 10 मई को सुबह 4 बजकर 17 मिनट पर आरंभ होगा. इस तृतीया तिथि का समापन 11 मई को सुबह 02 बजकर 50 मिनट पर होगी. उदिया तिथि के चलते अक्षय तृतीया 10 मई को मनाई जाएगी.

क्यों खास है अक्षय तृतीया?
अक्षय तृतीया को कई वजहों से साल का सबसे शुभ दिन माना जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सतयुग और त्रेतायुग की शुरुआत अक्षय तृतीया से ही हुई थी. भगवान विष्णु ने नर नारायण का अवतार भी इसी दिन लिया था. भगवान परशुराम का जन्म भी अक्षय तृतीया पर हुआ था. इस शुभ तिथि से ही भगवान गणेश ने महाभारत का काव्य लिखना शुरू किया था.

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इतना ही नहीं, अक्षय तृतीया से ही बद्रीनाथ के कपाट खुलते हैं और केवल इसी दिन वृन्दावन में भगवान बांके-बिहारी जी के चरणों के दर्शन होते हैं. वैशाख शुक्ल तृतीया तिथि को अखा तीज के रूप में भी मनाया जाता है. कुछ लोग इसे अक्षय तीज भी कहते हैं.

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