
हिंदू धर्म में आषाढ़ अमावस्या का काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ माह हिंदू वर्ष का चौथा महीना होता है. इस दिन पवित्र नदियों, धार्मिक तीर्थ स्थलों पर स्नान करने का विशेष महत्व है. इसके अलावा दान-पुण्य और पितरों की आत्मा की शांति के लिए किए जाने वाले अनुष्ठानों के लिए भी यह समय अच्छा माना जाता है. साल 2021 में आषाढ़ अमावस्या शुक्रवार, 9 जुलाई यानी आज पड़ रही है. जो जातक अमावस्या को पितृकर्म करना चाहते हैं आज पितृकर्म संपन्न करवाना चाहिए.
आषाढ़ अमावस्या का मुहूर्त- आषाढ़ अमावस्या 09 जुलाई को सुबह 05 बजकर 16 मिनट से शुरू होकर 10 जुलाई को सुबह 06 बजकर 46 मिनट पर समाप्त होगी.
पितरों को प्रसन्न करने की विधि
हिंदू धर्म में अमावस्या को पितरों की तिथि माना गया है. यही वजह है कि इस दिन पितरों को प्रसन्न करने के लिए गाय के गोबर से बने उपले (कंडे) पर शुद्ध घी व गुड़ मिलाकर धूप (सुलगते हुए कंडे पर रखना) देनी चाहिए.यदि घी व गुड़ उपलब्ध न हो तो खीर से भी धूप दे सकते हैं.
यदि यह भी संभव न हो तो घर में जो भी ताजा भोजन बना हो, उससे भी धूप देने से पितर प्रसन्न हो जाते हैं. धूप देने के बाद हथेली में पानी लें व अंगूठे के माध्यम से उसे धरती पर छोड़ दें.ऐसा करने से पितरों को तृप्ति का अनुभव होता है और वे हमें आशीर्वाद देते हैं. जिससे हमारे जीवन में सुख-शांति आती है.
परेशानियां दूर करने के उपाय
अमावस्या पर भूखे प्राणियों को भोजन कराने का भी विशेष महत्व है.इस दिन सुबह स्नान आदि करने के बाद आटे की गोलियां बनाएं. गोलियां बनाते समय भगवान का नाम लेते रहें.इसके बाद समीप स्थित किसी तालाब या नदी में जाकर यह आटे की गोलियां मछलियों को खिला दें. इस उपाय को करने से आपके जीवन की परेशानियों का अंत हो सकता है.
अमावस्या पर चीटियों को शक्कर मिला हुआ आटा खिलाएं.ऐसा करने से आपके पाप कर्मों का प्रायश्चित होगा और अच्छे कामों के फल मिलना शुरू होंगे.इसी से आपकी मनोकामनाओं की पूर्ति होगी.
अमावस्या की पूजन विधि
अमावस्या की रात को करीब 10 बजे नहाकर साफ पीले रंग के कपड़े पहन लें. इसके उत्तर दिशा की ओर मुख करके ऊन या कुश के आसन पर बैठ जाएं. अब अपने सामने पटिए (बाजोट या चौकी) पर एक थाली में केसर का स्वस्तिक या ॐ बनाकर उस पर महालक्ष्मी यंत्र स्थापित करें. इसके बाद उसके सामने एक दिव्य शंख थाली में स्थापित करें. अब थोड़े से चावल को केसर में रंगकर दिव्य शंख में डालें. घी का दीपक जलाकर नीचे लिखे मंत्र का कमल गट्टे की माला से ग्यारह माला जाप करें-
मंत्र- सिद्धि बुद्धि प्रदे देवि भुक्ति मुक्ति प्रदायिनी।
मंत्र पुते सदा देवी महालक्ष्मी नमोस्तुते।।
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