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(Ashadh Gupt Navratri 2021): वर्ष में कुल मिलाकर चार नवरात्रि आते हैं. मुख्य रूप से चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रों के बारे में सभी जानते हैं. लेकिन इसके अलावा दो और भी नवरात्रि हैं जिनमे विशेष कामनाओं की सिद्धि की जाती है. इसलिए इन्हें गुप्त नवरात्रि कहते हैं. गुप्त नवरात्रि इस बार 11 जुलाई यानी आज से शुरू हो रहे हैं. आइए जानते हैं ज्योतिर्विद करिश्मा कौशिक से कि क्या है गुप्त नवरात्रि का महत्व और घट स्थापना का शुभ मुहूर्त.
साल में आते हैं चार नवरात्रि:
चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि के बारे में सभी को पता रहता है लेकिन इनके अलावा, माघ गुप्त नवरात्रि और आषाढ़ गुप्त नवरात्रि भी आती हैं. इनके बारे में बहुत ही कम लोगों जानकारी है. आषाढ़ मास में पड़ने वाली नवरात्रि को आषाढ़ गुप्त नवरात्रि कहते हैं. आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से आषाढ़ की गुप्त नवरात्रि शुरू होती है. इस बार आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि 11 जुलाई 2021 दिन रविवार से शुरू होकर 18 जुलाई 2021 दिन रविवार को समाप्त होगी.
गुप्त नवरात्रि का महत्व:
नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा की पूजा-अर्चना की जाती है. चूंकि गुप्त नवरात्रि है तो इस दौरान मां दुर्गा की पूजा गुप्त तरीके से की जाती है. इसमें विशेष तरह की इच्छापूर्ति तथा सिद्धि प्राप्त करने के लिए पूजा और अनुष्ठान किया जाता है. गुप्त नवरात्रि में तंत्र-मंत्र और सिद्धि प्राप्त करने का विषेश महत्व होता है. इस दौरान तांत्रिक, साधक या अघोरी तंत्र-मंत्र और सिद्धि प्राप्त करने के लिए मां दुर्गा की साधना करते हैं. इसके अलावा, आप लोग भी गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा अराधना कर सकते हैं. माना जाता है कि इस दौरान मां की पूजा करने से आपके जीवन के सभी संकटों का नाश होता है.
नियमों का करें पालन:
गुप्त नवरात्रि के दौरान पूजा करते समय विशेष बातों का ध्यान रखा चाहिए. सुबह और शाम नियमित रूप से मां दुर्गा की पूजा करें और किसी को बिना बताए गुप्त रूप से मां की पूजा की जानी चाहिए. गुप्त नवरात्रों में गुप्त रूप से मां दुर्गा और उनके रूपों की पूजा की जाती है.
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि घट स्थापना मुहूर्त (Ghat Sthapana Muhurat):
11 जुलाई 2021 दिन रविवार
घट स्थापना शुभ मुहूर्त- सुबह 5 बजकर 31 मिनट से सुबह 7 बजकर 47 मिनट तक
अभिजित मुहूर्त- सुबह 11 बजकर 59 से दोपहर 12 बजकर 54 मिनट तक
मां के इन रूपों की होती है पूजा:
गुप्त नवरात्रि के पहले दिन मां काली की पूजा होती है. इसके अलावा, तारा देवी, त्रिपुरा सुंदरी, भुवनेश्वरी, मां चित्र मस्ता और मां त्रिपुर भैरवी की पूजा की जाती है. मां के अलग-अलग रूप हैं जैसे मां धूमावती, मां बगलामुखी, मां मातंगी और मां कमला देवी की पूजा अंतिम नवरात्रि के दिन की जाती है.
ऐसे करें मां दुर्गा की पूजा:
गुप्त नवरात्रि के दौरान घट स्थापना उसी तरह की जाती है जिस तरह से चैत्र और शारदीय नवरात्रि में होती है. सुबह-शाम की पूजा में मां को लौंग और बताशे का भोग लगाना आवश्यक होता है. इसके बाद मां को शृंगार का सामान जरूर अर्पित करें. सुबह और शाम दोनों समय पर दुर्गा सप्तशती का पाठ जरूर करें. 'ॐ दुं दुर्गायै नमः' मंत्र का जाप करें. इससे आपके जीवन की सारी समस्याएं दूर हो सकती हैं.