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Basant Panchami 2023: इस तारीख को मनाई जाएगी बसंत पंचमी, जानें कैसे करें ज्ञान की देवी को प्रसन्न

माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को हर वर्ष बसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाता है. इस साल यह त्योहार 26 जनवरी को मनाया जाएगा. मान्यताओं के अनुसार, सृष्टि के रचियता भगवान ब्रह्मा के मुख से बसंत पंचमी के दिन ही ज्ञान और विद्या की देवी मां सरस्वती प्रकट हुई थीं. इसी वजह से इस दिन देवी सरस्वती की पूजा की जाती है.

बसंत पंचमी पर ऐसे करें मां सरस्वती का पूजन बसंत पंचमी पर ऐसे करें मां सरस्वती का पूजन
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 20 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 1:55 PM IST

हिंदू पंचांग के अनुसार, माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को हर वर्ष बसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाता है. इस साल बसंत पंचमी 26 जनवरी 2023 को मनाई जाएगी. वसंत पंचमी को श्री पंचमी तथा ज्ञान पंचमी भी कहते हैं. मान्यता है कि सृष्टि के रचियता भगवान ब्रह्मा के मुख से बसंत पंचमी के दिन ही ज्ञान और विद्या की देवी मां सरस्वती प्रकट हुई थीं. इसी वजह से इस दिन मां सरस्वती की पूजा-अर्चना की जाती है.

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मान्यता है कि ज्ञान प्राप्ति के लिए इस दिन देवी मां सरस्वती की विधि-विधान से पूजा करने का बहुत महत्व है. ज्ञान के उपासक बसंत पंचमी के दिन माता सरस्वती की पूजा विधि विधान से करते हैं. इस दिन पीले वस्त्र धारण करने की भी मान्यता है.

बसंत पंचमी की तिथि और शुभ मुहूर्त (Basant Panchami 2023 Shubh Muhurat)

इस साल बसंत पंचमी की तारीख को लेकर काफी कन्फ्यूजन है. कोई 25 जनवरी को बसंत पंचमी मनाए जाने की बात कर रहा है तो कोई 26 जनवरी को, ऐसे में इस खबर में हम आपका कन्फ्यूजन दूर कर रहे हैं. शास्त्रों के अनुसार, जिस दिन उदयातिथि (सूर्योदय के समय की तिथि यानी सूर्योदय का दिन ) होती है. किसी भी पर्व के लिए उसी तिथि को मान्यता दी जाती है. इस तरह 26 जनवरी की सुबह से ही बसंत पंचमी शुरू होगी और यह 26 जनवरी 2023 को ही मनाई जाएगी. हालांकि माघ शुक्ल पंचमी 25 जनवरी 2023 की दोपहर 12 बजकर 34 मिनट से शुरू होगी और इसका समापन 26 जनवरी को सुबह 10 बजकर 28 पर होगा. लेकिन उदया तिथि के अनुसार त्योहार 26 जनवरी को ही मनाया जाएगा.

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उदयातिथि के अनुसार, 26 जनवरी को बसंत पंचमी का पूजा मुहूर्त सुबह 07 बजकर 07 मिनट से लेकर सुबह 10 बजकर 28 मिनट तक रहेगा. 

बसंत पंचमी का महत्व (Basant Panchami 2023 Importance)

बसंत पंचमी को श्रीपंचमी, ज्ञान पंचमी और मधुमास के नाम से भी जाना जाता है. कहा जाता है कि इस दिन से बसंत ऋतु का आगमन हो जाता है. इस दिन संगीत और ज्ञान की देवी की पूजा की जाती है. इस दिन किसी मांगलिक कार्य की शुरुआत करना भी काफी शुभ माना जाता है. 

इस तरह करें मां सरस्वती की पूजा (Basant Panchami 2023 Pujan Vidhi)

मां सरस्वती की पूजा के दिन पीले रंग के वस्त्र पहनना बहुत ही शुभ है. पूजा के समय देवी को केसर या पीले चंदन का तिलक अर्पण करने के बाद इसी चंदन को अपने माथे पर लगाएं. मान्यता है कि पूजा का उपाय करने पर साधक पर शीघ्र ही मां सरस्वती की कृपा बरसती है. मान्यता है कि किसी भी देवी या देवता को प्रसन्न करने के लिए उन्हें नैवेद्य चढ़ाएं (देवी-देतवाओं को अर्पण करने वाली चीजें) और फिर उसे प्रसाद के रूप में ग्रहण जरूर करें.

बसंत पंचमी पर इन मंत्रों के साथ करें देवी की पूजा (Puja Mantra)

कौन सा करें पाठ या मंत्र ?
 ज्ञान प्राप्ति के लिए इस मंत्रा का जप करें-
ओम् ऐं वाग्देव्यै विझहे धीमहि। तन्नो देवी प्रचोदयात्!!

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-नौकरी और प्रमोशन के लिए इस मंत्र का जप करें-
ओम् वद वद वाग्वादिनी स्वाहा

-परीक्षा में सफलता के लिए मां सरस्वती के चित्र के सामने यह मंत्र जपें-
ओम् एकदंत महा बुद्धि, सर्व सौभाग्य दायक:!
सर्व सिद्धि करो देव गौरी पुत्रों विनायकः !!

- यह मंत्र कमजोर विद्यार्थी या उनके अभिभावक भी मां सरस्वती के चित्र के सामने 5 या 11 माला कर सकते हैं-
ओम् ऐं सरस्वत्यै नमः

बसंत पंचमी पर जरूर करें सरस्वती वंदना

या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना
या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवै: सदा वन्दिता
सा मां पातु सरस्वती भगवती नि:शेषजाड्यापहा 

आशासु राशीभवदंगवल्ली
भासैव दासीकृतदुग्धसिन्धुम्
मन्दस्मितैर्निन्दितशारदेन्दुं
वन्देSरविन्दासनसुन्दरि त्वाम् 

शारदा शारदाम्भोजवदना वदनाम्बुजे
सर्वदा सर्वदास्माकं सन्निधिं क्रियात् 

सरस्वतीं च तां नौमि वागधिष्ठातृदेवताम्
देवत्वं प्रतिपद्यन्ते यदनुग्रहतो जना:

पातु नो निकषग्रावा मतिहेम्न: सरस्वती
प्राज्ञेतरपरिच्छेदं वचसैव करोति या 

शुक्लां ब्रह्मविचारसारपरमामाद्यां जगद्व्यापिनीं
वीणापुस्तकधारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्
हस्ते स्फाटिकमालिकां च दधतीं पद्मासने संस्थितां
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्

वीणाधरे विपुलमंगलदानशीले
भक्तार्तिनाशिनि विरण्चिहरीशवन्द्ये।
कीर्तिप्रदेSखिलमनोरथदे महार्हे
विद्याप्रदायिनि सरस्वति नौमि नित्यम्

श्वेताब्जपूर्णविमलासनसंस्थिते हे
श्वेताम्बरावृतमनोहरमंजुगात्रे
उद्यन्मनोज्ञसितपंकजमंजुलास्ये
विद्याप्रदायिनि सरस्वति नौमि नित्यम्

मातस्त्वदीयपदपंकजभक्तियुक्ता
ये त्वां भजन्ति निखिलानपरान्विहाय।
ते निर्जरत्वमिह यान्ति कलेवरेण्
भूवह्निवायुगगनाम्बुविनिर्मितेन 
 

बसंत पंचमी के पीछे ये है पौराणिक कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, ब्रह्मा जी ने जब सृष्टि की रचना की तो सभी जीव-जंतु पृथ्वी पर वास करने लगे लेकिन चारों ओर सन्नाटा पसरा हुआ था. वो अपनी रचना से पूरी तरह संतुष्ट नहीं थे. इसके बाद ब्रह्मा जी ने वाणी की देवी मां सरस्वती का आह्वान किया, तब मां सरस्वती उनके मुख से प्रकट हुईं. मां सरस्वती माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी ति​थि को प्रकट हुई थीं, उस दिन बसंत पंचमी का ही दिन था. इस वजह से इस दिन पर हर साल मां सरस्वती पूजा की जाती है.

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मां सरस्वती की कृपा से पृथ्वी के जीवों को स्वर प्राप्त हुआ, उन्हें वाणी मिली. सभी बोलने लगे. सबसे पहले मां सरस्वती के वीणा से ही संगीत के प्रथम स्वर निकले. वीणावादिनी मां सरस्वती कमल पर विराजमान होकर हाथों में पुस्तक लेकर प्रकट हुई थीं. इस वजह से मां सरस्वती को ज्ञान, वाणी और स्वर की देवी भी कहा जाता है.

 

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