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Budh Pradosh Vrat 2023: कल रखा जाएगा साल का पहला प्रदोष व्रत, बन रहे हैं ये शुभ संयोग

Budh Pradosh Vrat 2023 kab hai: साल 2023 का पहला प्रदोष व्रत 04 जनवरी को रखा जाएगा. हर महीने में दो बार प्रदोष व्रत किया जाता है. यह प्रदोष व्रत बुधवार को पड़ रहा है इसलिए इसे बुध प्रदोष व्रत कहेंगे. मान्यताओं के अनुसार, इस दिन जो भी भगवान शिव के लिए सच्चे मन से व्रत रखता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है. इस साल का पहला प्रदोष व्रत बहुत ही खास रहना वाला है. आइए जानते हैं कि साल का पहला प्रदोष व्रत क्यों खास है.

बुध प्रदोष व्रत 2023 बुध प्रदोष व्रत 2023
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 03 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 7:36 AM IST

Budh Pradosh Vrat 2023: हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत को सबसे खास माना जाता है. प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा का विधान बताया गया है. ऐसी मान्यता है कि जो कोई भी व्यक्ति सच्चे मन से प्रदोष व्रत रखता है, भगवान शिव उस व्यक्ति की सभी मनोकामना को पूरा करते हैं. उसके सभी दुःख और पाप भी दूर करते हैं. साल 2023 का पहला प्रदोष व्रत पौष माह की शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 04 जनवरी को पड़ रहा है. यह बुध प्रदोष व्रत है.

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बुध प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त (Budh Pradosh Vrat Shubh Muhurat)

हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल यानी 2023 का पहला प्रदोष व्रत पौष माह की त्रयोदशी तिथि को रखा जाएगा. इसकी शुरुआत 03 जनवरी को रात 10 बजकर 01 मिनट पर होगी और इसका समापन 04 जनवरी को रात 11 बजकर 50 मिनट पर होगा. प्रदोष पूजा व्रत के आधार पर बुध प्रदोष व्रत 04 जनवरी 2023 को रखा जाएगा. बुध प्रदोष व्रत का पूजा मुहूर्त शाम 05 बजकर 37 मिनट से लेकर 08 बजकर 21 मिनट तक होगा. इस दिन अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 13 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 57 मिनट तक है. साथ ही सर्वार्थ सिद्धि योग पूरे दिन रहेगा. रवि योग शाम 06 बजकर 49 मिनट से लेकर अगले दिन 05 जनवरी को सुबह 07 बजकर 13 मिनट पर इसका समापन होगा. हर माह में दो प्रदोष व्रत आते हैं- पहला कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी और दूसरा शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी. 

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बुध प्रदोष व्रत पूजन विधि (Budh Pradosh Vrat Pujan Vidhi)

प्रदोष व्रत के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नानादि करें और साफ वस्त्र धारण करें. उसके बाद बेलपत्र, अक्षत, दीप, धूप, गंगाजल आदि से भगवान शिव का पूजन करें. इस व्रत में भोजन ग्रहण नहीं किया जाता है. पूरे दिन का उपवास रखने के बाद सूर्यास्त से कुछ देर पहले दोबारा स्नान कर लें और सफेद रंग का वस्त्र धारण करें. फिर स्वच्छ जल या गंगा जल से पूजा स्थल को शुद्ध कर लें. अब गाय का गोबर लें और उसकी मदद से मंडप तैयार कर लें. पांच अलग-अलग रंगों की मदद से आप मंडप में रंगोली बना लें. पूजा की सारी तैयारी करने के बाद उतर-पूर्व दिशा में मुंह करके कुशा के आसन पर बैठ जाएं. भगवान शिव के मंत्र ऊं नम: शिवाय का जाप करें और शिव जी को जल चढ़ाएं. 

बुध प्रदोष व्रत महत्व (Budh Pradosh Vrat Importance)

मान्यता है कि बुध प्रदोष व्रत करके आप किसी भी रोग से छुटकारा पा सकते हैं. इस व्रत को करने से दोषों से मुक्ति मिल सकती है. घर के कलह और क्लेशों से छुटकारा मिल सकता है. यानी बुध प्रदोष व्रत करने से आप पर भगवान शिव की कृपा के साथ मंगलमूर्ति की कृपा भी बरसेगी. इसके अलावा संतान प्राप्ति के लिए प्रदोष व्रत बेहद ही शुभ माना जाता है. कर्ज मुक्ति के लिए भी प्रदोष व्रत बेहद ही महत्वपूर्ण और पुण्यदाई माना गया है.

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बुध प्रदोष व्रत के दिन भूलकर न करें ये गलतियां (Budh Pradosh Vrat dos and donts) 

1. इस दिन काले कपड़े धारण न करें. 
2. इस दिन भूलकर भी शिवलिंग को न छुएं. 
3. बुध प्रदोष व्रत के दिन किसी का भी अपमान न करें.
4. इस दिन शिवलिंग पर हल्दी अर्पित न करें. 
5. बुध प्रदोष व्रत के दिन तामसिक भोजन, मांस, शराब इत्यादि का भूल से भी सेवन न करें. 
6. बुध प्रदोष व्रत के दिन किसी को भी गुस्सा ना दिखाएं या किसी पर क्रोध न करें और साथ ही किसी तरह की लड़ाई में भी ना पड़े. 

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