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Dussehra 2021: सत्य की असत्य पर जीत का पर्व विजयादशमी आज, इस शुभ मुहूर्त में करें पूजा, जानें विधि

Dussehra 2021:आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी को आज पूरे देश में दशहरा धूमधाम से मनाया जा रहा है. सत्य की असत्य पर जीत के इस पर्व को विजयादशमी भी कहते हैं. इतना ही नहीं ये पर्व वर्षा ऋतु की समाप्ति व शरद के प्रारंभ होने की सूचना भी देता है. इस दिन भगवान श्री राम ने रावण का वध कर लंका पर विजय प्राप्त की थी. मान्यता ये भी है कि मां दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षस का इसी दिन वध किया था. दशहरा के दिन शस्त्र पूजन करने की भी परंपरा है.

सत्य की, असत्य पर जीत का पर्व विजयादशमी (फोटो/PTI) सत्य की, असत्य पर जीत का पर्व विजयादशमी (फोटो/PTI)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 15 अक्टूबर 2021,
  • अपडेटेड 11:19 AM IST
  • दशहरा पर पूजन का शुभ विजय मुहूर्त
  • मां दुर्गा और भगवान श्री राम का करें पूजन

Dussehra 2021: दशहरा (Dussehra) पर आज मां दुर्गा और भगवान श्रीराम का पूजन होगा. इसके साथ ही मां दुर्गा की विदाई होगी. मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर कैलाश पर्वत के लिए प्रस्थान करेंगी. वहीं इसी दिन शस्त्र पूजन भी होता है. मान्यता है कि शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने के लिए इस दिन शस्त्र पूजा करनी चाहिए. वहीं शाम के समय जगह-जगह बुराई रूपी रावण के पुतले का दहन किया जाएगा. आइये जानते हैं दशहरा पर पूजन का शुभ मुहूर्त. 

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ये है शुभ मुहूर्त
विजय दशमी (Vijay dashmi 2021) तिथि 14 अक्टूबर को 6 बजकर 52 मिनट से प्रारंभ हो चुकी है. जो कि आज 15 अक्टूबर 2021 को शाम 6 बजकर 2 मिनट तक रहेगी. विजय दशमी पर दोपहर 2 बजकर 1 मिनट से 2 बजकर 47 मिनट तक विजय मुहूर्त है. इस मुहूर्त की कुल अवधि सिर्फ 46 मिनट की है. वहीं अपराह्न पूजा का समय दोपहर 1 बजकर 15 मिनट से लेकर 3 बजकर 33 मिनट तक है. 


पूजा विधि
इस दिन चौकी पर लाल रंग के कपड़े को बिछाकर उस पर भगवान श्रीराम और मां दुर्गा की मूर्ति स्थापित करें. इसके बाद हल्दी से चावल पीले करने के बाद स्वास्तिक के रूप में गणेश जी को स्थापित करें. नवग्रहों की स्थापना करें. अपने ईष्ट की आराधना करें ईष्ट को स्थान दें और लाल पुष्पों से पूजा करें, गुड़ के बने पकवानों से भोग लगाएं. इसके बाद यथाशक्ति दान-दक्षिणा दें और गरीबों को भोजन कराएं. धर्म ध्वजा के रूप में विजय पताका अपने पूजा स्थान पर लगाएं.

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दशहरा का महत्व
इस दिन मां दुर्गा ने महिषासुर नाम के असुर का वध कर देवताओं को उसके आतंक से मुक्ति दिलाई थी. वहीं इस दिन भगवान श्री राम ने रावण का वध कर माता सीता को उसकी कैद से मुक्त कराया था. इस पर्व को बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक माना जाता है. इस दिन लोग शस्त्र पूजन के साथ ही वाहन पूजन भी करतें हैं. वहीं आज के दिन से किसी भी नए कार्य की शुरुआत करना भी शुभ माना जाता है.  

 

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