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Sankashti Chaturthi 2023: कब है फाल्गुन माह की संकष्टी चतुर्थी? इस विधि से करें श्रीगणेश जी का पूजन

Sankashti Chaturthi 2023: हिन्दू पंचांग के अनुसार पूर्णिमा के बाद कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है. संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश का पूजन किया जाता है. इस बार द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी मनाई जा रही है. इस बार द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी 09 फरवरी को मनाई जा रही है. इस दिन पूरे विधि विधान के साथ पूजा करने से भक्तों पर भगवान गणेश की विशेष कृपा बनती है.

संकष्टी चतुर्थी 2023 संकष्टी चतुर्थी 2023
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 08 फरवरी 2023,
  • अपडेटेड 11:17 AM IST

Dwijapriya Sankashti Chaturthi 2023: हर महीने में दो बार संकष्टी चतुर्थी आती है. एक बार पूर्णिमा के बाद और दूसरी अमावस्या के बाद जिसे विनायक चतुर्थी कहा जाता है. संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा की जाती है. भगवान गणेश को विघ्नहर्ता के नाम से जाना जाता है. संकष्टी चतुर्थी हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाएगी. इस बार द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी का व्रत 09 फरवरी 2023, गुरुवार को रखा जाएगा. 

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इस दिन भगवान गणेश के 32 रुपों में से उनके छठे स्वरूप की पूजा की जाती है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने और व्रत रखने से व्यक्ति के जीवन की सभी परेशानियों का अंत हो जाता है. विघ्नगर्ता गणेश की भक्त पर विशेष कृपा होती है, उसे सुख-समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है.

द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी शुभ मुहूर्त (Dwijapriya Sankashti Chaturthi 2023 Shubh Muhurat) 

द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी की शुरुआत 09 फरवरी, गुरुवार को सुबह 06 बजकर 23 मिनट पर होगी और इसका समापन 10 फरवरी को सुबह 07 बजकर 58 मिनट पर होगा. इस दिन चंद्रोदय का समय रात 09 बजकर 18 मिनट पर होगा. उदयातिथि के अनुसार, द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी इस बार 09 फरवरी गुरुवार को ही मनाई जाएगी.

द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी पूजन विधि (Dwijapriya Sankashti Chaturthi Pujan vidhi)

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प्रात: काल उठकर स्नान करें. साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें. घर में मंदिर की साफ-सफाई करें. भगवान गणेश को उत्तर दिशा की तरफ मुंह करके जल अर्पित करें. जल अर्पित करने से पहले उसमें तिल अवश्य डाल लें. दिनभर उपवास रखें. शाम को विधि-विधान के साथ भगवान गणेश की पूजा करें. भगवान गणेश की आरती उतारें, भोग में लड्डू चढ़ाएं. रात में चांद देखकर अर्घ्य दें. लड्डू या तिल खाकर व्रत खोलें. तिल का दान करें.

द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के दिन करें ये उपाय (Dwijapriya Sankashti Chaturthi Upay)

1. संकष्टी चतुर्थी के दिन गाय के घी में सिंदूर मिलाकर दीपक जला लें. फिर इस दीपक को भगवान गणेश के सामने रख दें. भगवान गणेश को इस दिन गेंदे का फूल अर्पित करें और गुड़ का भोग लगाएं. शुभ फल की प्राप्ति होगी. 

2. केले के पत्ते को अच्छी तरह साफ कर के उसपर रोली चन्दन से त्रिकोण की आकृति बना लें. फिर केले के पत्ते को पूजा स्थल पर रखकर इसके आगे दीपक रख दें. इसके बाद त्रिकोण की आकृति के बीच में मसूर की दाल और लाल मिर्च रख दें. इसके बाद अग्ने सखस्य बोधि नः मंत्र का जाप करें.

3. भगवान गणेश के पूजन के वक़्त साफ व हरे रंग का वस्त्र धारण करें. इसके साथ ही भगवान गणेश की प्रतिमा या तस्वीर को पीले रंग के आसन पर विराजमान करें. इससे  भगवान गणेश बेहद प्रसन्न होंगे और आपकी हर समस्या का समाधान होगा.

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4. संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश के मस्तक पर चंदन, सिंदूर व अक्षत का तिलक जरूर करें. इससे भगवान गणेश बेहद प्रसन्न होते हैं और साथ ही जातकों का भाग्योदय भी होता है.

5. संकष्टी चतुर्थी के दिन पांच दूर्वा में ग्यारह गांठें लगा कर इसे किसी लाल कपड़े में बांध दे और फिर भगवान गणेश के सामने रख दें. इसके बाद भगवान गणेश का ध्यान करें. इससे आपकी आर्थिक स्थिति बेहतर होगी.

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