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Ganadhipa Sankashti Chaturthi 2024: गणाधिप संकष्टी चतुर्थी आज, जानें पूजा का मुहूर्त, पूजन विधि और चंद्रोदय का समय

Ganadhipa Sankashti Chaturthi 2024: गणाधिप संकष्टी चतुर्थी के दिन गणपति बप्पा की पूजा-अर्चना की जाती है. इस बार संकष्टी चतुर्थी 18 नवंबर यानी आज मनाई जा रही है. संकष्टी चतुर्थी की तिथि 18 नवंबर यानी शाम को 6 बजकर 55 मिनट पर शुरू होगी और तिथि का समापन 19 नवंबर को शाम 5 बजकर 28 मिनट पर होगा.

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aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 18 नवंबर 2024,
  • अपडेटेड 6:54 AM IST

Ganadhipa Sankashti Chaturthi 2024: संकष्टी चतुर्थी का दिन बहुत ही खास माना जाता है. इस दिन भगवान गणेश की उपासना की जाती है. इस दिन भक्त बप्पा के लिए व्रत करते हैं और उनकी सभी इच्छाएं पूरी होती है. संकष्टी चतुर्थी पर महीने में दो बार आती है शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष. इस बार मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की संकष्टी चतुर्थी 19 नवंबर यानी आज मनाई जा रही है.

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गणाधिप संकष्टी चतुर्थी का शुभ मुहूर्त (Ganadhipa Sankashti Chaturthi 2024 Shubh Muhurat)

गणाधिप संकष्टी चतुर्थी तिथि की शुरुआत- 18 नवंबर यानी आज शाम 6 बजकर 55 मिनट पर होगी और तिथि का समापन 19 नवंबर यानी कल शाम 5 बजकर 28 मिनट पर होगा. वहीं, चंद्रोदय का समय आज शाम 7 बजकर 34 मिनट पर होगा. 

उदयातिथि के अनुसार, गणाधिप संकष्टी चतुर्थी 18 नवंबर यानी आज ही मनाई जा रही है. 

गणाधिप संकष्टी चतुर्थी पूजन विधि (Ganadhipa Sankashti Chaturthi Puja Vidhi)

संकष्टी चतुर्थी के दिन सबसे पहले सुबह उठकर स्नानादि करें. उसके बाद भक्त घर, पूजा घर की साफ-सफाई करें. फिर, व्रत का संकल्प करें. उसके बाद भगवान गणेश के आगे एक दीया जलाएं और उनको फूल और तिलक लगाएं. फिर, लड्डू और दुर्वा चढ़ाएं जो कि भगवान गणेश की पूजा में बहुत ही जरूर माना जाता है. फिर, संकष्टी चतुर्थी की कथा और मंत्र पढ़ें. उसके बाद चंद्रोदय के समय चंद्र देवता को अर्घ्य दें और व्रत का पारण करें.  

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गणाधिप संकष्टी चतुर्थी महत्व (Ganadhipa Sankashti Chaturthi Significance)

संकष्टी चतुर्थी का दिन भगवान गणेश की उपासना के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है. सनातन धर्म में सभी देवी-देवताओं से पहले गणपति बप्पा की पूजा की जाती है. बिना उनकी उपासना करें पूजा का कोई रिवाज पूरा नहीं होता है. इसके अलावा, विवाह से संबंधित रिवाजों में भी उनकी ही पूजा की जाती है इसलिए उन्हें मंगलमूर्ति के नाम से जाना जाता है.

गणाधिप संकष्टी चतुर्थी मंत्र 

ऊं श्री गणेशाय नमः

ऊं गण गणपतये नमो नमः

ऊं विकटमें विकटतमें गणपतिम् भजे

ऊं गणेश विद्ये नमोस्तुते

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