
वर्ष के सबसे बड़े धार्मिक उत्सव में शुमार गणेशोत्सव का इस बार शनिदेव से खास संयोग बना है. भाद्रपद शुक्लपक्ष चतुर्थी शनिवार को है. साथ ही गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन भी डोल ग्यारस यानि एकादशी को होगा. यह एकादशी शनिवार 29 अगस्त को है. हालांकि 1 सितंबर को गणेश चतुर्दशी के दिन भी मूर्ति विसर्जन किया जाएगा.
ज्योतिषाचार्य डॉ. अरुणेश कुमार शर्मा ने बताया कि महान स्वतंत्रता सेनानी बाल गंगाधर तिलक के द्वारा शुरू किया गया साप्ताहिक गणेश उत्सव चतुर्थी से एकादशी तक मनाया जाता है. शनिवार को उत्सव का आरंभ और शनिवार को ही विसर्जन निश्चित ही विशेष योग कारक है.
शनिदेव जनता के कारक हैं. भगवान गणेश विघ्नहर्ता हैं. वर्तमान वैश्विक संकट में न्यायदेव शनिदेव और सुखकर्ता विनायक का संयोग समस्त संताप हरने वाला है. पुराणों में कहा बताया गया है कि घोर कलियुग में भगवान गणेश धूम्रकेतु के रूप में भक्तों के संताप हरेंगे. नीले रंग के घोड़े पर सवार धूम्रकेतु का यह स्वरूप श्रीहरि विष्णु के कल्कि अवतार के अवतार समान है.
श्रद्धालुओं के संकटों को हरने वाले धूम्रकेतु के देह से नीली ज्वालाएं उठेंगी. इनसे पापियों का संहार होगा. शनिदेव भी नीलवर्णी हैं. पापियों को दंड देने वाले हैं. इस गणेश चतुर्थी को शनिदेव का यह संयोग भी समस्त पाप, दुख और संताप हरने वाला है.