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Holika dahan 2023 Shubh Muhurat: होलिका दहन आज, सिर्फ इतने घंटे का मिलेगा समय, जानें पूजन विधि और उपाय

Holika dahan 2023: होलिका दहन का त्योहार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है. होलिका दहन को बहुत सी जगहों पर छोटी होली भी कहते हैं. पूरे देश में आज होलिका दहन का त्योहार मनाया जाएगा. ऐसे में आइए जानते हैं होलिका दहन का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, पूजन सामग्री और इससे जुड़ी कई बातें.

होलिका दहन शुभ मुहूर्त होलिका दहन शुभ मुहूर्त
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 07 मार्च 2023,
  • अपडेटेड 1:12 PM IST

Holika dahan 2023 Shubh Muhurat: हर साल फाल्गुन मास में होली का त्योहार मनाया जाता है, उससे ठीक एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है. होलिका दहन को बहुत सी जगहों पर छोटी होली भी कहते हैं. इस साल होलिका दहन 07 मार्च मंगलवार यानी आज के दिन किया जाएगा. इसके ठीक अगले दिन 08 मार्च यानी कल रंगों की होली खेली जाएगी. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कहा जाता है कि होलिका दहन पूर्णिमा के दिन प्रदोष काल में की जाए तो सबसे शुभ होता है. इस दौरान भद्रा मुख को त्याग करके रात के समय होलिका दहन करना शुभ होता है.

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होलिका दहन शुभ मुहूर्त (Holika Dahan Shubh Muhurat)

होलिका दहन का मुहूर्त 06 मार्च यानी कल शाम 04 बजकर 17 मिनट पर शुरू हो चुका है और इसका समापन 07 मार्च यानी आज शाम 04 बजकर 17 मिनट तक रहेगा. आज शाम 06 बजकर 12 मिनट से लेकर रात 08 बजकर 39 मिनट तक होलिका दहन का शुभ मुहूर्त है. इसी अवधि में होलिका दहन करना ज्यादा उत्तम माना जा रहा है. होलिका दहन के लिए आज सिर्फ 02 घंटे 27 मिनट का ही समय मिलेगा. 

अशुभ माने जाने वाले भद्रा काल का समय 06 मार्च यानी कल शाम 04 बजकर 48 मिनट पर शुरू हो चुका है और 07 मार्च यानी आज सुबह 05 बजकर 14 मिनट पर समाप्त हो चुकी है. 

होलिका दहन पूजन सामग्री (Holika Dahan Pujan Samagri)

पानी से भरी एक कटोरी, गाय के गोबर से बने उपले, रोली, अक्षत, अगरबत्ती, धूप, फूल, कच्चा कपास, कच्ची हल्दी, साबुत दाल (मूंग), बताशा, गुलाल, नारियल, कोई भी नई फसल (जैसे गेहूं).

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होलिका दहन पूजन विधि (Holika Dahan Pujan Vidhi)

सभी पूजन सामग्रियों को एक जगह पर इकट्ठा करके रख लें . इसके बाद जिस जगह पर होलिका दहन किया जाना है वहां की सफाई कर लें. पूजा करते समय उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुंह करके बैठें. फिर गाय के गोबर से होलिका और प्रह्लाद की मूर्ति बनाएं. इसके बाद होलिका पूजन में प्लेट में रखी सभी चीजों को अर्पित करें. इसमें मिठाइयां और फल भी अर्पित करें. इसके बाद भगवान नरसिंह की पूजा करें. अंत में होलिका की 7 बार परिक्रमा करें.

धन-दौलत और बच्चों को नजर दोष और बुरी आदतों से बचाने के उपाय 

होलिका दहन में नारियल गोला, सुपारी और सिक्के डालें. नारियल बच्चों की बुद्धि को अच्छी करेगा और दिमाग तेज करेगा. सुपारी उनके बुरी आदतों और बुरे विचारों पर रोक लगाएगा. इस तरह से बच्चों की बुराई होलिका दहन की अग्नि में जलकर भस्म हो जाएगी. बच्चे सुखी होकर पढ़ेंगे, लिखेंगे और बहुत धन कमाएंगे.

होलिका दहन स्थल पर इन बातों का रखें ख्याल

होलिका दहन से पहले पूजा करें. पूजा में दीपक, धूप, एक माला, गन्ना, चावल, काले तिल, कच्चा सूत, पानी का लोटा, पापड़ चढ़ाएं. पूजा में हनुमान जी और शीतला माता को प्रणाम करें. होलिका दहन में चावल, आम और नीम की लकड़ी चने की झाड़, पापड़ और गेंहू की बालियां डालें और होलिका दहन की अगली सुबह यानी होली वाले दिन होलिका दहन के स्थान पर एक लोटा ठंडा पानी डालें.

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होलिका दहन का पौराणिक महत्व 

पुराणों के अनुसार, दानवराज हिरण्यकश्यप ने जब देखा की उसका पुत्र प्रह्लाद विष्णु भगवान के अलावा किसी अन्य को नहीं मानता तो वह क्रुद्ध हो उठा. उसने अपनी बहन होलिका को आदेश दिया की वह प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठ जाए. होलिका को वरदान प्राप्त था कि उसे अग्नि नुकसान नहीं पहुंचा सकती. किन्तु हुआ इसके ठीक विपरीत, होलिका जलकर भस्म हो गयी. भक्त प्रह्लाद को कुछ भी नहीं हुआ. इसी घटना की याद में इस दिन होलिका दहन करने का विधान है. होली का पर्व संदेश देता है कि इसी प्रकार ईश्वर अपने अनन्य भक्तों की रक्षा के लिए सदा उपस्थित रहते हैं.

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