
Jaya Ekadashi 2021: व्रतों में प्रमुख व्रत नवरात्रि, पूर्णिमा, अमावस्या और एकादशी के हैं. उसमे भी सबसे बड़ा व्रत एकादशी का माना जाता है. चन्द्रमा की स्थिति के कारण व्यक्ति की मानसिक और शारीरिक स्थिति खराब और अच्छी होती है. ऐसी दशा में एकादशी व्रत से चन्द्रमा के हर खराब प्रभाव को रोका जा सकता है. यहां तक कि ग्रहों के असर को भी काफी हद तक कम किया जा सकता है. क्योंकि एकादशी व्रत का सीधा प्रभाव मन और शरीर, दोनों पर पड़ता है. लेकिन एकादशी का लाभ तभी हो सकता है, जब इसके नियमों का पालन किया जाए.
क्या है जया एकादशी का महत्व?
वैसे तो एकादशी मन और शरीर को एकाग्र कर देती है. लेकिन अलग-अलग एकादशियाँ विशेष प्रभाव भी उत्पन्न करती हैं. माघ शुक्ल एकादशी को जया एकादशी कहा जाता है. इसका पालन करने से व्यक्ति के पापों का नाश होता है. मुक्ति मिलती है. इस व्रत के प्रभाव से व्यक्ति भूत, पिशाच आदि योनियों से मुक्त हो जाता है. यह व्रत व्यक्ति के संस्कारों को शुद्ध कर देता है.
क्या है जया एकादशी के व्रत को रखने के नियम?
यह व्रत दो प्रकार से रखा जाता है- निर्जल व्रत और फलाहारी या जलीय व्रत. सामान्यतः निर्जल व्रत पूर्ण रूप से स्वस्थ्य व्यक्ति को ही रखना चाहिए. अन्य या सामान्य लोगों को फलाहारी या जलीय उपवास रखना चाहिए. इस व्रत में प्रातः काल श्री कृष्ण की पूजा की जाती है. इस व्रत में फलों और पंचामृत का भोग लगाया जाता है. बेहतर होगा कि इस दिन केवल जल और फल का ही सेवन किया जाए.