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Jaya Ekadashi 2023: माघ माह की जया एकादशी आज, जानें शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और महत्व

Jaya Ekadashi 2023: आज के दिन जया एकादशी का व्रत रखा जा रहा है. जया एकादशी का व्रत करना बहुत फलदायी होता है. इससे व्यक्ति के जीवन से नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाती है. आइए जानते हैं कि जया एकादशी का शुभ मुहूर्त और पूजन विधि क्या है.

जया एकादशी जया एकादशी
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 01 फरवरी 2023,
  • अपडेटेड 7:46 AM IST

Jaya Ekadashi 2023: माघ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को जया एकादशी कहा जाता है. हर महीने की कृष्ण पक्ष और शुक्ल फक्ष को एकादशी का पर्व मनाया जाता है. हर एकादशी का अपना महत्व है. सभी एकादशी श्री हरी विष्णु को समर्पित होती है. इस बार जया एकादशी 01 फरवरी 2023 यानी आज मनाई जा रही है. जया एकादशी का व्रत बड़े ही कड़े नियमों का होता है. जो व्यक्ति ये व्रत करता है उसे एक दिन पहले से ही सात्विक भोजन करना चाहिए. इस व्रत में अनाज वर्जित होता है. इस दिन चावल का सेवन वर्जित माना जाता है. जया एकादशी का ये व्रत इस बार सर्वार्थ सिद्धि योग में शुरू हो रहा है. 

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जया एकादशी शुभ मुहूर्त (Jaya Ekadashi 2023 Shubh Muhurat) 

हिंदू पंचांग के अनुसार, जया एकादशी की शुरुआत 31 जनवरी 2023 यानी कल रात 11 बजकर 53 मिनट पर हो चुकी है और इसका समापन 01 फरवरी 2023 को आज दोपहर 02 बजकर 01 मिनट पर होगा. उदयातिथि के अनुसार, जया एकादशी का व्रत 01 फरवरी आज ही रखा जा रहा है. जया एकादशी के पारण का समय 02 फरवरी 2023 को सुबह 07 बजकर 09 मिनट से सुबह 09 बजकर 19 मिनट तक रहेगा. साथ ही आज सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 07 बजकर 10 मिनट से 02 फरवरी की आधी रात 03 बजकर 23 मिनट तक रहेगा.

जया एकादशी पूजन विधि (Jaya Ekadashi 2023 Pujan Vidhi)

सुबह स्नान के बाद सबसे पहले व्रत का संकल्प लें. उसके बाद पूजा में धूप, दीप, दीया, पंचामृत आदि इन सभी चीजों को शामिल करें. उसके बाद श्रीहरि विष्णु की मूर्ति स्थापित करें. और उनको फल और फूल अर्पित करें. इसके साथ साथ आपको विष्णु सहस्त्रनाम नाम का पाठ जरूर करें और ऊं नमो भगवते वासुदेवाय नम: मंत्र का जाप करें. 

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जया एकादशी का महत्व (Jaya Ekadashi 2023 Importance)

ऐसा माना जाता है कि अगर आपके ऊपर किसी तरह की नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव है तो जया एकादशी का व्रत रखने से उसका असर कम होता है. साथ व्रत करने वाला व्यक्ति अपने शत्रुओं पर विजय भी प्राप्त करता है. इस एकादशी को भूमि एकादशी और भीष्म एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. इस व्रत में सबसे जरूरी होता है कि विष्णु के समीप बैठकर उनके नाम का जाप करें. उनके नाम का कीर्तन करें. 

जया एकादशी के दिन क्या करें और क्या न करें (Jaya Ekadashi Dos and Donts)

1. इस दिन अपना व्यवहार सात्विक रखें. साथ ही आपकी वाणी भी शुद्ध होनी चाहिए. 

2. जया एकादशी के दिन भोजन में लहसुन, प्याज का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. अगर आप व्रत नहीं रख रहें हैं तो भी आप इस दिन सात्विक भोजन ही करें. मांस और मदिरा का सेवन भी नहीं करना चाहिए.

3. इस दिन किसी की बुराई और निंदा नहीं करनी चाहिए. आपका मन साफ होना चाहिए.

4. इसके साथ ही इस दिन आप छल कपट जैसी चीजें भी अपने मन में भी न लाएं.

5. इस दिन अपने मन में सेवा का भाव रखें. सबकी सेवा करें. गरीबों की मदद करें. दान पुण्य का कार्य करें.

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जया एकादशी व्रत कथा (Jaya Ekadashi Katha)

इंद्र की सभा में उत्सव चल रहा था. देवगण, संत, दिव्य पुरूष सभी उत्सव में उपस्थित थे. उस समय गंधर्व गीत गा रहे थे और गंधर्व कन्याएं नृत्य कर रही थीं. इन्हीं गंधर्वों में एक माल्यवान नाम का गंधर्व भी था जो बहुत ही सुरीला गाता था. जितनी सुरीली उसकी आवाज़ थी उतना ही सुंदर रूप था. उधर गंधर्व कन्याओं में एक सुंदर पुष्यवती नामक नृत्यांगना भी थी. पुष्यवती और माल्यवान एक-दूसरे को देखकर सुध-बुध खो बैठते हैं और अपनी लय व ताल से भटक जाते हैं. उनके इस कृत्य से देवराज इंद्र नाराज़ हो जाते हैं और उन्हें श्राप देते हैं कि स्वर्ग से वंचित होकर मृत्यु लोक में पिशाचों सा जीवन भोगोगे.

श्राप के प्रभाव से वे दोनों प्रेत योनि में चले गए और दुख भोगने लगे. पिशाची जीवन बहुत ही कष्टदायक था. दोनों बहुत दुखी थे. एक समय माघ मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी का दिन था. पूरे दिन में दोनों ने सिर्फ एक बार ही फलाहार किया था. रात्रि में भगवान से प्रार्थना कर अपने किये पर पश्चाताप भी कर रहे थे. इसके बाद सुबह तक दोनों की मृत्यु हो गई. अंजाने में ही सही लेकिन उन्होंने एकादशी का उपवास किया और इसके प्रभाव से उन्हें प्रेत योनि से मुक्ति मिल गई और वे पुन: स्वर्ग लोक चले गए.

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