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Kaal Bhairav Jayanti 2021: कल है काल भैरव जयंती, पूजा-व्रत से शनि और राहु की बाधाओं से मिलती है मुक्ति

Kaal Bhairav Jayanti 2021 Date: काल भैरव जयंती पर भगवान शिव की पूजा का विधान है. भगवान शिव के रौद्र रूप को काल भैरव कहा जाता है. काल भैरव जयंती मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसी दिन भगवान काल भैरव का अवतरण हुआ था. इस साल काल भैरव जयंती 27 नवंबर यानी शनिवार के दिन मनाई जा रही है.

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aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 26 नवंबर 2021,
  • अपडेटेड 11:07 AM IST
  • भैरव की उपासना से होता है भय और अवसाद का नाश
  • भगवान काल भैरव की पूजा रात्रि में करने का है विधान

Kaal Bhairav Jayanti 2021: भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव की उपासना से भय और अवसाद का नाश होता है. भक्तों को अदम्य साहस मिलता है. मान्यता के अनुसार, शनि और राहु की बाधाओं से मुक्ति के लिए भैरव की पूजा अचूक होती है. काल भैरव जयंती मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि यानी 27 नवंबर दिन शनिवार को मनाई जाएगी. इस दिन शुभ मुहूर्त में पूजा और व्रत करने से विशेष लाभ मिलता है. यहां देखें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि...

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काल भैरव जयंती पूजा शुभ मुहूर्त
मार्गशीर्ष मास कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि 27 नवंबर 2021 शनिवार को सुबह 5 बजकर 43 मिनट से शुरू होगी, जिसका समापन 28 नवंबर 2021 रविवार को सुबह 6:00 बजे होगा. इस अवधि के दौरान पूजा कर सकते हैं. 

काल भैरव जयंती महत्व
काल भैरव जयंती के दिन भगवान शिव के रौद्र रूप, काल भैरव भगवान की पूजा का विधान है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन विधि विधान और पूरी निष्ठा के साथ भगवान काल भैरव की पूजा करने से व्यक्ति के अंदर से भय समाप्त होता है. इसके अलावा, काल भैरव भगवान की पूजा करने से ग्रह बाधा और शत्रु बाधा भी दूर होती है. भगवान काल भैरव व्यक्ति को उनके कर्मों के अनुरूप फल और परिणाम देने के लिए जाने जाते हैं. अर्थात कर्म अच्छे हैं तो शुभ परिणाम मिलते हैं, वहीं, अनैतिक काम करने वाले लोगों को भगवान काल भैरव दंड देने से भी नहीं चूकते हैं.

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इस तरह करें पूजा
अष्टमी तिथि के दिन सुबह जल्दी उठें और इस दिन व्रत का संकल्प लें.  इसके बाद स्नान आदि करने के बाद साफ स्वच्छ कपड़े पहनें.  पूजा स्थल पर भगवान शिव के सामने दीपक जलाएं और पूजा करें. बता दें भगवान काल भैरव की पूजा रात्रि में करने का विधान है. इस दिन शाम को किसी मंदिर में जाएं और भगवान भैरव की प्रतिमा के सामने चार मुख वाला दीपक प्रज्वलित करें. भोग में इस दिन भगवान काल भैरव को इमरती, जलेबी, उड़द, पान, नारियल, और इनके साथ फूल आदि अर्पित करें. इसके बाद काल भैरव चालीसा का पाठ करें. पूजा पूरी होने के बाद काल भैरव भगवान की आरती करें और उनसे अनजाने से भी गलती की माफी मांगें.

 

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