Kalashtami 2025: वैशाख मास की कालाष्टमी है आज, जानें सही शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

Kalashtami 2025: बाबा काल भैरव को महादेव ने अपनी जटा को तोड़कर उत्पन्न किया था. इनका व्रत करने से व्यक्ति के अंदर का सभी भय समाप्त हो जाता है और इनकी पूजा करने से मन में शांति का वास होता है और घर में सुख-समृद्धि आती है. आइए जानते है सही शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व.

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काल भैरव जयंती 2025 काल भैरव जयंती 2025

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 20 अप्रैल 2025,
  • अपडेटेड 6:16 AM IST

Kalashtami 2025: कालाष्टमी बाबा काल भैरव को समर्पित है. यह दिन बहुत ही पवित्र होता है और हर माह कृष्ण पक्ष के अष्टमी तिथि में मनाया जाता है. कालाष्टमी हर महीने चंद्रमा के अस्त होने के आठवें दिन मनाया जाता है. भगवान शिव ने बाबा काल भैरव को अपनी एक जटा तोड़कर उत्पन्न किया था. इनकी पूजा और व्रत करने से व्यक्ति के अंदर के सभी भय का समापन हो जाता है. इस साल कालाष्टमी का व्रत 20 अप्रैल 2025 यानी आज के दिन रखा जा रहा है. 

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कालाष्टमी शुभ मुहूर्त (Kalashtami 2025 Shubh Muhurat)

कालाष्टमी की अष्टमी तिथि की शुरुआत 20 अप्रैल यानी आज शाम 07 बजे से शुरू होगी और इस तिथि का समापन 21 अप्रैल यानी कल शाम 06 बजकर 58 मिनट पर होगा. इसी शुभ मुहूर्त के दौरान भगवान काल भैरव की पूजा करें. 

कालाष्टमी पूजन विधि (Kalashtami Pujan Vidhi)

यह दिन भगवान शिव के भक्तों के लिए महत्वपूर्ण दिन होता है. इस दिन व्रत करने वाले सूबह उठें स्नान आदि करें और साफ-सुथरे कपड़े पहन कर मंदिर जाकर, पूजा-अरती करें. कुछ लोग इस दिन व्रत भी करते हैं. इस दिन काल भैरव कथा पढ़ना या सुनना और भगवान शिव के मंत्रों का जाप कर सकते हैं. इस दिन भगवान काल भैरव के वाहन काले कुत्तों को भोजन कराने से भगवान जल्दी प्रसन्न होते है. भक्त इस दिन काले कुत्तों को दूध, दही और मिठाई खिलाते हैं. धार्मिक मान्यता है कि काल भैरव की पूजा-भक्ति करने से जीवन के सभी भय, परेशानी, नकारात्मकता खत्म हो जाती है और जीवन में सकारात्मकता का संचार होता है. 

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कालाष्टमी पर्व का महत्व (Significance)

पुराणों के अनुसार, भगवान काल भैरव को समय का देवता कहा जाता है. काल भैरव शब्द की उत्पत्ति समय से काल और शिव के स्वरूप से भैरव शब्द को मिलाकर काल भैरव बना है. धार्मिक ग्रथों के अनुसार, काल भैरव की उत्पत्ति भगवान शिव ने भगवान ब्रह्मा के अहंकार को समाप्त करने के लिए किया था और उनका पांचवे सिर काटा था. लोग इनको भंयकर देवता के रूप में जानते हैं. भगवान काल भैरव की पूजा करने से जीवन में हर प्रकार के भय, कष्ट, दुष्प्रभाव से मुक्ति पाने और उनकी कृपा पाने के लिए करते है. इनकी पूजा करने से मन में शांति का वास होता है और घर में सुख-समृद्धि आती है.

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