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Kalashtami 2021: कालाष्टमी आज, जानें काल भैरव की पूजा का महत्व और शुभ मुहूर्त

कालभैरव भगवान शिव के ही अवतार माने जाते हैं. कहा जाता है कि इस दिन जो भी भक्त कालभैरव की पूजा करता है वो नकारात्मक शक्तियों से दूर रहता है.

Kalashtami 2021: कालाष्टमी आज, जानें काल भैरव की पूजा का महत्व और शुभ मुहूर्त Kalashtami 2021: कालाष्टमी आज, जानें काल भैरव की पूजा का महत्व और शुभ मुहूर्त
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 03 मई 2021,
  • अपडेटेड 7:28 AM IST

हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार हर महीने कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी व्रत रखा जाता है. इस दिन कालभैरव की पूजा की जाती है. कालभैरव भगवान शिव के ही अवतार माने जाते हैं. कहा जाता है कि इस दिन जो भी भक्त कालभैरव की पूजा करता है वो नकारात्मक शक्तियों से दूर रहता है.

मान्यता के अनुसार कलियुग में काल भैरव की उपासना करने से शीघ्र फल मिलता है. आइए जानते है काल भैरव को प्रसन्न करके मनचाहा फल पाने के लिए कालाष्टमी पर किस तरह करें पूजा. इस महीने 3 मई को कालाष्टमी मनाई जा रही है. मान्यता है कि भगवान शिव उसी दिन भैरव के रूप में प्रकट हुए थे. इस दिन मां दुर्गा की पूजा का भी विधान है.

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भैरव पूजन का महत्व- भैरव जी की पूजा व भक्ति से भूत, पिशाच एवं काल भी दूर रहते हैं. सच्चे मन से भैरव की पूजा करने से रुके हुए कार्य अपने आप बनते चले जाते हैं. माना जाता है कि कालाष्टमी के दिन कालभैरव की पूजा करने से सभी तरह के ग्रह-नक्षत्र और क्रोर ग्रहों का प्रभाव खत्म हो जाता है. सबसे मुख्य कालाष्टमी को कालभैरव जयंती के नाम से जाना जाता है.

शुभ मुहूर्त- वैशाख कृष्ण अष्टमी सोमवार, 03 मई 2021 को दोपहर 01 बजकर 39 मिनट से प्रारंभ होकर मंगलवार, 04 मई 2021 को दोपहर 01 बजकर 10 मिनट तक रहेगी.

काल भैरव की पूजन विधि- कालाष्टमी के दिन शिव जी के स्‍वरूप कालभैरव की पूजा करनी चाहिए. इस दिन सुबह जल्‍दी उठ कर स्नान करने के बाद व्रत का सकंल्प करना चाहिए. इसके बाद किसी मंदिर में जाकर भगवान शिव या भैरव के मंदिर में जाकर पूजा करें. इसके बाद शाम को शिव पार्वती और भैरव  की पूजा करनी चाहिए. भैरव को तांत्रिकों का देव कहा जाता है. यही वजह है कि उनकी पूजा रात को होती है.

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भैरव की पूजा करने के लिए धूप, दीपक, काले तिल, उड़द और सरसों के तेल से पूजा कर आरती करें. व्रत कोलने के बाद काले कुत्‍ते को मीठी रोटियां खिलाएं.

काल भैरव मंत्र- ॐ हं षं नं गं कं सं खं महाकाल भैरवाय नम:

 

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