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Karwa chauth 2021: करवा चौथ पर क्या कुंवारी लड़कियों को रखना चाहिए व्रत, क्या है नियम?

Karwa chauth 2021: करवा चौथ व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है. इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए दिन भर कठिन निर्जला व्रत रखती हैं. सूर्योदय से पहले शुरू होने वाला ये व्रत रात को चंद्रमा देखने के बाद पूरा होता है. लेकिन आजकल तेजी से सुहागिनों के साथ ही कुंवारी लड़कियों में भी इस व्रत का चलन बढ़ रहा है. आइये बताते हैं कि ये व्रत कुंवारी लड़कियों के लिए रखना सही है या नहीं.

करवा चौथ पर क्या रखना चाहिए कुंवारी लड़कियों को व्रत, क्या है नियम ? करवा चौथ पर क्या रखना चाहिए कुंवारी लड़कियों को व्रत, क्या है नियम ?
aajtak.in
  • नई दिल्ली ,
  • 23 अक्टूबर 2021,
  • अपडेटेड 4:04 PM IST
  • अपने नियमों को लेकर कठिन होता है करवा चौथ का व्रत
  • सरगी, 16 श्रृंगार व अन्य सुहागिन नियमों के साथ होता है ये व्रत

Karwa Chauth Vrat for Unmarried Girls: कार्तिक माह की चतुर्थी तिथि को सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए करवा चौथ का व्रत रखती हैं. इस साल करवा चौथ का व्रत 24 अक्टूबर 2021 दिन रविवार को रखा जाएगा. अपने नियमों को लेकर ये व्रत अत्यंत कठोर माना जाता है. सूर्योदय से पहले ये व्रत शुरू होता है. सुहागिन महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं और शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देने के पश्चात अपने पति के हाथों से पानी पीकर व्रत का पारण करती हैं. पर आज बदलते समय में कुंवारी लड़कियां भी देखा देखी इस व्रत को करने लगी हैं. कुछ तो अपने प्रेमी के लिए ये व्रत रखती है, तो वहीं वे लड़कियां भी ये व्रत रखने लगी हैं, जिनकी शादी तय हो गई है. ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र से जानते हैं कि कुंवारी लड़कियों के लिए यह व्रत करना कितना सही है.

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सुहागिनों क्यों करती हैं ये व्रत?
ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र ने बताया कि शादी के बाद जब लड़की ससुराल पहुंचती है, तो पहला व्रत रखा जाता है. हिंदू धर्म में शादी दो शरीर नहीं, बल्कि दो आत्माओं का मिलन माना जाता है. पहले व्रत को लेकर नई नवेली दुल्हन के मन में काफी उमंग और आस्था होती है. घर की बुजुर्ग महिलाओं की देखरेख में ये दुल्हन अपने पति की लंबी आयु के लिए ये व्रत रखती हैं. पति जब देखता है कि उसके लिए पत्नी ने इस कठोर व्रत को रखा है, तो उसके मन में भी पत्नी के प्रति आदर बढ़ता है. साथ ही जब पत्नी सोलह श्रृंगार कर पति के सामने पहुुंचती है, तो पति के मन में उसकी ओर आकर्षण एवं प्रेम का भाव बढ़ता है. पत्नी के मन में इस व्रत से पति के प्रति देवत्व का भाव जागता है. माना जाता है कि इस व्रत से पति और पत्नी के बीच आदर और विश्वास की डोर मजबूत होती है. 

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कुंवारी लड़कियां को क्यों नहीं रखना चाहिए व्रत?

1. कुंवारी लड़कियों के लिए व्रत करना सामान्य दृष्टि से, आध्या​त्मिक दृष्टि से और उनके स्वास्थ्य की दृष्टि से उचित नहीं है. क्योंकि कुंवारी लड़कियों का मन, शरीर उतना परिपक्व नहीं हो पाता, कि वे इस कठिन को व्रत को रखें. जब विवाह संस्कार होता है, तो सातवें फेरे के बाद कहा जाता है कि अब कन्या पति की हुई. तत्पश्चात लड़कियां अपने पति के लिए व्रत कर सकती हैं. 

2. यदि कोई लड़की अपने प्रेमी या फिर जिससे शादी तय हुई है, उसके लिए व्रत रखती हैं, तो पहले तो उनके लिए व्रत विधि पूर्वक करना असंभव होगा. क्योंकि वे शादी से पहले सोलह श्रृंगार नहीं कर पाएगी और नाहीं सास की ओर से मिलने वाली सरगी उन तक पहुंच पाएगी. 

3. इस व्रत का लड़की के कोमल मन पर विशेष प्रभाव पड़ता है. यदि संबंधित प्रेमी या तय हुए रिश्ते वाले लड़के से विवाह नहीं होता है, तो वो अवसाद ग्रस्त हो सकती हैं. जिससे उनके शारीरिक व मानसिक स्तर पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है. 

4. कहीं दूसरी जगह विवाह होने पर, उनके मन में पुराने रिश्ते को लेकर अशांति रहेगी और एकाग्रचित होकर वे दूसरी बार इस व्रत को नहीं कर पाएंगी. 

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5. करवा चौथ का व्रत कठोर और गंभीर होता है, इसलिए इसे मजाक में भी कुंवारी लड़कियों को नहीं करना चाहिए. 

 

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