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Lohri 2021: कब मनाया जाएगा लोहड़ी का त्योहार? जानें इस दिन क्यों सुनी जाती है दुल्ला भट्टी की कहानी

लोहड़ी के त्योहार पर हर जगह रौनक देखने को मिलती है. लोहड़ी के दिन अग्नि में तिल, गुड़, गजक, रेवड़ी और मूंगफली चढ़ाने का रिवाज होता है. देशभर में 13 जनवरी को लोहड़ी का त्योहार मनाया जा रहा है.

Photo Credit: Getty Images Photo Credit: Getty Images
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 07 जनवरी 2021,
  • अपडेटेड 11:36 AM IST
  • 13 जनवरी को लोहड़ी का त्योहार मनाया जाएगा
  • लोहड़ी फसल की बुआई और कटाई से जुड़ा पर्व है

पौष के अंतिम दिन सूर्यास्त के बाद यानी माघ संक्रांति की पहली रात को लोहड़ी का त्योहार मनाया जाता है. ये पर्व मकर संक्रांति से ठीक पहले आता है और पंजाब और हरियाणा के लोग इसे बड़ी धूम-धाम से मनाते हैं. त्योहार पर हर जगह रौनक देखने को मिलती है. लोहड़ी के दिन अग्नि में तिल, गुड़, गजक, रेवड़ी और मूंगफली चढ़ाने का रिवाज होता है. देशभर में 13 जनवरी को लोहड़ी का त्योहार मनाया जाएगा.

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लोहड़ी के त्योहार की परंपरा
पारंपरिक तौर पर लोहड़ी फसल की बुआई और उसकी कटाई से जुड़ा एक विशेष त्यौहार है. इस अवसर पर पंजाब में नई फसल की पूजा करने की परंपरा है. इस दिन चौराहों पर लोहड़ी जलाई जाती है. इस दिन पुरुष आग के पास भांगड़ा करते हैं, वहीं महिलाएं गिद्दा करती हैं. इस दिन सभी रिश्तेदार एक साथ मिलकर डांस करते हुए बहुत धूम-धाम से लोहड़ी का जश्न मनाते हैं. इस दिन तिल, गुड़, गजक, रेवड़ी और मूंगफली का भी खास महत्व होता है. कई जगहों पर लोहड़ी को तिलोड़ी भी कहा जाता है.

क्यों सुनते हैं दुल्ला भट्टी की कहानी?
लोहड़ी के दिन अलाव जलाकर उसके इर्द-गिर्द डांस किया जाता है. इसके साथ ही इस दिन आग के पास घेरा बनाकर दुल्ला भट्टी की कहानी सुनी जाती है. लोहड़ी पर दुल्ला भट्टी की कहानी सुनने का खास महत्व होता है. मान्यता है कि मुगल काल में अकबर के समय में दुल्ला भट्टी नाम का एक शख्स पंजाब में रहता था. उस समय कुछ अमीर व्यापारी सामान की जगह शहर की लड़कियों को बेचा करते थे, तब दुल्ला भट्टी ने उन लड़कियों को बचाकर उनकी शादी करवाई थी. कहते हैं तभी से हर साल लोहड़ी के पर्व पर दुल्ला भट्टी की याद में उनकी कहानी सुनाने की पंरापरा चली आ रही है.

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न्यूली वेड कपल के लिए खास
लोहड़ी का पर्व न्यूली वेड कपल के लिए तो और भी ज्यादा खास होता है. जिन महिलाओं की हाल-फिलहाल शादी हुई है, लोहड़ी की रात वह एक बार फिर दुल्हन की तरह सजती-संवरती हैं. इसके बाद परिवार सहित लोहड़ी के पर्व में शामिल होती हैं और लोहड़ी की परिक्रमा करती हैं. अंतत: खुशहाल जीवन के लिए बड़े-बुजुर्गों से आशीर्वाद प्राप्त करती हैं.

 

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