Advertisement

Mohini Ekadashi 2021: आज है मोहिनी एकादशी, जानें इसकी महिमा और पूजन विधि

Mohini Ekadashi 2021: वैशाख मास में एकादशी उपवास का विशेष महत्व है जिससे मन और शरीर दोनों ही संतुलित रहते हैं. खासतौर से गंभीर रोगों से रक्षा होती है और खूब सारा नाम यश मिलता है.

Mohini Ekadashi 2021: कब है मोहिनी एकादशी, जानें इसकी महिमा और पूजन विधि Mohini Ekadashi 2021: कब है मोहिनी एकादशी, जानें इसकी महिमा और पूजन विधि
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 19 मई 2021,
  • अपडेटेड 7:45 AM IST
  • व्रत और उपवासों में सर्वाधिक महत्व है एकादशी का
  • मोहिनी एकादशी के दिन श्री हरि के राम स्वरूप की आराधना

हिन्दू धर्मशास्त्रों में शरीर और मन को संतुलित करने के लिए व्रत और उपवास के नियम बनाए गए हैं. तमाम व्रत और उपवासों में सर्वाधिक महत्व एकादशी का है जो माह में दो बार पड़ती है. शुक्ल एकादशी और कृष्ण एकादशी. वैशाख मास में एकादशी उपवास का विशेष महत्व है जिससे मन और शरीर दोनों ही संतुलित रहते हैं. खासतौर से गंभीर रोगों से रक्षा होती है और खूब सारा नाम यश मिलता है.

Advertisement

इस एकादशी के उपवास से मोह के बंधन नष्ट हो जाते हैं, इसलिए इसे मोहिनी एकादशी कहा जाता है. भावनाओं और मोह से मुक्ति की इच्छा रखने वालों के लिए भी वैशाख मास की एकादशी का विशेष महत्व है. मोहिनी एकादशी के दिन श्री हरि के राम स्वरूप की आराधना की जाती है. आज यानी 22 मई दिन शनिवार को मोहिनी एकादशी है.

मोहिनी एकादशी पर वरदान
व्यक्ति की चिंताएं और मोह माया का प्रभाव कम होता है. ईश्वर की कृपा का अनुभव होने लगता है. पाप प्रभाव कम होता है और मन शुद्ध होता है. व्यक्ति हर तरह की दुर्घटनाओं से सुरक्षित रहता है. व्यक्ति को गौदान का पुण्य फल प्राप्त होता है.

पूजन विधि
एकादशी व्रत के मुख्य देवता भगवान विष्णु या उनके अवतार होते हैं, जिनकी पूजा इस दिन की जाती है. इस दिन प्रातः उठकर स्नान करने के बाद पहले सूर्य को अर्घ्य दें. इसके बाद भगवान राम की आराधना करें. उनको पीले फूल,पंचामृत और तुलसी दल अर्पित करें. फल भी अर्पित कर सकते हैं. इसके बाद भगवान राम का ध्यान करें तथा उनके मन्त्रों का जप करें.

Advertisement

इस दिन पूर्ण रूप से जलीय आहार लें अथवा फलाहार लें तो इसके श्रेष्ठ परिणाम मिलेंगे. अगले दिन प्रातः एक वेला का भोजन या अन्न किसी निर्धन को दान करें. इस दिन मन को ईश्वर में लगाएं, क्रोध न करें, असत्य न बोलें.

रक्षा और मर्यादा का वरदान
भगवान राम के चित्र के समक्ष बैठें. उन्हें पीले फूल और पंचामृत अर्पित करें. राम रक्षा स्तोत्र का पाठ करें या "ॐ राम रामाय नमः" का जप करें. जप के बाद समस्याओं की समाप्ति की प्रार्थना करें. पंचामृत प्रसाद रूप में ग्रहण करें.

ये भी पढ़ें:

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement