Narsimha Jayanti 2024: नृसिंह जयंती आज, जानें इसकी पूजन विधि, दिव्य उपाय और कथा

Narsimha Jayanti 2024: भक्त प्रहलाद की रक्षा के लिए भगवान विष्णु ने नृसिंह अवतार लिया था. इनका प्राकट्य खम्बे से गोधूली वेला के समय हुआ था. भगवान नृसिंह, श्रीहरि विष्णु के उग्र और शक्तिशाली अवतार माने जाते हैं.

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भगवान नृसिंह, श्रीहरि विष्णु के पांचवे अवतार हैं. अपने भक्त प्रहलाद की रक्षा के लिए भगवान विष्णु ने नृसिंह अवतार लिया था. भगवान नृसिंह, श्रीहरि विष्णु के पांचवे अवतार हैं. अपने भक्त प्रहलाद की रक्षा के लिए भगवान विष्णु ने नृसिंह अवतार लिया था.

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 21 मई 2024,
  • अपडेटेड 6:00 AM IST

Narsimha Jayanti 2024: आज नृसिंह जयंती है. भगवान नृसिंह, श्रीहरि विष्णु के पांचवे अवतार हैं. अपने भक्त प्रहलाद की रक्षा के लिए भगवान विष्णु ने नृसिंह अवतार लिया था. इनका प्राकट्य खम्बे से गोधूली वेला के समय हुआ था. भगवान नृसिंह, श्रीहरि विष्णु के उग्र और शक्तिशाली अवतार माने जाते हैं. इनकी उपासना करने से हर प्रकार के संकट और दुर्घटना से रक्षा होती है. हर प्रकार से मुकदमे, शत्रु और विरोधी शांत होते हैं. तंत्र-मंत्र की बाधाएं भी समाप्त होती हैं.

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कैसे करें भगवान नृसिंह की पूजा?
नृसिंह जयंती पर प्रातःकाल उठकर घर की साफ-सफाई करें. दोपहर के समय तिल, गोमूत्र, मिट्टी और आंवले को शरीर पर मलकर शुद्ध जल से स्नान करें. भगवान नृसिंह के चित्र के सामने दीपक जलाएं. उन्हें प्रसाद और लाल फूल अर्पित करें. इसके बाद अपनी मनोकामना कहकर भगवान नृसिंह के मंत्रों का जाप करें. मंत्रों का जाप मध्य रात्रि में भी करना उत्तम होगा. व्रत के दिन जलाहार या फलाहार करना उत्तम होगा. अगले दिन निर्धनों को अन्न-वस्त्र का दान कर व्रत का समापन करें.

विरोधियों को शांत करने के उपाय
भगवान नृसिंह को लाल पुष्प अर्पित करें. एक लाल रेशमी धागा भी अर्पित करें. उनके सामने घी का चौमुखी दीपक जलाएं. इसके बाद एक विशेष मंत्र का जाप करें. मंत्र होगा- "ॐ नृ नृसिंहाय शत्रु भुज बल विदीर्णाय स्वाहा". फिर अर्पित किए हुए धागे को दाहिने कलाई में धारण करें.

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कर्ज मुक्ति और धन प्राप्ति के उपाय
भगवान नृसिंह के समक्ष तीन दीपक जलाएं. उन्हें उतने लाल फूल अर्पित करें, जितनी आपकी उम्र है. लक्ष्मी नृसिंह स्तोत्र का पाठ करें. कर्ज से राहत मिलेगी.

आयु रक्षा और सर्वकल्याण के लिये उपाय
भगवान नृसिंह की नियमित रुप से उपासना करें. उन्हें पीली वस्तुओं का भोग लगाएं. इसके बाद एक विशेष मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें. मंत्र होगा- "उग्रं वीरं महाविष्णुम, ज्वलन्तं सर्वतोमुखम। नृसिंहम भीषणं भद्रं, मृत्योर्मृत्यु नमाम्यहम।।"

कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, राक्षस राज हिरण्यकश्यप को वरदान प्राप्त था कि उसे कोई भी नर या पशु अस्त्र या शस्त्र से दिन में या रात में, घर के अंदर या घर के बाहर, न जमीन पर और न ही आसमान में कोई मार सकता था. इस वजह से उसने स्वयं को भगवान समझ लिया था. लेकिन उसके घर में ही खुद उसका पुत्र हमेशा भगवान विष्णु की भक्ति में लीन रहता था.

तब हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र प्रह्लाद को भगवान विष्णु की भक्ति से दूर करने के लिए और उसे कई प्रकार से मारने की साजिश रची. लेकिन विष्णु कृपा से हर बार प्रह्लाद बच गए. वैशाख शुक्ल चतुर्दशी को भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार लिया और वे खंभा फाड़कर प्रकट हुए. उन्होंने हिरण्यकश्यप को पकड़कर घर की दहलीज पर अपने दोनों पैरों पर लिटा दिया और अपने तेज नाखूनों से उसका पेट चीर डाला. इस प्रकार से उन्होंने भक्त प्रह्लाद की रक्षा की. कहते हैं कि जो भी साधक नृसिंह जयंती के लिए शास्त्रीय विधान से साथ भगवान नृसिंह की पूजा आराधना करता है, भगवान नृसिंह सदा उसके साथ रक्षा कवच के रूप में मौजूद रहते हैं.

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