Advertisement

नवरात्र में मां दुर्गा के अलग-अलग वाहनों का क्या है रहस्य, कैसे तय होते हैं हाथी-घोड़ा या पालकी?

माता दुर्गा जिस वाहन से पृथ्वी पर आती हैं, उसके अनुसार साल भर होने वाली घटनाओं का भी अनुमान किया जाता है. इनमें कुछ वाहन शुभ फल देने वाले और कुछ अशुभ फल देने वाले होते हैं. देवी जब हाथी पर सवार होकर आती है तो पानी ज्यादा बरसता है.

30 मार्च से हो रही है चैत्र नवरात्र की शुरुआत 30 मार्च से हो रही है चैत्र नवरात्र की शुरुआत
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 25 मार्च 2025,
  • अपडेटेड 8:09 PM IST

आने वाली 30 मार्च से चैत्र नवरात्र की शुरुआत हो रही है. वसंत ऋतु में इस नवरात्र के आने से इसे वासंतिक या वासंती नवरात्र भी कहते हैं. इसके अलावा इन नौ दिन के अनुष्ठान का समापन श्रीराम नवमी से होता है, जो भगवान राम के जन्म की तिथि भी है. नवरात्र में देवी दुर्गा के नौ दिव्य स्वरूपों की पूजा की जाती है और इन्हें सामूहिक रूप से नवदुर्गा कहते हैं. देवी दुर्गा का आगमन हर श्रद्धालु के घर होता है और लोग घट स्थापना के साथ देवी स्थापना कर उनकी पूजा करते हैं. 

Advertisement

देवी भागवत पुराण में मां के वाहन का जिक्र
देवी के आगमन से पहले इस बात की चर्चा भी रहती है, कि इस बार उनका आगमन किस वाहन से हो रहा है? यह सवाल बेतुका नहीं है, क्योंकि वैसे तो देवी का वाहन सिंह है, लेकिन यह तभी उनका वाहन है जब वे युद्ध कर रही होती हैं. शांति काल में और श्रद्धालुओं के पास धरती पर आने के लिए माता के अलग-अलग वाहन बताए गए हैं. इसका जिक्र देवी भागवत पुराण में मिलता है. इसमें बताया गया है कि हर साल नवरात्र पर देवी अलग-अलग वाहनों पर सवार होकर धरती पर आती हैं.

देवी के अलग-अलग वाहनों पर सवार होकर आने से देश और जनता पर इसका असर भी अलग-अलग होता है. 

किस आधार पर तय होता है वाहन?
देवी का आगमन किस वाहन पर हो रहा है, यह दिनों के आधार पर तय होता है. सोमवार या रविवार को घट स्थापना होने पर मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती हैं. शनिवार या मंगलवार को नवरात्र की शुरुआत होने पर देवी का वाहन घोड़ा माना जाता है. गुरुवार या शुक्रवार को नवरात्र शुरू होने पर देवी डोली में बैठकर आती हैं. बुधवार से नवरात्र शुरू होने पर मां दुर्गा नाव पर सवार होकर आती हैं.

Advertisement

इन तथ्यों को देवी भागवत के इस श्लोक में वर्णन किया गया है.   
शशिसूर्ये गजारूढ़ा शनिभौमे तुरंगमे।
गुरौ शुक्रे चदोलायां बुधे नौका प्रकी‌र्त्तिता ।।

वाहनों का यह होता है शुभ-अशुभ असर
माता दुर्गा जिस वाहन से पृथ्वी पर आती हैं, उसके अनुसार साल भर होने वाली घटनाओं का भी अनुमान किया जाता है. इनमें कुछ वाहन शुभ फल देने वाले और कुछ अशुभ फल देने वाले होते हैं. देवी जब हाथी पर सवार होकर आती है तो पानी ज्यादा बरसता है.

घोड़े पर आती हैं तो युद्ध की आशंका बढ़ जाती है. देवी नौका पर आती हैं तो सभी की मनोकामनाएं पूरी होती हैं और डोली पर आती हैं तो महामारी का भय बना रहता हैं. इसका भी वर्णन देवी भागवत में किया गया है. 
गजे च जलदा देवी क्षत्र भंग स्तुरंगमे।
नोकायां सर्वसिद्धि स्या ढोलायां मरणंधुवम्।।

मां के जाने का वाहन भी होता है निश्चित
देवी भगवती का आगमन भी वाहन से होता है और वह वापसी भी निश्चित वाहन से ही करती हैं. यानी जिस दिन नवरात्र का अंतिम दिन होता है, उसी के अनुसार देवी का वाहन भी तय होता है. इसी के अनुसार जाने के दिन व वाहन का भी शुभ अशुभ फल होता है. रविवार या सोमवार को देवी भैंसे की सवारी से जाती हैं तो देश में रोग और शोक बढ़ता है. शनिवार या मंगलवार को देवी मुर्गे पर सवार होकर जाती हैं, जिससे दुख और कष्ट की वृद्धि होती है. बुधवार या शुक्रवार को देवी हाथी पर जाती हैं. इससे बारिश ज्यादा होती है. 
गुरुवार को मां दुर्गा मनुष्य की सवारी से जाती हैं, यानी कंधें पर जाती हैं. इससे सुख और शांति की वृद्धि होती है.

Advertisement

शशि सूर्य दिने यदि सा विजया महिषागमने रुज शोककरा।
शनि भौमदिने यदि सा विजया चरणायुध यानि करी विकला।।
बुधशुक्र दिने यदि सा विजया गजवाहन गा शुभ वृष्टिकरा।
सुरराजगुरौ यदि सा विजया नरवाहन गा शुभ सौख्य करा॥

इस बार देवी का आगमन
इस बार चैत्र नवरात्र की शुरुआत 30 मार्च से हो रही है. इस दिन रविवार है. देवी भागवत पुराण के आख्यान के अनुसार इस बार माता हाथी पर सवार होकर आ रही हैं. ऐसे में अनुमान है कि इस बार वर्षाकाल में अधिक वर्षा हो सकती है. यह खेती-किसानी के लिए शुभ संकेत है. इसके अलावा हाथी धन-संपदा और समृद्धि का प्रतीक भी है, जो कि आम आदमी के लिए भी अच्छे संकेत देने वाले हैं. 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement